प्लास्टिक की दुनिया पर निबंध (Plastic Ki Duniya Essay in Hindi)
plastic par nibandh in hindi;आज के समय में प्लास्टिक इतना अधिक बढ़ गया है कि इसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते। यदि आज की दुनिया को आप प्लास्टिक की दुनिया कहेंगे, तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं क्योंकि जहां देखो वहां प्रत्येक वस्तु प्लास्टिक की बनी पड़ी है। छोटे से छोटे सामान जैसे कि बच्चों के खिलौने, सामान रखने के लिए प्लास्टिक के डिब्बे, कपड़ों के लिए प्लास्टिक बैग या फिर खाने-पीने के सामानों को रखने के लिए बिस्कुट और चॉकलेट के प्लास्टिक आदि में प्लास्टिक का इस्तेमाल होने लगा है। अब ऐसे में अगर हम कहें कि आज हम प्लास्टिक की दुनिया में जी रहे हैं तो कुछ गलत नहीं होगा।
आज हम बात करने वाले हैं >प्लास्टिक की दुनिया पर निबंध (plastic ki duniya essay in hindi) प्लास्टिक प्रदूषण और प्लास्टिक के नुकसान के बारे में, जिसके अंतर्गत प्लास्टिक के प्रयोग, इसके फायदे और नुकसान, प्लास्टिक बैन को लेकर सरकार द्वारा उठाए गए कदम आदि से संबंधित जानकारी मौजूद होगी।
दोस्तों! जैसा कि हम सभी जानते हैं प्लास्टिक पॉलीमर से निर्मित एक प्रोडक्ट है, जो ना तो पानी में घुल सकता है और ना ही जलाने पर यह पूरी तरह से नष्ट होता है। प्लास्टिक को अंग्रेजी में “पॉलिथीन” भी कहा जाता है, जो पर्यावरण को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाती है। पॉलिथीन आज हमारे डेली लाइफ को इतना ज्यादा प्रभावित कर रहा है जिसके बारे में हम सोच भी नहीं सकते।
भले ही मनुष्यों ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी आविष्कार किए हैं लेकिन कई बार यह अविष्कार मनुष्य पर ही भारी पड़ जाते हैं। प्लास्टिक भी इन्हीं आविष्कारों में से एक है क्योंकि हम जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से प्लास्टिक का उपयोग करते हैं लेकिन अनजाने में ही सही, हम इसका उपयोग इतना अधिक करने लगे हैं कि आज ये हमारे वातावरण पर अपना दुष्प्रभाव छोड़ने लगी हैं।
प्लास्टिक का प्रयोग
अपने संपूर्ण दिनचर्या में हम प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत अधिक करते हैं जैसा कि हमने बताया छोटे से छोटे सामानों से लेकर बड़े से बड़े सामानों को रखने के लिए प्लास्टिक के थैलों या फिर प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल किया जाता है। अब शुरुआत अगर हम अपने घर से ही करें तो लिविंग रूम में रखी सजावट की कई वस्तुएं प्लास्टिक की होती है, रसोई घर में छोटे-छोटे सामानों के लिए प्लास्टिक के डिब्बों का इस्तेमाल किया जाता है, किताब कॉपी के लिए भी प्लास्टिक से बने कवर इस्तेमाल होते हैं। इसके अलावा दुकानों में सामान को लेने के लिए तुरंत हम प्लास्टिक की मांग कर बैठते हैं। इस तरह देखा जाए तो छोटी चीजों के लिए भी आज हम प्लास्टिक पर निर्भर हो गए हैं और इसका प्रयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
प्लास्टिक से होने वाले नुकसान
भारत में प्लास्टिक की शुरुआत आज से नहीं बल्कि 60 के दशक से हुई है। इसकी उत्पत्ति सेलूलोज डेरिवेटिव में हुई, ऐसा माना जाता है। प्लास्टिक से वातावरण को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। इससे हम ही नहीं बल्कि हमारा समाज और हमारा पर्यावरण भी दिन प्रतिदिन प्रभावित होता जा रहा है और यह गति इतनी धीमी चल रही है कि प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से हम अवगत ही नहीं हो पा रहे हैं। आइए जानते हैं प्लास्टिक से होने वाले नुकसान (plastic ke nuksan) के बारे में, जिन्हें निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से देखा जा सकता है--
1. किसी भी तरह के खाद्य पदार्थ या पेय पदार्थों को पॉलिथीन या पॉलिथीन से बने किसी डिब्बों में रखने पर यदि हम उनका इस्तेमाल करते हैं तो हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
