7/17/2022

असामान्य मनोविज्ञान/मनोव्यधिकीय क्या हैं? परिभाषा, विशेषताएं

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प्रश्न; मनोव्याधिकी या मनोरोग विज्ञान किसे कहते हैं?

अथवा" मनोव्याधिकी या असामान्य मनोविज्ञान को परिभाषित किजिए। 

अथवा," असामान्य मनोविज्ञान से क्या आशय हैं? असामान्य मनोविज्ञान को परिभाषित किजिए।

अथवा" मनोव्याधिकीय या असामान्य व्यवहार की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। 

उत्तर-- 

असामान्य मनोविज्ञान पर विचार करते समय स्वाभाविक रूप से प्रश्न उठ खड़ा होता है कि असामान्य (Abnormality) क्या है और मनोविज्ञान क्या है? दूसरे प्रश्न का उत्तर तो सामान्य मनोविज्ञान के अन्तर्गत दिया जा चुका है; किन्तु असामान्यता के सम्बन्ध में युगों से विवाद चलता आ रहा है। इस विवाद पर विचार करने से उचित है कि एक वाक्य मे यह कह दिया जाए कि सामान्य मनोविज्ञान भी मनोविज्ञान की अन्य शाखाओं की तरह एक विधायक या समर्थक विज्ञान (Positive Science) है जो जीव के असामान्य एवं विचित्र व्यवहारों का अध्ययन नियत्रित अवस्था में करता है।

असामान्य मनोविज्ञान या मनोव्यधिकीय क्या हैं? (asamanya manovigyan kise kahte hai)

असामान्य मनोविज्ञान मानव व्यवहार के विचलनों और विकारों का क्रमबद्ध अध्ययन करता हैं। काॅलमैने ने अपनी पुस्तक 'Abnormal Psychology and modern life' की प्रवेश पंक्तियों में लिखा हैं कि 17 वीं शताब्दी उद् बोधन (Enlightment) का युग, 18वीं शताब्दी तर्क का युग, 19 वीं शताब्दी प्रगति का युग तथा 20वीं शताब्दी चिन्ता का युग हैं। असामान्य मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत असामान्य व्यवहार के व्यक्तियों का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया जाता हैं। 

असामान्य मनोविज्ञान को अंग्रेजी में Abnormal Psychology कहते हैं। abnoraml की व्युत्पत्ति anomelas (एनोमिलस) शब्द से हुई है। जो दो शब्दों Ano+melas से मिलकर बना है जिसका अर्थ अनियमित है। अतः असामान्य मनोविज्ञान शाब्दिक अर्थ के आधार पर अनियमित व्यवहार का मनोविज्ञान हैं। इसी प्रकार Abnormal का अर्थ भी सामान्य से अलग हैं अर्थात जो सामान्य नहीं है वह असामान्य हैं। 

किस्कर महोदय के शब्दों में," वे मानव व्यवहार और अनुभूतियाँ जो साधारणतः अनोखे, असाधारण या पृथक हैं, असामान्य समझे जाते हैं।" 

अतः मनोविज्ञान की जिस शाखा के अन्तर्गत हताश और निराश व्यक्तियों के व्यवहार संबंधी विकृतियों के बारें में अध्ययन किया जाता हैं उसे मनोव्याधिकी (Psychopathology) अर्थात् मनोरोग विज्ञान या असामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology) कहा जाता हैं। 

मनोव्यधिकीय मनोविज्ञान या मनोरोग विज्ञान अथवा असामान्य व्यवहार की परिभाषा 

लैण्डिस तथा बोल्स के शब्दों में," असामान्य मनोविज्ञान ऐसे मानव व्यवहार तथा मानसिक अनुभव का अध्ययन करता है, जोकि असाधारण व अविवेकपूर्ण तथा किसी न किसी रूप में, दैनिक जीवन की सामान्य मनोवृत्ति से अलग-अलग ही लगता हैं।" 

