6/05/2021

भूगोल का अर्थ, परिभाषा, क्षेत्र

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भूगोल का अर्थ (भूगोल किसे कहते हैं)

bhugol arth paribhasha kshera;भूगोल अंग्रेजी शब्द के (Geography) का हिन्दी अनुवाद है। ज्योग्राफी शब्द यूनानी भाषा के 'जी' (Ge) तथा ग्राफो (Grapho) इन दोनों शब्दों से मिलकर बना है। जी (Ge) अर्थ है पृथ्वी और और ग्राफो का अर्थ है वर्णन करना। इस प्रकार से भूलोग (Geography) का सामान्य अर्थ होता है, पृथ्वी का वर्णन करना।" 

भौगोलिक क्षेत्र के अंतर्गत सम्पूर्ण पृथ्वी का भौतिक स्वरूप, जलवायु, वनस्पति, खनिज, मानवशक्ति से उत्पादन इत्यादि आता है। मूलरूप से भूलोग मे पृथ्वी की सतह पर मौजूद प्राकृतिक एवं मानवीय भू आकृतियों का अध्ययन किया जाता है। इसलिए शाब्दिक अर्थ मे भूलोग वह विज्ञान है जिसमे पृथ्वी के भूतल का स्वरूप, भौतिक आकृतियों, जलवायु, वनस्पति, राजनीतिक विभागों, जनसंख्या का वितरण व वृद्धि, मानव बस्तियों एवं मानव व्यवसायों का अध्ययन किया जाता है।

भूगोल का अर्थ, परिभाषा, क्षेत्र

एच. एफ. टॉजर ने हिकैटियस (500 ईसा पूर्व) को भूगोल का पिता (जनक) माना था जिसने स्थल भाग को सागरों से घिरा हुआ माना तथा दो महादेशों का ज्ञान दिया।

अरस्तु (Aristotle) (384-322 ईसा पूर्व) वैज्ञानिक भूगोल का जन्मदाता था। उसके अनुसार मण्डलाकार पृथ्वी के तीन प्रमाण थे--

(क) पदार्थो का उभय केंद्र की ओर गिरना,

(ख) ग्रहण में मण्डल ही चंद्रमा पर गोलाकार छाया प्रतिबिंबित कर सकता है तथा

(ग) उत्तर से दक्षिण चलने पर क्षितिज का स्थानांतरण और नयी नयी नक्षत्र राशियों का उदय होना। अरस्तु ने ही सबसे पहले समशीतोष्ण कटिबंध की सीमा क्रांतिमंडल से घ्रुव वृत्त तक निश्चित की थी।

भूगोल को एक विषय के रूप मे आरंभ करने का श्रेय ग्रीक निवासी इरेटाॅस्थनीज को जाता है। भूगोल का नामकरण करने, पृथ्वी की गोलाई को मापने की वैज्ञानिक विधि ज्ञात करने तथा अन्य तर्कपूर्ण वर्णनों एवं बसे भाग का विस्तार एवं विश्व मानचित्र जैसे महत्वपूर्ण योगदान के कारण उन्हें भूलोग का पिता (जनक) माना गया। (250 ईसा पूर्व))

इसी काल के महान विद्वान स्ट्रेबों ने पहली बार भूगोल को परिभाषित किया। उनके अनुसार," भूगोल हमें स्थल तथा महानगरों मे बसने वाले जीवों के बारे मे ज्ञान कराने के साथ-साथ विभिन्न लक्षणों वाली पृथ्वी की विशेषताओं को समझता है।"

भूगोल की परिभाषा (bhugol ki paribhasha)

भूगोल को अनेक विद्वानों ने परिभाषित किया है। भूगोल की प्रारंभिक एवं नवीन परिभाषाओं का विवेचन इस प्रकार है--

भूगोल की प्रारंभिक परिभाषाएं 

टाॅलेमी के अनुसार," प्रथम शताब्दी मे रोमनकालीन विद्वान क्लाडियस टाॅलेमी ने भूगोल को परिभाषित करते हुये लिखा है, भूगोल वह आभामय विज्ञान है जो स्वर्ग मे भी पृथ्वी का प्रतिबिम्ब देखता है।" 