2. पॉलिथीन के इधर-उधर उड़ते रहने से पशुओं के उन प्लास्टिक को खा लेने के चांसेस बढ़ जाते हैं जिससे उनके जान को भी खतरा बन जाता है।
3. प्लास्टिक या पॉलिथीन जिसका इस्तेमाल हम सामानों को लाने और ले जाने में करते हैं, उसका इस्तेमाल होने के बाद हम उसे घर के बाहर फेंक देते हैं या फिर डस्टबिन में डाल देते हैं लेकिन ये प्लास्टिक बह कर नालों या पानी के ड्रेन में फंस जाते हैं। इसके बाद नाले के पानी का प्रवाह रुक जाता है और नाली का पानी बाहर निकल कर चारों तरफ फैलने लगता है।
4. पॉलीथिन के नुकसान की बात करें तो जैसा कि हमने बताया पॉलिथीन पॉलीमर से बनने वाला एक तरह का प्रोडक्ट होता है जिससे कि यह नष्ट नहीं होता। यह ना तो मिट्टी में सड़ सकता है और ना ही जल में घुल सकता है। इसलिए यह हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है।
5. बड़े-बड़े खेत खलिहानों में प्लास्टिक के आ जाने से पौधों के बढ़ने में भी यह बाधा पैदा करता है।
6. हमारे आसपास फेंके हुए प्लास्टिक धीरे-धीरे अपघटित होते जाते हैं। इसके बाद इनसे निकलने वाले रसायन वातावरण में खुलने लगते हैं जो हमारे वातावरण को प्रभावित करता है।
7. प्लास्टिक से बने सामान या फिर प्लास्टिक कचरे जब समुद्र में फेंक दिए जाते हैं या फिर समुद्र के आसपास पड़े हुए रहते हैं तब समुद्री जीव अथवा पक्षी अनजाने में इन्हें निगल जाते हैं, जो उनके स्वास्थ्य को हानि पहुंचाता है।
दुनिया में प्लास्टिक की मात्रा
दुनिया भर में जिस प्रकार प्लास्टिक की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो रही है, वह समय दूर नहीं जब प्लास्टिक से होने वाले नुकसान इतने अधिक बढ़ जाएंगे कि मनुष्य उसकी रोकथाम करने में असमर्थ हो जाएगा। पिछले 50 सालों की बात करें तो हमने प्लास्टिक का इतना अधिक इस्तेमाल किया है जितना किसी भी वस्तु का नहीं किया होगा। आंकड़ों के मुताबिक देखा जाए तो सन् 1960 में बनने वाली प्लास्टिक की कुल मात्रा 50 टन थी जबकि आज यह मात्रा बढ़कर 300 करोड़ टन से भी अधिक हो गई है।
World Economic Forum की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस बात का खुलासा किया गया कि दुनिया की तो छोड़िए सिर्फ भारत में ही हर साल 56 लाख टन प्लास्टिक का कचरा बन रहा है। इतना ही नहीं इसके अलावा समुद्र में प्लास्टिक के जिन कचरों को फेंका जा रहा है, उनमें से लगभग 60% कचरा भारत से है। भारत में प्लास्टिक के इन कचरों की मात्रा को देखकर यह कहना गलत होगा कि सारे कचरे भारत के ही हैं क्योंकि कई देश अपने प्लास्टिक के कचरे को किसी न किसी तरीके से भारत भेज देते हैं।
शायद आपको इस बात की जानकारी नहीं लेकिन बता दें कि 25 से ज्यादा देश ऐसे हैं, जो अपने देश से लगभग 1,21,000 मीट्रिक टन कचरा भारत को निर्यात कर देते हैं। इनमें से पाकिस्तान और बांग्लादेश से ही 55,000 मीट्रिक टन प्लास्टिक का कचरा आ जाता है। इसके अलावा मिडिल ईस्ट, अमेरिका और यूरोप जैसे देशों से भी भारत प्लास्टिक के कचरों का आयात करता है।
इस लेख प्लास्टिक की दुनिया पर निबंध के अंतर्गत अभी तक बताए गई जानकारी में यदि आप अभी तक यह नहीं समझ पाए कि आखिर भारत दूसरे देशों से क्यों प्लास्टिक आयात कर रहा है, तो आपको बता दें कि इन प्लास्टिक के कचरे को इकट्ठा कर भारत में रीसाइक्लिंग करने का प्रोसेस अपनाया जाता है। इसके तहत प्लास्टिक को फिर से रिसाइकिल कर इसका उपयोग किया जाता है।
संपूर्ण विश्व के प्लास्टिक उत्पादन करने वाले देशों के बारे में बात करें तो ऐसे देशों का नाम भी शामिल है, जो समुद्र में कचरा फैलाने वाले देशों की सूची में आते हैं। आंकड़ों के मुताबिक यह सूची निम्न प्रकार हैं--
चीन 88 लाख मीट्रिक टन,
इंडोनेशिया 32 लाख मीट्रिक टन,
फिलीपींस 19 लाख मीट्रिक टन,
वियतनाम 18 लाख मीट्रिक टन,
श्रीलंका 16 लाख मीट्रिक टन,
मिश्र 10 लाख मीट्रिक टन,
थाईलैंड 10 लाख मीट्रिक टन,
