7/03/2022

निर्णयन के सिद्धांत

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निर्णयन के सिद्धांत 

निर्णयन प्रबन्‍धक का प्राथमिक कार्य है। भावी कार्यक्रमों के प्रति सही निर्णय इस प्रकार का पूर्वानुमान है तथा सही निर्णयन के लिये सही पूर्वानुमान अत्‍यन्‍त आवश्‍यक है। भावी परिस्थितियों के बारे में जो कि परिवर्तनशील हों सही ढंग से पूर्वानुमान लगाया जाता है। 

पूर्वानुमान के निर्णयन के सिद्धांत को सरल बनाने के लिये निम्‍नलिखित बातों का उल्‍लेख किया जाता है-- 

1. मनोवैज्ञानिक सिद्धांत 

यह कथन कि ‘‘किसी निर्णय पर निर्णयकर्ता के व्‍यक्तित्‍व का गहरा प्रभाव पड़ता है।‘‘ इस बात को सिद्ध करता है कि कोई भी निर्णय प्रबन्‍धकों के व्‍यक्तित्‍व उनकी महत्‍वाकांक्षा, उनकी मानसिक स्थिति तथा सामाजिक स्थिति से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता। निर्णयन का मनोवैज्ञानिक सिद्धांत यह भी बताता है कि किसी भी व्‍यक्ति की मनोदशा के बारे में शत-प्रतिशत सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता, पर इतना कहा जा सकता है कि उसकी मनोदशा का प्रभाव उसके द्वारा लिए निर्णयों तथा कियें गये कार्यो पर अवश्‍य पड़ता है। 

2. उचित व्‍यवहार का सिद्धांत 

इस सिद्धांत से यह स्‍पष्‍ट होता है कि मनुष्‍य सामान्‍यतः उचित प्रकार से व्‍यवहार करता है। इस सिद्धांत के अनुसार मनुष्‍य की मनोदशा में परिवर्तन होते हुये भी मनुष्‍य के सामान्‍य व्‍यवहार का पता चलता है। उदाहरण के लिये, यदि किसी कर्मचारी की छॅटनी करने का निर्णय किया जाता है तो उक्‍त कर्मचारी एवं अन्‍य कर्मचारियों पर इस बात का प्रभाव पड़ता है, इसका सहज ही अन्‍दाजा लगाया जा सकता है। प्रत्‍येक मनुष्‍य का व्‍यवहार विशिष्‍ट परिस्थितियों में विशिष्‍ट प्रकार का होता है। 

3. सीमित घटकों का सिद्धांत 

प्रबन्‍धकों को निर्णय लेते समय ध्‍यान रखना पड़ता है कि उसके कई विरोधी लोग उपस्थित हैं तथा उन सीमित घटकों को ध्‍यान में रखकर ही निर्णय लेना पड़ता है। यदि सीमित घटक या विरोधी लोग उपस्थित न हों तो कोई समस्‍या उत्‍पन्‍न नहीं होती है। प्रत्‍येक व्‍यक्ति संस्‍था के सीमित सदस्‍य होते है। अतः प्रबन्‍धकों को सीमित दायित्‍वों को ध्‍यान में रखकर ही निर्णय लेना पड़ता है। 

4. विकल्‍पों का सिद्धांत 

निर्णयन के सम्‍बन्‍ध में विकल्‍पों का सिद्धांत इस बात पर जोर देता है कि किसी भी निर्णय को अन्तिम रूप देने से पहले उसके सभी विकल्‍पों का गहन विश्‍लेषण तथा तुलनात्‍मक मूल्‍यांकन करना आवश्‍यक है ताकि सर्वश्रेष्‍ठ विकल्‍प का चुनाव किया जा सके। इस सिद्धांत के अनुसार सर्वश्रेष्‍ठ विकल्‍प का चुनाव ही निर्णयन होता है। 

5. गतिशीला का सिद्धांत 

गतिशीलता के सिद्धांत के अनुसार परिवर्तन प्रकृति का नियम है। आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक क्षेत्रों तो परिवर्तन निरन्‍तर होते रहते हैं और होते ही रहेंगे। इन परिवर्तनों का प्रभाव व्‍यवसाय तथा औद्योगिक क्षेत्रों पर पड़ता है और आगे भी पड़ता रहेगा। परिणामस्‍वरूप कुछ विशेष परिस्थितियों मे परिवर्तन के साथ-साथ संस्‍था के उद्देश्‍यों, लक्ष्‍यों, कर्मचारियों की राजकीय नीति, प्रतिस्‍पर्धा की स्थिति में परिवर्तन होता रहता है। 

6. व्‍यक्तिगत स्‍वार्थ का सिद्धांत 

इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्‍येक व्‍यक्ति विवेकशील मूल्‍यों, आवश्‍यकताओं, उद्देश्‍यों, महत्‍वाकांक्षाओं आदि की अधिकाधिक सन्‍तुष्टि करने का प्रयास करता है। जिसे वह अपने लिये सर्वाधिक महत्‍व की बात समझता है। कुछ लोग अनार्थिक उद्देश्‍यों की सन्‍तुष्टि को सबसे ज्‍यादा महत्‍व देते हैं। अतः प्रबन्‍धक को संस्‍था की प्राप्ति हेतु भी ध्‍यान रखना चाहियें। 

7. समय का सिद्धांत 

हर संस्‍था के साधन सीमित होते है। उन उपयोगी साधनों का यथासम्‍भव विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग किया जाता है। इस सिद्धांत के अनुसार विभिन्‍न साधनों की पूर्ति आवश्‍यकतानुसार तथा समयानुसार होती रहनी चाहिये। अतः प्रबन्‍धक को साधनों का संकलन एवं उनके उपयोग के सम्‍बन्‍ध में निर्णय लेने से पहले समय सिद्धांत को सदैव ध्‍यान में रखना चाहिये। 

8. आनुपातिक का सिद्धांत 

इस सिद्धांत के अनुसार संस्‍था के उद्देश्‍यों एवं लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने के लिये उपलब्‍ध साधनों का अनुपातिक संयोजन होना चाहियें। प्रबन्‍धकों को उत्‍पादन के सीमित साधनों का नियोजन इस प्रकार से करना चाहिये। जिससे अधिकतम परिणामों को प्राप्‍त किया जा सके। 

9. अधिकतम लाभ का सिद्धांत 

इस सिद्धांत के अनुसार व्‍यक्ति को लाभों को अधिकतम करने का प्रयास करते रहना चाहियें। लाभ से आशय आर्थिक एवं अनार्थिक दोनों प्रकार के लाभों से है। कम से कम लागत  पर अधिक से अधिक उत्‍पादन कैसे किया जाये तथा अधिक से अधिक लाभ कमाना इन उद्देश्‍यों की प्राप्ति का सिद्धांत है। अतः एक प्रबन्‍धक को निर्णय लेते समय इस सिद्धांत पर भली-भांति विचार करना होता है तथा उन नियमों का पालन करना होता है जो इस सिद्धांत को सामाजिक व्‍यवसाय में श्रेष्‍ठतम बनाते है।

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