7/07/2022

नियोजित पुनरावृत्ति कौशल क्या हैं? घटक, प्रकार

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नियोजित पुनरावृत्ति कौशल क्या हैं? (niyojit punaravriti kaushal ka arth)

इस कौशल के द्वारा शिक्षक पाठ के मुख्य बिन्दुओं जैसे सिद्धांतों, धारणाओं, परिभाषाओं, शब्दावली आदि को स्पष्ट करने के लिए सहयोग करते हैं। यह कौशल पाठ को विविध प्रकार से समझने के तरीके तथा तकनीक बताता है साथ ही मुख्य बिन्दुओं पर प्रकाश डालता हैं। नियोजित पुनरावृत्ति यदि गलत तरीके से की जाती है तो छात्रों में पाठ को लेकर शंका (Confusion) उत्पन्न हो जाती हैं अतः इस कौशल का प्रयोग/अभ्यास सावधानी पूर्वक करना चाहिए। छात्रों को पाठ की ओर आकर्षित करने के लिए एक ही नियम या सिद्धांत को कई बार दोहराना चाहिए जिससे उनकी समझ में आ जाए। 

छोटी कक्षाओं में अध्यापक नियोजित पुनरावृत्ति का बहुत उपयोग करते हैं विशेषतया गुणा के पहाड़े और अंग्रेजी शब्दों के अक्षर विन्यास के लिए इसका उद्देश्य होता हैं, कठिन व नीरस अंशों को भली प्रकार समझाना व याद कराना। उच्च कक्षाओं में भी अध्यापक को पुनरावृत्ति का उपयोग कर अपने पाठ को प्रभावी बनाना आना चाहिए। इस कौशल का उपयोग मुख्य विचार, प्रमुख शब्द सिद्धांत या संप्रत्यय की व्याख्या या स्पष्टीकरण करने और उनके प्रबलन हेतु होता हैं। इस कौशल द्वारा भिन्न दृष्टिकोणों के आधार पर प्रमुख बिन्दुओं की व्याख्ता की जाती हैं। 

नियोजित पुनरावृत्ति कौशल के घटक (niyojit punaravriti kaushal ke ghatk)

नियोजित पुनरावृत्ति कौशल के घटक निम्नलिखित हैं--

1. मुख्य बिन्दुओं का चयन 

शिक्षक को पाठ पढ़ाने से पूर्व पाठ के मुख्य बिन्दुओं का चयन करना चाहिए जिनकी पुनरावृत्ति शिक्षण के दौरान होनी हैं। 

2. क्रम निर्धारण 

जिन बिन्दुओं की पुनरावृत्ति होनी हैं उनका क्रम निर्धारित करना आवश्‍यक होता हैं जिससे छात्रों की रूचि बनी रहे। एक ही चीज को बार-बार दोहराने से छात्रों का मन उबने लगता हैं तथा वे कक्षा में रूचि नहीं लेते हैं। 

3. पुनरावृत्ति की विधि 

छात्रों की रूचि को बनाए रखने के लिए प्रकाशित (Highlighted) बिन्दुओं की पुनरावृत्ति कई प्रकार से होनी चाहिए जिससे छात्रों को समझने में सरलता हो तथा शिक्षक पाठ को पूर्ण रूप से कंठस्थ कराने में सक्षम हो। 

4. प्रासंगिकता 

शिक्षण के दौरान शिक्षक जिन बिन्दुओं की पुनरावृत्ति करता हैं उसमें प्रासंगिकता होनी चाहिए। अनावश्यक पुनरावृत्ति छात्रों का ध्यान भंग करने के लिए उत्तरदायी हो सकती हैं। साथ ही साथ ये बिन्दु पाठ से संबंधित होने चाहिए।

नियोजित पुनरावृत्ति के प्रकार (niyojit punaravriti kaushal ke prakar)

नियोजित पुनरावृत्ति का यदि कुशलतापूर्वक उपयोग किया जाये तो नियोजित पुनरावृत्ति तकनीक शिक्षण में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। नियोजित पुनरावृत्ति के निम्नलिखित प्रकार हैं-- 

1. साधारण सरल पुनरावृत्ति 

इस प्रकार की पुनरावृत्ति तब होती हैं, जब किसी बिन्दु या विचार की अहमियत पर जोर दिया जाना हो, जिसके कारण उस विचार-बिन्दु, अवधारणा या सूत्र की उपयोगिता साबित करना होती हैं। 

2. अन्तराल पुनरावृत्ति 

इसकी आवश्यकता तब अधिक होती हैं, जब किसी प्रमुख बिन्दु या सिद्धांत की पुनरावृत्ति एक पाठ के दौरान अनेक अन्तरालों पर की जानी होती हैं। अन्तराल पुनरावृत्ति में प्रमुख शब्दों, विचारों, अवधारणाओं, सूत्रों का आन्तरिकीकरण करना होता हैं। शिक्षण तकनीकी में अन्तराल पुनरावृत्ति एक अमूल्य अस्त्र मानी जाती हैं, क्योंकि इसके द्वारा सीखने वालों को पाठ के दौरान प्रमुख बिन्दुओं के बारें में चर्चा करनी होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप अनेक अन्तरालों में उस विचार की पुनरावृत्ति होने से वह आसानी से समझ में आ जाता हैं। 

3. संचयी पुनवृत्ति 

संचयी पुनरावृत्ति तब होती हैं, जब किसी पाठ के दौरान प्रमुख बिन्दुओं को सामूहिक/संग्रही एवं श्रृंखलारूप में पाठ के भिन्न स्तरों पर पुनरावृत्ति की जाना हो। पाठ के सबसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं की संचयी पुनरावृत्ति विशेषकर तब की जाती हैं, जब पाठ के किसी अन्य स्तर के पड़ाव पर जाना होता हो या पाठ के अन्य भाग में या प्रस्तुतीकरण के मध्य किसी अन्य गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्‍यकता हो। संचयी पुनरावृत्ति का प्रमुख कारण यह हैं कि इसके द्वारा सीखने वालों को एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाकर अच्छी प्रकार से समझने, याद रखने तथा पुनर्स्मरण करने में आर्थिक संबंध स्थापित करने में मदद की जा सके। 

4. जमा पुनरावृत्ति 

जमा पुनरावृत्ति को तब प्रयोग में लाया जाता हैं, जब किसी पाठ के सभी प्रमुख बिन्दुओं की पुनरावृत्ति की जाना होती हैं। ऐसी पुनरावृत्ति पाठ के अन्त में की जाती हैं, जो कि एक सारांश के रूप में होती हैं। इस पुनरावृत्ति का उद्देश्य पाठ के ऊपर सीखने वाले की पकड़ या अधिकारिता सुनिश्चित की जाना होती हैं। जमा पुनरावृत्ति अपने क्षेत्र के समक्ष अध्यापकों द्वारा कुशलतापूर्वक की जाती हैं। इसे एक महत्वपूर्ण शिक्षण तकनीक माना जाता हैं।

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