मलेशिया 9 लाख मीट्रिक टन,
नाइजीरिया 9 लाख मीट्रिक टन,
बांग्लादेश 8 लाख मीट्रिक टन,
अमेरिका 03 लाख मीट्रिक टन कचरा समुद्र में फैलाते हैं।
वर्तमान समय में प्लास्टिक की दुनिया
वर्तमान समय में प्लास्टिक का प्रयोग प्रत्येक वर्ष लगभग 15 हजार टन के आस-पास हो रहा है। हर साल यह इतने अधिक मात्रा में इकट्ठा हो रहे हैं कि इनके निस्तारण या इन्हें नष्ट करने का कोई उपाय मौजूद नहीं है। इसके निस्तारण से संबंधित कोई भी विकल्प मौजूद नहीं होने के कारण दिन प्रतिदिन प्लास्टिक के कचरे की मात्रा बढ़ती जा रही है। वैसे देखा जाए तो कुछ सालों पहले तक सिर्फ भूमि पर ही प्लास्टिक के कचरे देखने को मिलते थे लेकिन अब जिस तरह से हम प्रगति की ओर बढ़ते जा रहे हैं, हमारी जरूरतें बढ़ती जा रही है, ठीक उसी तरह से प्लास्टिक के कचरे की मात्रा में भी लगातार वृद्धि हो रही है। यह सिर्फ भूमि पर ही नहीं बल्कि जल में भी बहुत अधिक मात्रा में मिलने लगे हैं। जैसे कि समुद्र, नदियों और तालाबों के जल में अधिक मात्रा में प्लास्टिक के कचरे देखने को मिल जाते हैं। यही कारण है कि प्लास्टिक के कचरे समुद्री जीवो की भी मृत्यु का कारण बन रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक हर साल एक लाख से अधिक जलीय जीव ऐसे हैं जिनकी मृत्यु प्लास्टिक के कचरों के कारण हो रही है।
प्लास्टिक को बैन करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
पर्यावरण को प्लास्टिक से होने वाले खतरों से बचाने और देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए हमारे देश की सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। आंकड़ों के मुताबिक देखा गया है कि हर दिन भारत में 25,940 टन प्लास्टिक कचरा तैयार हो रहा है। आने वाले समय में यह और भी बड़ी परेशानी बन सकती है। देश को पॉलिथीन मुक्त बनाने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण प्रयास किये है, जो कहीं ना कहीं पॉलिथीन को कम करने में सक्षम साबित हुए है। प्लास्टिक को बैन करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम को निम्नलिखित रूप से देखा जा सकता है--
1. शहरों में नगर पालिका द्वारा डिस्पोजल पॉलीथिन के उपयोग पर रोक लगाया गया है। इसके फलस्वरूप पिछले कुछ वर्षों में प्लास्टिक के उपयोग में काफी कमी देखने को भी मिली है।
2. भारतीय वैज्ञानिकों ने प्लास्टिक की बोतलों को खत्म करने के लिए एक नए तरह के एंजाइमों का निर्माण किया है। इन एंजाइमों की मदद से प्लास्टिक के बोतलों को बेहद आसानी से तोड़कर उन्हें एकदम से नष्ट किया जा सकता है।
4. 2016 में जापान में जो प्लास्टिक के कचरे पड़े हुए थे, उनमें एक ऐसे जीवाणु का जन्म हुआ, जो प्लास्टिक को खाकर खत्म कर सकता है। इसके बाद वैज्ञानिक इस क्षेत्र में लगातार जुटे हुए हैं ताकि प्लास्टिक प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जाए।
5. प्लास्टिक को बैन करने के लिए सरकार ने लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से कई रैलियां भी निकाली ताकि लोग प्लास्टिक के नुकसान से अवेयर हो सकें और उनका उपयोग बंद कर सके।
6. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने सिंगल यूज प्लास्टिक के स्थान पर वैकल्पिक सामग्रियों के प्रयोग को प्रोत्साहित किया है।
9. 1 जुलाई 2022 से केंद्र सरकार ने प्लास्टिक से बने कुल 12 प्रकार की वस्तुओं की खरीद, बिक्री और मैन्युफैक्चरिंग पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं।
प्लास्टिक के प्रयोग को कम करने के लिए हमारे द्वारा किए जा सकने वाले प्रयास या प्लास्टिक को कम करने के लिए सुझाव
प्लास्टिक के दुष्प्रभावों से बचने के लिए हम कई ऐसे तरीके अपना सकते हैं जो बेहद सरल और घरेलू साबित होंगे। जैसे कि अगर देखा जाए तो हमारे द्वारा उठाए गए कुछ साधारण कदम ही हमें प्लास्टिक से मुक्ति दिलवा सकते हैं। प्लास्टिक को कम करने के लिए हम निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं--
