11/22/2023

प्रत्यायोजन का महत्व, प्रकार

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प्रत्यायोजन का महत्व अथवा लाभ (pratyayojan ke labh)

प्रत्यायोजन सर्वव्यापक स्वीकृत सिद्धांत हैं। इसका प्रत्येक क्षेत्र में अतिप्राचीन काल से उपयोग किया जाता रहा है। प्रत्यायोजन का उपयोग व्यावसायिक इकाइयों में ही नही बल्कि सरकार को चलाने में भी किया जाता है। राजकीय विधान-सभा मण्डल अपनी सत्ता/अधिकार मंत्री परिषद् को सौंपती है जो इसे आगे अधिकारी-वर्ग को सौंपती है तथा इसी तरह यह क्रम आगे चलता रहता है। एक पारिवारिक कार्रवाई के संचालन में भी प्रत्यायोजन अनिवार्य है क्योंकि परिवार के मुखिया को विभिन्न कार्यों के निष्पादन के लिए परिवार के अन्य सदस्यों की सहायता चाहिए। एक औद्योगिक व्यवसाय को प्रत्यायोजन से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं-- 

1. उच्च अधिकारी वर्ग को कार्यभार से मुक्ति 

उच्च अधिकारी प्रत्येक कार्य का निरीक्षण तथा निष्पादन उद्देश्य स्वयं नहीं कर सकते। इसके अतिरिक्त वे नियोजन तथा नियन्त्रण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में व्यस्त रहते हैं। अतः प्रत्यायोजन उच्च अधिकारी वर्ग को अधीनस्थ अधिकारियों को कार्य-भार सौंपने  में सहायक हैं। 

2. कार्रवाई में सुधार 

प्रत्यायोजन के अभाव में कुछ अधिकारियों के पास कार्यभार अत्यधिक होगा जब कि कुछ अधिकारियों के पास बहुत ही कम कार्यभार होगा। प्रत्यायोजन संगठन की कार्रवाई में विवेकीकरण लाने में सहायक हैं। विभिन्न कर्मचारियों में कार्य विभाजन इस प्रकार किया जाता है कि इसका निष्पादन कुशलता से किया जा सके इससे किसी भी अधिकारी के पास अत्यधिक नही होगा तथा न न ही कार्य उपेक्षित रहेगा।

3. विशेषज्ञों का उपयोग 

विभिन्न कार्यों के निष्पादन के लिए विशेषज्ञों की सेवाएं प्राप्त की जाती हैं। उत्पादन विभाग का प्रबन्धक उत्पादन कार्य, विपणन प्रबंधक विपणन विभाग का कार्य, एक वकील अपने कार्य क्षेत्र तथा इसी प्रकार अन्य अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र से संबंधित कार्य भार को निष्पादन करेंगे। विभिन्न कार्यों के विशेषज्ञों का उपयोग कार्य की किस्म के सुधार में होगा। 

4. कर्मचारी वर्ग के विकास में सहायक 

जब अधीनस्थों को स्वतंत्र रूप से कार्य-भार सौंपा जाता है तो वे अपने व्यक्तिगत अनुभव तथा यथाशक्ति का उपयोग करने की स्थिति में हो जाते हैं। यह उनमें अतिरिक्त उत्तरदायित्व उठाने का आत्मविश्वास पैदा करता हैं। प्रत्यायोजन के अभाव में अधीनस्थों को अपना ज्ञान तथा अनुभव उपयोग करने का अवसर प्राप्त नहीं होता। अधिकारों का प्रत्यायोजन अधिकारी वर्ग के विकास का सर्वोत्तम ढंग है तथा उन्हें भविष्य मे अधिक उत्तरदायित्व का भार उठाने के लिए तैयार किया जाता है। 

5. विस्तार तथा नाना-रूपकरण में सहायक 

व्यवसाय के विस्तार तथा न नाना-रूपकरण के लिए अधिक से अधिक कर्मचारी वर्ग की सेवाओं की आवश्यकता बनी रहती हैं। अधीनस्थों को विभिन्न कार्यभार सौंपे जाने से वह व्यवसाय में नए कार्यों के उत्तरदायित्व उठाने के लिए सक्षम होंगे। यदि अधीनस्थों को पहले कभी महत्वपूर्ण नहीं सौंपा गया हो तो उन्हें सीधे ही स्वतंत्र रूप से अतिरिक्त कार्यभार सौंपा जाना क्षतिपूर्ण हो सकता हैं। विस्तार तथा नाना-रूपकरण योजनाओं को अमल में लाने हेतु प्रत्यायोजन अत्यन्त लाभकारी होगा।

