नीति का अर्थ (niti kaise kahte hai)
नीति वह सिद्धांत है जिस पर कोई माध्यम या कार्य का तरिका निर्भर होता हैं।
शब्दावली 'policy' को यूनानी शब्द 'politeia' से लिया गया है जिसका अर्थ एक स्पष्ट तथा प्रकाशित polity हैं। न्यू वेबस्टर अंग्रेजी शब्दकोश के अनुसार नीति का अर्थ राष्ट्र को प्रशासित करने की कला या तरिका है, वह व्यवहार का तरिका है जो एक देश के शासक विशेषतः विदेशी देशों के संबंध में एक विशिष्ट प्रश्न पर अपनाते है।
नीति की परिभाषाएं (niti ki paribhasha)
जाॅर्ज आर. टेरी के अनुसार," नीति एक शाब्दिक लिखित या सांकेतिक पूर्ण निर्देशिका हैं जो उन सीमाओं को तय करती है जो सामान्य सीमाएं एवं दिशाएं उपलब्ध कराते है जिनमें प्रबन्धकीय क्रियाएं की जाएंगी।'
कूंट्स तथा ओडोनल के अनुसार," नीतियाँ उस क्षेत्र को सीमित करती है जिसके अंतर्गत एक निर्णय लिया जाना है एवं सुनिश्चित करती है कि निर्णय उद्देश्यों के अनुरूप होगा एवं उसमे योगदान करेगा।"
क्रिस्टनसेन एवं अन्य ने व्यापारिक नीति को निम्न तरह परिभाषित किया हैं," वरिष्ठ प्रबंध के कार्यों तथा जिम्मेदारियों का अध्ययन, महत्वपूर्ण समस्याएं जो कुछ संस्थान मे सफलता को प्रभावित करती है तथा निर्णय जो संगठन में दिशाओं को निर्धारित करते है एवं इसके भविष्य को आकार देते हैं।"
वह आगे कहता है कि व्यापारिक नीति का संबंध प्रतियोगिता या विपरीति परस्थितियों की स्थिति में ध्येयों की प्राप्ति के लिए संसाधनों की गतिशीलता से भी हैं।
उपरोक्त वर्णित परिभाषाओं से स्पष्ट है कि नीति में दीर्घकालीन उद्देश्यों को तय करना शामिल है जो उत्पाद बाजार में संगठन की किस्मत, इसके आकार तथा स्थिति को निर्देशित करेगा, साथ ही मानवीय क्षमताओं, पूँजी, प्लांट तथा उपकरण, सामग्रियों तथा ऊर्जा के संसाधनों पर तय करेगा जिनकी जरूरत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए होगी। दूसरी तरह से कहने पर नीतियाँ निर्णयन तथा क्रिया पर प्रबन्धकीय सोच-विचार के लिए विशिष्ट निर्देशिकाएं तथा बाधाएं हैं।
आदर्श नीतियों विशेषताएं (niti ki visheshta)
एक आदर्श नीति में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए--
1. लोचशील
नीति लोचशील होना चाहिए जिसे परिवर्तित व्यावसायिक पर्यावरण की जरूरत के अनुसार बदला जा सके।
2. स्पष्टता
हर व्यापारिक नीति स्व-स्पष्ट तथा आसान होनी चाहिए ताकि उसे कर्मचारियों द्वारा आसानी से समझा जा सके।
3. वास्तविक
नीति के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए, यह नोट किया जाना चाहिए कि नीतियाँ वास्तविक होनी चाहिए। जब नीतियों को प्रयोग में नही लाया जा सकता, तब ऐसी नीतियों के निर्माण का कोई मतलब नहीं रहता।
4. उद्देश्यों के प्रति योगदान
नीतियों को निर्मित करते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नीतियाँ व्यापारिक उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम है क्योंकि नीतियाँ, उद्देश्यों को पाने के उपकरण हैं।
5. तर्कपूर्ण
नीति को निर्मित करते समय जिम्मेदार व्यक्ति को अधिकतम सावधानी रखनी चाहिए क्योंकि आज की नीतियाँ कल कंपनी की लाभदायकता तथा ख्याति को प्रभावित करेंगी।
6. सहमति
नीति को बनाते समय यह नोट करना चाहिए कि कर्मचारियों के साथ प्रभावी विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।
7. पुनर्रीक्षण
यह सलाह दी जाती है कि एक बार निर्माण के बाद नीतियों का समय-समय पर परीक्षण करना चाहिए एवं जरूरत आने पर उन्हें बदलना चाहिए।
नीतियों के प्रकार (niti ke prakar)
नीतियों के निम्नलिखित प्रकार हैं--
1. संगठनात्मक नीतियाँ
इन नीतियों का संबंध संपूर्ण के रूप में संगठन से होता हैं एवं वे प्रत्यक्षतः संगठनात्मक उद्देश्यों की प्राप्ति में सहयोग करती है। इन्हें कई बार प्रमुख नीतियाँ कहा जाता है जैसे यदि एक संगठन का प्रमुख उद्देश्य 'वृद्धि' है तब संगठनात्मक नीति, जो प्रत्यक्षतः इस उद्देश्य को प्राप्त करने में सहायता करेगी विविधीकरण करने की हो सकती है अर्थात् उत्पादों की एक नई रेखा को प्रारम्भ या विकसित करना।
2. सहयोगात्मक नीतियाँ
ये वे नीतियाँ है जो संगठनात्मक नीतियों की सहायता करती हैं। अन्य शब्दों में, संगठनात्मक नीतियों के उचित क्रियान्वयन के लिए, सहयोगात्मक नीतियाँ बनाई जाती है। ऊपर बताए उदाहरण को जारी रखते हुए सहयोगात्मक नीति बाजार शोध करने की हो सकती है ताकि ग्राहकों की इच्छाओं तथा फैशनों को जाना जा सके तथा उनके अनुसार नए उत्पाद को विकसित किया जा सके।
3. विभागीय नीतियाँ
ये वे नीतियाँ है जिनका संबंध सिर्फ एक विशिष्ट विभाग के दिन-प्रतिदिन के ऑपरेशन से होता है जैसे यदि एक हफ्ते के अंदर भुगतान किया जाता है तो ग्राहकों को 5% नगद छूट देना एवं यह नीति सिर्फ विपणन विभाग से संबंधित होती हैं।
4. संयुक्त नीति
एक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एक टीम बहुत सी नीतियों को अपना सकती है। एक साथ ये सब नीतियाँ संयुक्त नीतियाँ कहलाती है जैसे एक फर्म का उद्देश्य विक्रय को 25% से बढ़ाना हो सकता है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए निम्न संयुक्त नीतियाँ अपनाई जा सकती हैं--
(अ) विक्रय प्रतिनिधियों के कमीशन को बढ़ाना।
(ब) ग्राहकों को साख सुविधा उपलब्ध कराना।
(स) एक लाख से ज्यादा के क्रय वाले ग्राहकों को मुफ्त उपहार।
(द) विज्ञापन पर ज्यादा जोर देना।
(ई) उत्पाद का मूल्य नीचे गिराना।
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