6/01/2022

जीव विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य/लक्ष्य

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जीव विज्ञान शिक्षण के उद्देश्य 

जीव विज्ञान शिक्षण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-- 

1. ज्ञानात्म उद्देश्य 

जीव विज्ञान शिक्षण का यह मुख्य उद्देश्य है। वर्तमान शिक्षा प्रक्रिया में प्रायः इसी उद्देश्य को प्राप्त करने का प्रयत्न होता रहा है। बालक को मुख्य रूप से निम्न ज्ञान प्रदान करना होता हैं-- 

(अ) जीव विज्ञान की तकनीकी शब्दावली एवं तथ्यों का ज्ञान 

(ब) जीव विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों तथा प्रक्रियाओं का ज्ञान 

(स) प्राकृतिक क्रियाओं का ज्ञान 

(द) जन्तु एवं वनस्पति का ज्ञान और एक-दूसरे पर निर्भरता 

(ई) जन्तु तथा वनस्पति के उद् गम एवं विकास का ज्ञान 

(फ) जीव विज्ञान के ज्ञान तथा मानव शरीर की कार्य प्रणाली में समानता का ज्ञान। 

2. जीव विज्ञान के सिद्धांतों तथा प्रक्रियाओं की समझ अथवा अवबोध 

विभिन्न जैव वैज्ञानिक तथ्य एक-दूसरे से संबंधित होते हैं। इन उपलब्ध तथ्यों के आधार पर छात्र कई सामान्यीकरण तथा सिद्धांतों का निरूपण करते हैं; जैसे-- 

(अ) कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस, पानी, प्रकाश तथा क्लोरोफिल की उपस्थित में पौधे भोजन का निर्माण करते हैं। 

(ब) विभिन्न वर्गों के जन्तुओं एवं पौधों में कई समानताएँ पाई जाती हैं। 

(द) कार्बन संश्लेषण प्रक्रिया में पौधे ऑक्सीजन गैस वायु मण्डल में छोड़ते हैं। 

3. कौशलों का विकास 

आधुनिक समय में जीव विज्ञान शिक्षण का मुख्य उद्देश्य छात्रों में विभिन्न कुशलताओं का विकास करना हैं जिससे दैनिक जीवन की कई समस्याओं का निराकरण कर जीवन स्तर को उन्नत बनाया जा सके। विभिन्न कौशल निम्नलिखित हैं-- 

(अ) समस्या का हल करना। 

(ब) वैज्ञानिक विधि के पदों के उपयोग की कुशलता। 

(स) विभिन्न तथ्यों के आधार पर सामान्यीकरण की क्षमता। 

(द) प्रेक्षण कुशलता। 

(ई) विभिन्न तथ्यों के सत्यापन के लिये कई प्रयोग करने की कुशलता। 

(फ) रेखाचित्र खींचने की कुशलता। 

4. विभिन्न योग्यताओं का विकास 

विभिन्न जन्तुओं तथा वनस्पति की पहचान एवं उनके वर्गीकरण की योग्यता, विभिन्न जन्तुओं तथा वनस्पति विच्छेदन की योग्यता, अपनी गृह वाटिका लगाये रखने की योग्यता आदि। 

5. जीव विज्ञान में रूचि का विकास 

जीव जगत से प्राप्‍त अनुभवों के आधार पर छात्रों में उनके कारण जानने की स्वाभाविक जिज्ञासा होती हैं तथा इस जिज्ञासा के निराकरण के लिए छात्र कई प्रश्न विषय अध्यापक से करते हैं जो उनकी रूचि का परिचायक है। विषय अध्यापक द्वारा छात्रों की जिज्ञासाओं का निराकरण उनमें रूचि के विकास में मददगार हैं। वैज्ञानिक रूचि के विकास में निम्न गतिविधियाँ मददगार हैं-- 

(अ) जीव विज्ञान से संबंधित साहित्य तथा लेखों का अध्ययन। 

(ब) प्रकृति से प्रेम। 

(स) जन्तुओं तथा वनस्पति का अवलोकन। 

(द) जीव वैज्ञानिको की जीवनी तथा वैज्ञानिक खोजों के इतिहास का अध्ययन। 

(ई) जीव विज्ञान क्लब के आयोजन, वैज्ञानिक मेले, विभिन्न समस्याओं पर आयोजित अन्य कई कार्यक्रमों में सहभागिता। 

6. वैज्ञानिक विधि का विकास 

किसी भी समस्या का निराकरण करने के लिए एक क्रमबद्ध प्रक्रिया का आयोजन किया जाता हैं जिसे वैज्ञानिक विधि कहते हैं। इसमें निम्न पदों का उपयोग किया जाता हैं-- 

(अ) समस्या को पहचानना। 

(ब) समस्या का सीमांकन। 

(स) समस्या के सम्भावित कारणों का निश्चय करना एवं सम्भावित हल निश्चित करना। 

(द) तथ्यों का एकीकरण। 

(ई) प्रदत्तों के संकलन। 

(फ) निर्णय निकालने की क्षमता। 

7. वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास 

जीव विज्ञान शिक्षण का मुख्य उद्देश्य छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण युक्त छात्र में जिज्ञासा, सत्यनिष्ठा, उपलब्ध परिणामों के आधार पर पूर्व धारणाओं में परिवर्तन, अन्धविश्वासी न होना, वस्तुनिष्ठता आदि गुण पाये जाते हैं। इन गुणों का विकास सतत प्रयत्न द्वारा ही संभव हैं। 

8. गुण-दोष विवेचन 

9. अवकाश के समय का सदुपयोग  

10. व्यावसायिक शिक्षा का आधार 

11. जीवन स्तर पर उन्नयन।

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