प्रत्यायोजन के प्रकार (pratyayojan ke prakar)

प्रत्यायोजन को निम्नवत रूप से विभक्त किया जा सकता हैं-- 

1. सामान्य या विशिष्ट प्रत्यायोजन 

(अ) सामान्य प्रत्यायोजन 

आयोजना, संगठन, निर्देशन आदि जैसे सामान्य प्रबन्धकीय कार्य करने के लिए जब प्राधिकार दिए जाते हैं तब अधीनस्थ प्रबन्धकों द्वारा ऐसे कार्यालापों और ऐसे उत्तरदायित्व को करने के लिए अपेक्षित प्राधिकार का सहर्ष उपयोग किया जाता हैं। मुख्य कार्यपालक द्वारा समग्र रूप से नियंत्रण किया जाता है और समय-समय पर अधीनस्थों का मार्गदर्शन भी किया जाता है। 

(ब) विशिष्ट प्रत्यायोजन 

इसका संबंध किसी निर्दिष्ट कार्यालाप या समानदेशित कार्य से हो सकता है। उत्पादन प्रबन्धक को अपना कार्यालाप करने के लिए उसे प्रत्यायोजित किया गया प्राधिकार एक विशिष्ट प्रत्यायोजन होगा। विभिन्न विभागीय प्रबन्धकों को अपने विभागीय कर्तव्यों के निर्वाह के लिए विशिष्ट प्राधिकार मिला करते हैं। 

2. औपचारिक या अनौपचारिक प्रत्यायोजन 

(अ) औपचारिक प्रत्यायोजन 

यह संगठनात्मक संरचना का अंश है। जब किसी व्यक्ति को कोई कार्य सौंपा जाता है तब उसे अपेक्षित प्राधिकार भी सौंपा जाता है। ऐसा प्रत्यायोजन तो संगठन का सामान्य कार्यालाप हैं। प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्त्तव्यों के अनुरूप स्वमेव रूप से प्राधिकार भी दिए जाते हैं। जब उत्पादन प्रबन्धक को उत्पादन में वृद्धि करने की शक्ति प्रदान की जाती है तो यह प्राधिकार का औपचारिक प्रत्यायोजन हुआ करता हैं। 

(ब) अनौपचारिक प्रत्यायोजन 

इसकी उत्पत्ति पदभार के कारण नहीं होती, बल्कि परिस्थितियों के अनुरूप होती हैं। किसी व्यक्ति द्वारा कोई निर्दिष्ट कार्य हाथ में लिया जा सकता हैं इसलिए नही कि इसके लिए उसे समुनेदेशित किया गया हो बल्कि मान्य कार्य करने के लिए उसे इसकी आवश्यकता हो।

3. लिखित या अलिखित प्रत्यायोजन 

(अ) लिखित प्रत्यायोजन 

इसे पत्रों, अनुदेशों, परिपत्र आदि के माध्यम से प्रदान किया जाता हैं। 

(ब) अलिखित प्रत्यायोजन 

यह परम्परागत; प्रथागत आदि के माध्यम से होता है।

4. नीचे की ओर या ऊपर की ओर प्रत्यायोजन 

(अ) नीचे की ओर प्रत्यायोजन 

यह वरिष्ठ द्वारा अपने तात्कालिक अधीनस्थ को किए जाने वाला प्राधिकार का प्रत्यायोजन हैं। यह प्रत्यायोजन का सामान्य प्रकार है और प्रत्येक प्रकार की संस्था में इसका उपयोग किया जाता हैं। 

(ब) ऊपर की ओर प्रत्यायोजन

ऐसा तब होता है जब किसी अधीनस्थ द्वारा अपने कार्यों में से कुछ को अपने वरिष्ठ के हाथों सौंपता हैं। यह प्रत्यायोजन का असामान्य प्रकार हैं, और इसके उदाहरण शायद कभी-कभार ही मिला करते हैं। 

(स) प्रशासनिक, कार्यात्मक या तकनीकी प्रत्यायोजन 

प्रशासनिक कार्य के निष्पादन के लिए किया जाने वाला प्रत्यायोजन को प्रशासनिक प्रत्यायोजन कहा जाता हैं। कार्यालाप के आधार पर किए जाने वाले प्रत्यायोजन को कार्यात्मक प्रत्यायोजन और युक्तिमूलक कार्यालापों के प्रत्यायोजन को तकनीकी प्रत्यायोजन कहा जाता हैं।

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