अंश प्रमाण-पत्र क्या हैं? (ansh praman patra kise kahte hai)
अंश प्रमाण-पत्र अंशों के अधिकार का पंजीकृत साक्ष्य है, जिसे कम्पनी द्वारा अपनी सार्वमुद्रा के अधीन निर्गमित किया जाता है, जिस पर उचित स्टॉम्प लगा होता है तथा अंतर्नियमों के अनुसार इस पर एक या अधिक संचालकों के हस्ताक्षर होते हैं। कम्पनी का सचिव इसके बाद इस पर प्रतिहस्ताक्षर करता है।
यह प्रपत्र इस बात को प्रमाणित करता है कि उसमें निर्दिष्ट नाम का व्यक्ति कम्पनी का स्वत्वधारी सदस्य है तथा उसमें प्रमाणित देयराशि चुकता की जा चुकी है।
लार्ड सेलवार्न के अनुसार, ‘‘अंश प्रमाण-पत्र अंशधारियों के अधिकार में अंशों के स्वत्व का उचित तथा वस्तुतः लिखित प्रमाण-पत्र होता है।
स्वत्व का प्रत्यक्ष प्रमाण
जब अंश प्रमाण-पत्र निर्गमित कर दिया जाता है तो इसके आधार पर यह माना जाता है कि उस अंश-प्रमाण-पत्र में निर्दिष्ट अंशधारी का उन अंशों पर स्वत्व है। कम्पनी उन अंशों पर उस व्यक्ति के स्वामित्व से इन्कार नहीं कर सकती, बशर्ते उस व्यक्ति ने उन अंशों को सद्भावनापूर्वक तथा वैध हस्तान्तरण विलेख के अंतर्गत प्राप्त किया हो।
अंश प्रमाण-पत्र की विशेषताएं (ansh praman patra ki visheshta)
अंश प्रमाण-पत्र की विशेषताएं निम्नलिखित हैं--
1. यह एक लिख्रित प्रलेख है।
2. अंश प्रमाण-पत्र पर कम्पनी की सार्वमुद्रा होती है।
3. अंशों की संख्या लिखी रहती है।
4. अंशों पर स्वत्व का प्रत्यक्ष प्रमाण होता है।
5. निर्गमन तालिका ‘अ‘ के 7वें नियम के अनुसार होगा।
6. यह स्वामित्व का अकाट्य प्रमाण नहीं है।
7. हस्तांतरण हेतु निश्चित प्रक्रिया करनी होती है।
एक अंश प्रमाण-पत्र तीन बातों का प्रमाण होता है--
1. धारक अंशों का रजिस्टर्ड धारक है।
2. प्रमाण-पत्र में लियें गये अंशों पर अंशधारी का अधिकार है।
3. कम्पनी को प्रमाण-पत्र में लिखित सामग्री की सत्यता को इंकार करने का अधिकार नहीं है।
अंश अधिकार-पत्र या अंश अधिपत्र
‘अंश अधिपत्र से आशय एक ऐसे अधिकार-पत्र से है जिसका वाहक एक अंशधारी होता है और कम्पनी वाहक के स्वामित्व को स्वीकार करने के लिये बाध्य है।‘
एक पब्लिक लिमिटेड कम्पनी द्वारा केवल पूर्णदत्त अंशों या स्कन्धों के प्रमाण-पत्र के बदले निर्गमित किये जाने वाला प्रपत्र अंश-अधिकार-पत्र या अंश-अधिपत्र कहलाता है। इस अधिपत्र में यह उल्लेख होता है कि अधिपत्र का वाहक इसमें दर्शाये गये अंशों या स्कन्धों का अधिकारी है। जब एक कम्पनी अपने अन्तर्नियमों द्वारा अधिकृत होती है तो वह किसी अंश के पूर्णदत्त हो जाने पर अंश प्रमण-पत्र के स्थान पर अंश अधिपत्र निर्गमित कर सकती है। इस सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण बात उल्लेखनीय है कि अंश-अधिपत्रों का निर्गमन केवल सार्वजनिक कम्पनियॉ ही कर सकती हैं, निजी कम्पनियां नहीं।
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