कार्य नीति क्या है?
कार्यनीति एक सैनिक शब्द हैं। इस बारे में मि. हग मैकमिलन तथा मोहन टैम्पो ने ठीक कहा हैं," अगर हम इस समानता को स्वीकार करते है कि व्यवसाय एक युद्ध है तब कार्यनीति का सैनिक प्रारूप कार्यनीतिक खोज का एक महत्वपूर्ण प्रारम्भिक बिन्दु हो सकता हैं।
कार्यनीति की विचारधारा को परम्परागत तथा आधुनिक दोनों ही रूपों में देखा जाता हैं। कार्यनीति की परंपरागत विचारधारा तार्किक तथा न्याय-संगत नियोजन प्रक्रिया का ही एक उत्पाद हैं। इस रूप में," कार्यनीति नियोजन का विज्ञान है तथा सैनिक क्रियाओं का एक निर्देशन है।"
रेनडाल बी. दुनहम तथा जाॅन एच. पियर्स के शब्दों में," कार्यनीति उपलब्ध विभिन्न संसाधनों द्वारा संगठन तथा उसके वातावरण में सामन्जस्य प्राप्त करने की कला तथा विज्ञान हैं।"
प्रो. लाॅरेन्स आर. जाॅक तथा विलियम एफ. गुलिक के शब्दों में," कार्यनीति एक समकालिक, व्यापक एवं पूर्ण नियोजन क्रिया है, जिसके द्वारा व्यावसायिक वातावरण में व्याप्त चुनौतियों का सामना उपलब्ध संसाधनों से किया जाता है, ताकि अधिक से अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके। कार्यनीति यह सुनिश्चित करती है कि उद्योग का मूलभूत लक्ष्य संगठन में सही क्रियान्वयन द्वारा प्राप्त किया जा सकता हैं।"
एल्फरेड डी. चांदलर के अनुसार," कार्यनीति में किसी उपक्रम या उद्यम के आधारभूत दीर्घकालीन लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को निर्धारित किया जाता है तथा उन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए संसाधनों का वितरण एवं कार्यकलापों का प्रयोग लाया जाता हैं।"
अन्य शब्दों में," कार्यनीति से अभिप्राय एक आदर्श या एक ऐसी योजना से है जो संगठन के महत्वपूर्ण लक्ष्यों, नीतियों तथा क्रियाओं को क्रमबद्ध रूप में पूर्णरूप से संयोजित करके एकीकृत करती है। यह एक निर्देशन तथा संगठन की सीमा है, जिसके अन्तर्गत दीर्घकालीन संसाधनों का बदलते हुए वातावरण के अनुसार इस प्रकार मिलान किया जाता है जिससे वे आदर्श रूप में तथा विशेष तौर से बाजार ग्राहकों एवं ऋणदाताओं के अनुकूल हो, ताकि शेयरधारकों की आशाओं (अपेक्षाओं) को पूरा किया जा सके।
प्रो. हेनरी मिन्टजबर्ग के अनुसार," कार्यनीति की आधुनिक विचारधार में पूर्व नियोजित सोच तथा विचारों का होना गलत है। उन्होंने 'नियोजित विचारधार पहुँच' का पूर्ण रूप से विरोध किया हैं वे आगे कहते है कि कार्यनीति बिना किसी औपचारिक नियोजन के मुकाबले संगठन के अंदर से प्रवाहित होती है। बुरी से बुरी परिस्थिति में भी कार्यनीति का प्रादुर्भाव (जन्म) संगठन के निम्न स्तर से भी हो सकता हैं। भले ही उसके लिए कोई औपचारिक नियोजन न भी किया जाये। मिन्टजबर्ग के अनुसार," कार्यनीति 'निर्णयों के स्त्रोत (प्रवाह) को कार्य रूप में परिवर्तित करने का तरीका हैं।"
तरीका उसी का एक उत्पाद है, जिसे नियोजित किया जाता हैं। कार्यनीतियाँ वास्तव में प्राप्त की जाती हैं, अथवा आपातकाल (अनियोजित) में जन्म लेती हैं।
कार्यनीति की विशेषताएं