वारेयनिस के अनुसार," भूलोग का वास्तविक विकास सोलहवीं शताब्दी के बाद हुआ। इस समय तक भूतल के अज्ञात एवं सुदूर प्रदेशों की खोजें तथा यात्रायें की जा रही थी। जर्मन विद्वान वारेनियस ने भूगोल को परिभाषित करते हुये लिखा, भूगोल के अध्ययन का लक्ष्य पृथ्वी की सतह है, जहां उसमें धरातलीय स्वरूप, जल, वन, मरूस्थल, खनिज, पशु-जीवन एवं मनुष्यों का निरीक्षण एवं उनकी व्याख्या होती है।

रिचार्ड हार्टशोर्न के अनुसार," अमेरिकन भूगोलवेत्ता रिचार्ड हार्टशोर्न  ने सर्वप्रथम 1939 मे, फिर उसके बाद 1959 मे भूगोल की परिभाषा निम्न प्रकार प्रस्तुत की," भूतल के विविधता रूपी लक्षणों का शुद्ध, व्यवस्थित, तर्कपूर्ण विवरण एवं व्याख्या करना ही भूगोल है।" 

हार्टशार्न ने यह स्पष्ट किया था कि भूगोल पृथ्वी तल के घटना-दृश्यों के विविध परिवर्ती वितरणों और जटिल अन्तर्सम्बन्धों (Complex-interrelations) का विश्लेषण करता है। वे भूगोल को पृथ्वी के एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवर्तनशील स्वरूपों का वर्णन और उनकी व्याख्या मानव के घर (as the home of man) के रूप मे मानते थे।

भूगोल की नवीन परिभाषाएं 

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भूगोल को नये ढंग से परिभाषित करने की आवश्यकता महसूस की गई। भूगोल की नवीन परिभाषाएं इस प्रकार हैं--

अमेरिकन विद्वान प्रेस्टन जेम्स के अनुसार," भूगोल विद्या अध्ययन का वह क्षेत्र है जिसमे कि स्थान विशेष को लक्षण प्रदान करने वाली घटनाओं के समूह का वर्णन किया जाता है। ऐसे स्थानों मे समानता एवं विभिन्नता दोनों ही विभिन्न स्तरों पर पाये जाते है।" 

रूसी भूगोलवेत्ता आई.पी. गेरासिमोव के अनुसार," आई. पी. गेरासिमोव ने 1962 मे भूगोल की परिभाषा देते हुये बताया भूगोल वह विज्ञान है, जो पृथ्वी तल के विभिन्न श्रेत्रों मे प्राकृतिक और मानवीय तथ्यों की पारस्परिक क्रियाओं द्वारा निर्मित सम्मिश्रण-समाकल प्रदेशों (Comiplex-integral regions) की व्याख्या करता है।" 

ई. जे. टाफ्फी के अनुसार," अमेरिकन भूगोलवेत्ता टाफ्फी ने 1968 मे भूगोल की एक नई परिभाषा दी। उनके अनुसार," भूलोग पृथ्वी तल पर स्थानिक संगठन (Spatial organization) के प्रक्रमों (Processes) तथा प्रतिरूपों (Patterns) का अध्ययन है।" 

भौगोलिक दृष्टिकोण के अंतर्गत मूलतः क्या सम्मिलित है, इस संबंध मे श्री पीटर हेगेट महोदय ने स्पष्टतः निम्नलिखित तीन तत्वों का उल्लेख किया है--

1. प्रथम तत्व स्थिति या वितरण से है जिसमे हम भौतिक या मानवीय किसी भी परिदृश्य का पृथ्वी की सतह पर वितरण का समावेश करते है।

2. दूसरा तत्व पृथ्वी पर प्राकृतिक और मानवीय तत्वों के मध्य अन्तर्सम्बन्ध से संबद्ध है। यहाँ पर अन्तर्सम्बन्धों का विश्लेषण एवं व्याख्या की जानी है।

3. तीसरा तत्व प्रादेशिक संश्लेषण (Synthesis) है जिसमे उन सभी प्राकृतिक और मानवीय तत्वों का संश्लेशण किया जाता है जिसमे सभी तत्व मिलकर किसी प्रदेश को अपनी विशिष्ट पहचान प्रदान करते है।

उपरोक्त तीन तत्वों के अतिरिक्त स्थानिक नियम और स्थानिक नियोजन को भी आधुनिक काल मे भौगोलिक विश्लेषण के अंतर्गत समाहित किया जाता है।

भूगोल का विषय-क्षेत्र (bhugol ka kshera)