1. जब भी हम बाजार सामान लेने के लिए जाते हैं तो सामान लेने के बाद हम उसे रखने के लिए प्लास्टिक दुकानदार से उसकी मांग करने लगते हैं ऐसे में यदि हम प्लास्टिक के बजाय कागज या कपड़े के बने थैले का इस्तेमाल करें तो यह हमारे पर्यावरण के लिए नुकसानदायक होने के बजाय फायदेमंद रहेगा। इसके लिए यह जरूरी है कि हम जब भी बाहर जाएं चाहे राशन खरीदने के लिए हो या फिर कपड़े, हमेशा अपने साथ कागज या कपड़े के बने थैलों का इस्तेमाल करें।
2. इसके अलावा जब हम ट्रैवल करते हैं तो हर बार पानी के बोतल खरीद लेते हैं और उसका इस्तेमाल करने के बाद उसे यूं ही ज्यादा फेंक देते हैं इससे बेहतर यह होगा जब हम अपने साथ हमेशा एक बोतल लेकर चले और जहां पानी की व्यवस्था देखें वहां उस बोतल में पानी भर ले ताकि हमें बार-बार पानी के बोतल ला खरीदने पड़े इससे पैसों की बचत के साथ-साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।
3. आज के समय में प्लास्टिक की रीसाइक्लिंग करने के बाद उसे इस्तेमाल कर चटाई या फिर ऐसे उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जिनका हम इस्तेमाल कर और प्लास्टिक लेने से बच सकते हैं। ऐसे तरीकों को आजमा कर प्लास्टिक के उपयोग को कम किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने लगाया सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन
सिंगल यूज प्लास्टिक के बारे में तो हम सभी जानते हैं। जिन लोगों को सिंगल यूज प्लास्टिक की जानकारी नहीं है उन्हें प्लास्टिक की दुनिया पर निबंध (plastic ki duniya per nibandh) के इस आर्टिकल में इसकी जानकारी मिल जाएगी। आपको जानकारी के लिए बता दें कि सिंगल यूज प्लास्टिक (single use plastic) ऐसे प्लास्टिक होते हैं, जिनका इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ एक बार ही किया जा सकता है।
सिंगल यूज प्लास्टिक का चूंकि एक बार इस्तेमाल होता है, इसलिए किसी और चीज में इसका इस्तेमाल करना संभव नहीं है। जैसे कि हम दूसरे प्लास्टिक का इस्तेमाल रीसाइक्लिंग कर दूसरे चीजों के लिए भी कर लेते हैं लेकिन सिंगल यूज प्लास्टिक, प्लास्टिक का एक ऐसा प्रकार होता है जिसे एक बार ही इस्तेमाल किया जाता है। इस वजह से इनके अधिक इस्तेमाल से वातावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
केंद्र सरकार ने जुलाई 2022 को सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने को लेकर एक अधिसूचना जारी की थी, जो हमारे देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने को लेकर एक बहुत बड़ा कदम साबित हुआ है। इस अधिसूचना के मुताबिक कोई भी व्यक्ति चाहे वह खरीददार हो या विक्रेता, सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करने पर यदि पकड़ा गया तो उससे जुर्माना लेने के साथ-साथ कड़ी सजा देने का प्रावधान रखा गया है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक के मैन्युफैक्चरिंग पर भी रोक लगा दिया है।
निष्कर्ष
हम उम्मीद करते हैं कि प्लास्टिक की दुनिया पर निबंध (plastic ki duniya per nibandh) पर आधारित हमारा यह यह लेख आपके लिए काफी महत्वपूर्ण रहा होगा। इस आर्टिकल के अंतर्गत आपने प्लास्टिक से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव, प्लास्टिक की मात्रा, प्लास्टिक का आयात और निर्यात के अलावा कई महत्वपूर्ण जानकारी जैसे वर्तमान समय में प्लास्टिक का कहर और इसकी स्थिति के बारे में जाना। इसके अलावा हमने प्लास्टिक की दुनिया पर निबंध (plastic ki duniya essay in Hindi) के अंतर्गत प्लास्टिक के प्रयोग को कम करने के उपाय, सरकार द्वारा उठाए गए कदम और सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन से संबंधित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई है।
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