कार्यनीति कार्य करने का एक ऐसा तरिका है जिसमें संगठन अपने वर्तमान लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वातावरण के साथ तालमेल करता हैं। एक सुदृढ़ (मजबूत/स्वस्थ) कार्यनीति की मुख्य निम्नलिखित विशेषताएं हैं--
1. कार्यनीति फर्म के वातावरण से संबंध जोड़ती हैं
कार्यनीति संगठन को उसके वातावरण के साथ जोड़ती है, विशेषतया बाहरी कार्यों के साथ चाहे उसमें उद्देश्यों का निर्धारण हो या विभिन्न क्रियाओं का एक समुदाय हो अथवा दुर्लभ संसाधनों का इस्तेमाल करना हो, जो उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक होते है। इसका अर्थ यह है कि प्रबन्ध के लिए यह एक पद्धति विचारधारा है जिसमें फर्म को केवल एक उपरीति/विधि के रूप में लिया जाता है जबकि उसके ऊपर वातावरण मुख्य रूप से कार्य करता है। अर्थात् वातावरण तथा फर्म एक दूसरे को अपने परिवर्तित रूप में प्रभावित करते है किसी एक में परिवर्तन होने पर दूसरे में परिवर्तन करना आवश्यक हो जाता हैं।
2. कार्यनीति तत्त्वों को मिलाती हैं
कार्यनीति एक ऐसा साधन है जिसमें आन्तरिक तथा बाहरी तत्त्वों का मिलान किया जाता है। जैसा कि कार्यनीति एक संगठनात्मक वातावरण के लिए एक यंत्र के रूप में कार्य करती है, संगठन में प्रबंध को आन्तरिक तत्त्वों को ध्यान में रखना होता है क्योंकि प्रत्येक फर्म की अपनी ताकत तथा कमजोरी होती है। फर्म जो भी प्राप्त करना चाहती है उसके लिए उसे अपनी ताकतों (सामर्थ्य) तथा कमजोरियों को पहले से ही देखना होगा। अवसरों का लाभ उठाने के लिए, उससे जुड़े हुए खतरों को पहले ही देखना होगा, उसके बाद में ताकत तथा कमजोरियों को पहचानना होगा। इसके लिए बहुत ही विचारशील पर्यवेक्षक की आवश्यकता होगी जो प्रत्येक क्रिया कार्य पर ध्यान दे सके।
3. कार्यनीति संबंधित क्रियाओं का संयोग है
कार्यनीति विभिन्न क्रियाओं का एक ऐसा मिश्रण है जो अन्य क्रियाओं से जुड़ा हुआ है अर्थात् अपने आप में स्वतंत्र नहीं है। कार्यनीति के द्वारा निश्चित समस्याओं का हल किया जाता है या इच्छित लक्ष्यों (उद्देश्यो) को प्राप्त किया जाता है। धन, समय तथा कौशल (बुद्धि) का समन्वय परिस्थिति के अनुसार भिन्न-भिन्न होगा जो विभिन्न विचारधाराओं के आधार पर निर्भर करता है। इस अर्थ में कार्यनीति काफी लोचशील है जिसे अन्तिम लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किसी भी रूप में बदला जा सकता हैं। इसलिए कहा गया हैं कि," उत्तर प्रश्न की प्रकृति पर निर्भर करता हैं।"
4. कार्यनीति वातावरण पर अधिक निर्भर करती है
कार्यनीति वातावरण के आन्तरिक तथा बाहरी विचलनों के साथ कार्य करती है। कोई भी व्यक्ति कार्य नीति के स्थायित्व की आशा नही कर सकता। जैसे-जैसे वातावरण की परिस्थितियों में परिवर्तन आता है, उसी के अनुसार संगठन को जीवित रखने के लिए संगठनात्मक कार्यनीतियों में भी बदलाव लाना पड़ता है। एक कार्यनीतिक प्रबन्धक-आज जो कार्य करता है, अगले दिन पूर्ण रूप से उसके विपरीत कार्य करता है क्योंकि आज कल नही है तथा कल आज नही है। वह भूत, वर्तमान तथा भविष्य को मान्यता (महत्ता) प्रदान करता है लेकिन भविष्य पर बल देता है, जो निश्चित रूप से अनिश्चित होता है।