भूगोल मे प्राथमिक रूप से प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन शामिल है। यह संसार मनुष्य का निवास स्थल है जिसमे प्राकृतिक वातावरण की भिन्नता के कारण कृषि, मानव, बस्तियां, मानव-उद्योगों आदि की भिन्नता है। इन भिन्नताओं के कारक तथा परिणामों को जानना ही भूगोलवेत्ताओं का कार्यक्षेत्र है। वर्तमान समय मे भूदृश्यों का अध्ययन, स्थान का अध्ययन, प्राकृतिक वातावरण का मनुष्य के क्रियाकलापों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन, मनुष्य तथा प्रकृति के विभिन्न तन्त्रों का अध्ययन, प्राकृतिक व मानवीय परिस्थिति (ecology) का अध्ययन आदि मुख्य विषय-वस्तु है। भूगोल के अध्ययन-क्षेत्र मे प्रमुख रूप से निम्न शामिल है--

1. भूगोल दर्शन (Philosophy) के रूप मे 

(अ) भौगोलिक विधि तंत्र, 

(ब) भूगोल के विकास का इतिहास।

2. क्रमबद्ध (systematic) भूगोल के रूप में

(अ) भौतिक भूगोल 

इसके अंतर्गत निम्नलिखित अध्ययन शामिल है--

1. खगोलीय (Astronomy), 

2. भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology), 

3.जलवायु विज्ञान (Climatology), 

4. जल विज्ञान (Hydrology), 

5. समुद्र विज्ञान (Oceanography), 

6. हिमनद विज्ञान (Glacilogy), 

7. मृत्तिका भूगोल (Soilgeography), 

8. वनस्पति भूगोल (Plant Geography),

9. जन्तु भूगोल (Animal Geograpy)।

(ब) मानव भूगोल 

इसके अंतर्गत निम्नलिखित अध्ययन शामिल हैं--

1. ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography), 

2. राजनैतिक भूगोल (Political Geography), 

3.आवासीय भूगोल (Settlement Geography), 

4. जनसंख्या भूगोल (Population Geography), 

5. आर्थिक भूगोल (Economic Geography), 

6. सामाजिक एवं सांस्कृतिक भूगोल (Social and Cultural Geography), 

7. सैन्य भूगोल (Military Geography), 

8. स्वास्थ्य भूगोल (Medical Geography)।

(स) आर्थिक भूगोल 

इसके अंतर्गत निम्नलिखित अध्ययन शामिल हैं--

1. कृषि भूगोल,

2. निर्माण उद्योग भूगोल, 

3. परिवहन भूगोल तथा 

4. वाणिज्यिक भूगोल।

3. प्रादेशिक भूगोल के रूप में

(अ) प्राकृतिक सीमाओं के अनुरूप प्रादेशिक विभाजन।

(ब) प्रशासकीय सीमाओं के अनुरूप प्रादेशिक विभाजन अध्ययन।

4. व्यावहारिक भूगोल के रूप में

भूमि उपयोग, उद्योगों के स्थानिक विश्लेषण साधन मूल्यांकन, नगरी-ग्रामीण बस्तियों का संबंध, मानव संसाधन संबंध एवं क्षेत्रों का प्रादेशीकरण एवं प्रादेशिक नियोजन जैसे तथ्यों का अध्ययन।

5.योजना भूगोल 

इसके अंतर्गत प्रयुक्त भूगोल प्रादेशिक भूगोल तथा आर्थिक भूगोल का मिश्रित अध्ययन शामिल है।

6.भूगोल प्रविधि 

इसके अंतर्गत निम्नलिखित अध्ययन शामिल हैं--

(अ) मानचित्र कला एवं विश्लेषण,

(ब) सर्वेक्षण एवं फोटोग्रैमेट्री,

(स) सांख्यिकीय विधियों का अध्ययन शामिल है।

भूगोल एक अंर्तवैज्ञानिक विज्ञान है 

आज के समय मे भूगोल एक अंर्तवैज्ञानिक विषय के रूप मे विकसित हो रहा है। वर्तमान भूगोल भौतिक विज्ञानों तथा सामाजिक विज्ञानों दोनों वर्गों मे सम्मिलित है, इसमे भौतिक वातावरण तथा सांस्कृतिक वातावरण के तत्वों का उनकी शक्तियों तथा क्रियाओं तथा उनके प्रभावों का अध्ययन होता है। इसका लक्ष्य 'पृथ्वी तल' पर प्राकृतिक वातावरण और समस्त मानव जाति की पारस्परिक प्रतिक्रिया प्रणाली को समझना है तथा इसका कार्य भौतिक विज्ञानों, मानवीय विज्ञानों और सामाजिक विज्ञानों को परस्पर जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण श्रृंखला का है।

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