काॅलमैन के शब्दों में," असामान्य का अर्थ उस समायोजित व्यवहार से है जो व्यक्ति के लिए या समूह के लिये या व्यक्ति और समूह दोनों के लिए हानिकारक होता हैं। इस प्रकार असामान्य मनोविज्ञान, मनोविज्ञान का वह क्षेत्र है जिसमें विशेष रूप से मनोविज्ञान के नियमों के समन्वय और विकास का अध्ययन असामान्य व्यवहार को समझने के लिए किया जाता हैं।" 

किस्कर ने असामान्य मनोविज्ञान की परिभाषा को अधिक विस्तृत, वैज्ञानिक तथा सैद्धांतिक रूप प्रदान करते हुए लिखा हैं," असामान्य मनोविज्ञान का वह अंग हैं, जोकि व्यवहार तथा अनुभव के विचलनों का अध्ययन करता है, तथा इसका क्षेत्र व्यक्तित्व के विकारों तथा प्रेक्षित मनोविकारों की व्याख्या करने हेतु सिद्धांतों का विकास करता हैं, व परिकल्पनाओं तथा सिद्धांतों की वैधता को स्थापित करने के लिए प्रायोगिक प्रविधियों का अनुप्रयुक्त करने का प्रयास करता हैं।" 

ब्राउन के शब्दों में," मनोविकार विज्ञान व्यक्ति के लक्ष्य निर्देशित क्रियाओं पर निराशाओं के प्रभाव से उत्पन्न संघर्षों के समाधान के क्रम में विकसित होने वाली असामान्य रूपों की व्यक्तिगत संरचना का अध्ययन करता हैं।" 

जेम्स ड्रेवर के शब्दों में," असामान्य मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें व्यवहार या घटना की विषमता का अध्ययन किया जाता हैं।" 

आइजनेक के शब्दों में," असामान्य मनोविज्ञान, असामान्य व्यवहार या असामान्य व्यक्ति का अध्ययन हैं।"

असामान्य व्यवहार या मनोव्यधिकीय की विशेषताएं (asamanya vyavhar ki visheshta)

सामान्य व्यवहार में व्यक्ति स्वस्थ, समायोजित और सन्तुलित व्यवहार करता है। वैसे ही व्यक्ति असामान्य में असमायोजित और असन्तुलित व्यवहार घटित करता हैं। असामान्य व्यवहार की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-- 

1. अनुरूपता का अभाव 

असामान्य व्यक्ति प्रचलित सामाजिक प्रतिमानों-परम्पराओं, मान्यताओं, मर्यादाओं, मूल्यों और आदर्शों की ओर ध्यान न देकर अपनी स्वयं की व्यक्तिगत आचरण संहिता (Personal code of conduct) को ही ठीक समझता हैं और केवल उसी को ही महत्‍व प्रदान करता हैं। वस्तुतः उसके व्यवहार में अनुरूपता नहीं आ पाती हैं। 

2. व्यक्तिगत अपरिपक्वता 

असामान्य व्यक्ति का व्यवहार साधारणतः उसकी शिक्षा, आयु व सामाजिक स्थिति के अनुकूल न रहकर निम्नतर स्तर का रहता हैं। 

3. परस्पर विरोधी इच्छाएँ 

असामान्य व्यक्ति की इच्छाएँ अनुपयुक्‍त, असामाजिक, अनैतिक और परस्पर विरोधी होती हैं। ऐसा व्यक्ति प्रायः संयमी तथा सदाचारी बनने का भी प्रयास करता हैं, और क्षणिक अवेगों, संवेगों, भ्रष्ट तथा अनैतिक प्रलोभनों के उपस्थित होने पर अपने को नियन्त्रित नहीं कर पाता। 

4. दोषपूर्ण आकांक्षा-स्तर 

असामान्य व्यक्ति के जीवन में आकांक्षा स्तर अनावश्यक रूप से अत्यधिक उच्च या निम्न रहता हैं। ऐसा व्यक्ति अपने आकांक्षा स्तर को वास्तविक निष्पादन के स्तर पर लाने में असफल तथा असमर्थ महसूस करता हैं।