5. कार्यनीति आगे की ओर देखती हैं
एक सुदृढ़ (कार्यनीति) में संगठन के लिए भविष्य में क्या होना है इस पर ध्यान दिया जाता है। व्यावसायिक परिस्थितियाँ अपने पूर्ण परिमाण (मात्रा) में बदलती है जिसमें वर्तमान परिस्थितियाँ अप्रचलित हो जाती है, उसके स्थान पर नयी परिस्थितियाँ आ जाती है, तथा उन्हें हल करने के लिए सृजनात्मक विचारधारा को को अपनाना पड़ता है ताकि उनके साथ तालमेल बैठाया जा सके। भूलकाल बीत गया है, वर्तमान बीतने जा रहा है लेकिन आने वाला कल एक उदय होने वाला सूर्य है, जिसमें आवश्यकताओं को पूरा किया जाना है, तथा कार्यनीतिक क्रियाओं द्वारा उन वस्तुओं का निर्माण किया जाता है जो आपके तथा आपकी फर्म के अनुकूल हैं। इसलिए किसी ने ठीक ही कहा हैं, तुम क्या थे, तुम क्या हो- यह महत्वपूर्ण नहीं हैं- लेकिन यह अधिक महत्वपूर्ण है कि कल तुम क्या होगे?
6. कार्यनीति एक जटिल प्रक्रिया हैं
किसी भी कार्यनीति के बारे में यह कहना महत्वपूर्ण है कि यह एक जटिल योजना है जिसका निर्माण तरीके से (विधिपूर्वक) किया जाता है जो विभिन्न योजनाओं का एक मिश्रण है तथा जिसमें उन संगठनात्मक उद्देश्यों को भी सम्मिलित किया जाता हैं, जिन्हें एक संगठन प्राप्त करता है। कार्यनीति एक सार है अथवा विभिन्न योजनाओं का मिश्रण है जिसके अन्तर्गत दूसरों (प्रतियोगियों) की शक्ति तथा सामर्थ्य को अपनी सहायक क्रियाओं द्वारा समाप्त किया जाता हैं। यह संसाधनों के विभाजन तथा उनके विकास का रास्ता दिखाती है ताकि वातावरण पर पड़ने वाले प्रभाव, दबाव को रोककर उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।
कार्यनीति के आधार
एक संगठन में कार्यनीतिक विकल्पों की खोज कहाँ तक की जाती है यह कार्यनीतिक निर्णय प्रक्रिया पर निर्भर करता है। हेनरी मिन्टजबर्ग के अनुसार इसके लिए मूल रूप से तीन विचारधाराएं है अर्थात् साहसी, स्वीकार्य तथा नियोजन। प्रत्येक विचारधाराओं में कार्यनीतिक विकल्पों के पहचान की सीमा भी भिन्न-भिन्न होती हैं, जिसका संबंध विचारधारा से नहीं होता। प्रबन्धकों को कार्यनीतिक विकल्पों की पहचान के लिए, उन्हें बड़ी संख्या में कार्यनीतियों का निर्माण करना होता है, इन कार्यनीतियों को कई रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता हैं--
1. क्षेत्र के आधार पर
जब कार्यनीतियों का वर्गीकरण क्षेत्र के आधार पर किया जाता है तब कार्यनीतियों को 'मास्टर' , 'विशाल', 'सामान्य', 'मूलकार्यनीतियाँ' तथा 'परियोजना' कार्यनीतियों के रूप में जाना जाता हैं।
2. स्तर के आधार पर
जब इन कार्यनीतियों के वर्गीकरण का आधार 'स्तर' लेते हैं तब कार्यनीतियाँ 'निगम' या 'विभागीय' कार्यनीतियाँ कहलाती हैं। जब निगम कार्यनीतियों का अनुसरण करने के लिए विभागीय कार्यनीतियों को विकसित किया जाता है तब उन्हें 'उप-कार्यनीतियों' के रूप में जाना हैं।
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