रेखीय अभिक्रमित अनुदेशन की प्रक्रिया
रेखीय प्रोग्रामिंग के अन्तर्गत छात्रों को शिक्षण-सामग्री का एक छोटा-सा पद या अंश प्रस्तुत किया जाता हैं। इसके बाद उसे अच्छी तरह से समझकर संबंधित प्रश्न का उत्तर देता हैं। छात्र को उसका उत्तर सही या गलत होने का ज्ञान कराया जाता हैं। यदि उसका उत्तर सही है तो उसे पुनर्बलन मिलता है और वह अगले पद की ओर बढ़ जाता हैं। इस प्रकार एक पद के पश्चात प्रश्न के प्रश्चात्, उत्तर-पुनर्बलन तथा फिर दूसरा पद, प्रश्न-पुनर्बलन चलता चला जाता हैं, जब तक कि वह अन्तिम व्यवहार तक नहीं पहुँच जाता हैं।
रेखीय अभिक्रमति अनुदेशन की विशेषताएं
रेखीय अभिक्रमति अनुदेशन की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं--
1. एक रेखीय मार्ग
इसमें छात्र क्रमबद्ध रूप में विभिन्न छोटे-छोटे पदों के माध्यम से एक रेखीय पथ पर गति करते हुये अन्तिम व्यवहार तक पहुँचता हैं।
2. प्रति पोषण
इसमें छात्र की अनुक्रिया की जाँच करके सही अनुक्रिया के लिये पृष्ठा-पोषण की व्यवस्था होती हैं।
3. उद् बोधों का प्रयोग
इसमें प्रारंभ में अधिगम को सरल बनाने के लिये उद् बोध या संकेतों का प्रयोग किया जाता हैं, जिन्हें बाद में धीरे-धीरे हटि दिया जाता हैं।
4. नियंत्रित अनुक्रिया
अनुक्रिया एवं उसके क्रम पर नियंत्रण रखा जाता हैं।
5. छात्र के द्वारा होने वाली त्रुटी की कम संभावना
इस अभिक्रम में शिक्षण-सामग्री का निर्माण एवं प्रस्तुतीकरण इस प्रकार किया जाता है कि छात्र की त्रुटि की संभावना लगभग समाप्त हो जाती हैं।
6. मनोविज्ञान सिद्धांत पर आधारित
यह मनोविज्ञान के अधिगम सिद्धांतों पर आधारित हैं।
7. छात्र सक्रियता
अधिगम के समय छात्र सक्रिय क्रियाशील एवं तत्पर हो जाते हैं।
8. स्व-अध्ययन
यह स्व-अध्ययन के लिए मार्ग प्रशस्त करता हैं, जिससे विभिन्न मानसिक स्तरों के छात्रों को अपनी-अपनी गति के अनुसार सीखने के अवसर मिलते हैं।
9. स्पष्ट करने की क्षमता
यह अभिक्रम सम्प्रत्ययों को सरलता एवं सुगमता से स्पष्ट करने में सक्षम हैं।
10. पुनर्बलन
इसमें छात्र की प्रत्येक सही अनुक्रिया को पुनर्बलन किया जाता हैं, जिससे अधिगम प्रक्रिया अधिक प्रभावशाली हो जाती हैं।
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