5. असन्तुलित आत्म-मूल्यांकन 

असामान्य व्यक्ति या तो अपने आपको एक बहुत ही महान व श्रेष्ठ व्यक्ति, या फिर, एक हीन और तुच्छ व्यक्ति ही समझता हैं। वह अपनी योग्यताओं व दोषों का उपयुक्त मूल्‍यांकन करने में असफल होता हैं। 

6. असुरक्षा की भावना 

असामान्य व्यक्ति मे जीवन की सामान्य स्थितियों, कठिनाइयों व दायित्वों के परिपालन के लिए आवश्यक आत्म-विश्वास नहीं होता। उसमें अचेतन रूप से असुरक्षा की भावना बनी रहती हैं।

7. वास्तविकता से पलायन 

असामान्य व्यक्ति जीवन के सामान्य संघर्षों, दैनिक कठिनाइयों, दुखद परिस्थिति व आवश्यक दायित्वों से अलग रहने का प्रयास करता है। 

8. मूल दुश्निता 

असामान्य व्यक्ति का बाल्यकाल प्रायः दुःखद घटनाओं, घोर निराशाओं व कुण्ठाओं से घिरा हुआ रहता है। अतः निराशावादिता, साहसहीनता व दुश्चिन्ता उसके अचेतन में एक प्रकार से घर कर लेती है और वह अपने भावी जीवन में इस प्रकार दुश्चिन्ता के दुःखद भाव व प्रभाव से निरन्तर पीड़ित होता हैं। 

9. दोषपूर्ण संवेगात्मकता 

असामान्य व्यक्ति की संवेगात्मक अभिव्यक्ति असन्तुलित, उद्दीपक स्थिति के विपरीत, अनुपयुक्‍त और अपूर्ण होती हैं। 

10. बौद्धिक असमर्थता 

बौद्धिक न्यूनता के कारण असामान्य व्यक्ति हीनता-ग्रन्थी (Inferiority complex) से पीड़ित होता हैं। 

11. शारीरिक अनुकूलता 

कुछ असामान्य व्यक्ति अपने अस्वस्थ रहने को भी प्रायः शिकायत करते रहते हैं। पाचन-शक्ति की कमी, भूख की कमी व नींद की कमी तथा शक्ति की कमी के लिए निरन्तर अपने आपको दोष देते रहते हैं।

असामान्य मनोविज्ञान से सम्बन्धित प्रत्यय

अनेक ऐसे प्रत्यय है जिसका प्रयोग असामान्य मनोविज्ञान के लिए या उनके स्थान पर किया जाता है जैसे--

1. नैदानिक मनोविज्ञान (Clinical psychology) 

नैदानिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध मानसिक रोगों का वर्णन, वर्गीकरण, निदान तथा पूर्वानुमान से होता है। यह असामान्य मनोविज्ञान का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसका मुख्य उद्देश्य असामान्य व्यवहार का अध्ययन मूल्यांकन उपचार एवं रोकथाम है। 

2. मनोरोग विज्ञान (Psychiatry)  

मनोरोग विज्ञान को चिकित्सा विज्ञान की शाखा माना जाता है। यह नैदानिक मनोविज्ञान से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित है। इसमें अन्तर सिर्फ इतना है कि मनोचिकित्सक असामान्य व्यवहार की पहचान एवं उपचार चिकित्साशास्त्र के समप्रत्यों के आधार पर न कर व्यावहारिक आधार पर करते हैं। 

3. मनोचिकित्सकीय समाजिक कार्य (Psychiatric social work) 

यह भी असामान्य मनोविज्ञान से सम्बन्धित विज्ञान है, इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक परिवेश (social environment) का विश्लेषण तथा पारिवारिक परिवेश (family environment) एवं सामुदायिक परिवेश (communal environment) में व्यक्ति को समायोजन स्थापित करने में सहायता प्रदान करना है। 

4. मनोविकृति विज्ञान (Psychopathology)  

मनोविकृति विज्ञान के अन्तर्गत असामान्य व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।

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