6/01/2022

जीव विज्ञान की पाठ्य पुस्तक; महत्व, विशेषताएं, कार्य

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प्रश्न; विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक का महत्व बताइए।

अथवा" जीव विज्ञान की अच्छी पाठ्य-पुस्तक के लक्षण बताइए। 

अथवा" पाठ्य-पुस्तक के कार्य बताइए तथा जीव विज्ञान की अच्छी पाठ्य-पुस्तक की विशेषताओं का विवेचन कीजिए।

उत्तर--

जीव विज्ञान की पाठ्य पुस्तक 

वर्तमान शिक्षण-प्रणाली में पाठ्यपुस्तक एक प्रभावशाली शिक्षण-साधन हैं। प्रभावशाली अधिगम पाठ्य-पुस्तक पर भी निर्भर करता हैं। कक्षा में जीव-विज्ञान विषय के सभी तथ्यों, प्रत्ययों एवं प्रक्रियाओं का ज्ञान नहीं दिया जा सकता। शिक्षण-प्रणाली मुख्यतः व्याख्यान प्रणाली हैं तथा व्याख्यान का लगभग 20% ही कक्षा पाठ के पश्चात याद रहता हैं, शेष भाग छात्र भूल जाता हैं। पाठ्य-पुस्तक इस त्रुटि को दूर करती हैं। पाठ्य-पुस्तक के विवेचन एवं अध्ययन के पश्चात ही यह ज्ञान छात्र के जीवन का अंग बन पाता हैं। 

जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक का महत्व

जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक का महत्व निम्नलिखित हैं-- 

1. जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक की विषय-वस्तु, अभ्यास, पाठ्यक्रम आदि का निर्माण पूर्व कर लेते हैं। 

2. जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक से वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करने में सरलता होती है। 

3. जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक के द्वारा जीव विज्ञान की विषय-वस्तु को सरल एवं सही ढंग से पढ़ लेते है। 

4. जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक के माध्यम से पूर्व ज्ञान की पुनरावृत्ति हो जाती हैं। 

5. इसके आसपास ही समस्त शिक्षक द्वारा अभिक्रियायें घूमती हैं अर्थात् जीव विज्ञान शिक्षण में प्रयोगात्मक कार्य आदि के लिये पाठ्य-पुस्तक का महत्व होता हैं। 

जीव विज्ञान की अच्छी पाठ्य-पुस्तक की विशेषताएं 

जीव विज्ञान की अच्छी पाठ्य-पुस्तक की निम्नलिखित विशेषताएं हैं-- 

1. जीव विज्ञान के समस्त संदर्भों को यथास्थान रखना चाहिए। संबंधित चित्रों को ढंग से व्यवस्थित करना चाहिए। 

2. पुस्तक के निर्माण एवं छपाई हेतु अच्छे कागज का प्रयोग होना चाहिए। चित्रों की छपाई स्पष्ट एवं साफ होनी चाहिए। 

3. जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक की छपाई में आवश्यकतानुसार विभिन्न प्रकार के अक्षरों का प्रयोग होना चाहिए। वे शीर्षकों, उप-शीर्षकों, प्रकरणों, अध्यायों, अक्षरों के आकारों, स्वरूप आदि में अंतर होना चाहिए। 

4. जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक में यथास्थान, सुंदर, रंगीन, आकर्षक चित्रों को वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत किया जाना चाहिए। 

5. जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक का निर्माण छात्रों के अनुरूप ही होना चाहिए। जीव विज्ञान की पुस्तक का आकार, शब्दों, चित्रों का आकार, पृष्ठ संख्या, अध्याय संख्या आदि बिन्दु महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। 

6. जीव विज्ञान की पुस्तक मजबूत, टिकाऊ तथा प्रयोग में सुविधाजनक होनी चाहिए। 

7. जीव विज्ञान की पुस्तक की कीमत भी उचित होनी चाहिए जिससे छात्रों पर उसका आर्थिक प्रभाव न पड़े। 

8. जीव विज्ञान की पुस्तक में छात्रों हेतु अभ्यास, रोचक, आकर्षक तथा अधिक होने चाहिए। 

9. जीव विज्ञान की पुस्तक पाठ्यक्रमानुसार होनी चाहिए। 

10. जीव विज्ञान के उद्देश्यों की पूर्ति के अनुकूल ही पुस्तक होनी चाहिए। 

11. पुस्तक में अधिगम अवसरों की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए। 

12. जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक में पाठ्य-वस्तु की पदावली, शब्दावली प्रचलित एवं वैज्ञानिक होनी चाहिए। 

13. जीव विज्ञान की पुस्तक में पाठ्य-वस्तु छात्रों में जीव विज्ञान के प्रत्ययों को विकसित करती हैं। 

14. जीव विज्ञान की पुस्तक छात्रों में समस्या हल करने में कौशल, घटनाओं की प्रशंसा एवं रूचियों का ठीक ढंग से विकास करने में सहायता करती हो। 

15. जीव विज्ञान की पुस्तक छात्रों में जीव विज्ञान के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होनी चाहिए। 

16. जीव विज्ञान की पुस्तक में उत्तम उदाहरण एवं प्रदर्शन प्रस्तुत किये गये हों। 

17. जीव विज्ञान की पुस्तक में छात्रों के मूल्‍यांकन के दृष्टिकोण से आवश्यक अभ्यास, क्रियायें तथा अन्य संबंधित कार्यों का समायोजन होना चाहिए। 

अतः एक अच्छी जीव विज्ञान की पाठ्य-पुस्तक में उपरोक्त सभी विशेषताओं का होना आवश्यक हैं जिससे छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास आसानी से किया जा सकता हैं। 

पाठ्य पुस्तक के कार्य 

एक अच्छी पाठ्य-पुस्तक जीव विज्ञान के निम्न उद्देश्यों एवं लक्ष्यों के अनुरूप होनी चाहिए-- 

1. पाठ्य-पुस्तक छात्र को लिखे हुए तथ्यों और प्रयत्नों को समझने तथा व्याख्या करने में समर्थ बनाती है। 

2. यह शिक्षण के उद्देश्यों को प्राप्त कराने मे सहायक है। 

3. पुस्तक में पाठ्य-विषय का विवेचन छात्रों को विषय-वस्तु के समझने और विभिन्न परिस्थितियों में ज्ञान के प्रयोग हेतु प्रेरित करता है। उनके दृष्टिकोण को वैज्ञानिक बनाने तथा उनमें वैज्ञानिक विधि का विकास करने में भी पाठ्य-पुस्तक सहायक है। 

4. पाठ्य-पुस्तक छात्रों को पाठ दुहराने और गृह-कार्य करने में सहायता देती हैं। 

5. पाठ्य-पुस्तक स्वाध्याय, मनन और चिन्तन का अवसर प्रदान करती हैं। 

6. यह छात्रों में जीव विज्ञान के प्रति रूचि के विकास में सहायक हैं।

अच्छी पाठ्य-पुस्तक शिक्षण-प्रक्रिया का अभिन्न अंग है जिसके माध्यम से हम छात्रों को ज्ञान प्रदान करने, उसको समझने, विवेचन करने तथा मनन के पश्चात विभिन्न परिस्थितियों में इस ज्ञान का प्रयोग करने की क्षमता का विकास करते हैं।

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