आधुनिक युग में किसी देश की आर्थिक उन्नति का अनुमान उस देश के बीमा सम्बन्धी ऑकड़ों से लगाया जाता है। इससे समाज के प्रत्येक वर्ग को लाभ प्राप्त होता है तथा यह समाज के लिए अनिवार्य बन गया है। आज बीमा व्यवसाय संसार के सभी देशों में तीव्र गति से विकास कर रहा है। बीमा कराकर मनुष्य अपने आपको कई चिन्ताओं से मुक्त महसूस करता है। रैफैले नामक विद्वान के अनुसार, ‘‘भावी संकटों से सुरक्षा पाने, व्यापार को सम्भावित जोखिमों से बचाने अथवा किसी सम्भाव्य हानि का पूर्व नियोजन करने के लिए बीमा आवश्यक है। बीमादार तथा वस्तु के न रहने पर होने वाली हानि बीमा से सुरक्षा प्रदान करता है। इस प्रकार के अनुबन्धों के द्वारा व्यक्तिगत हानियां एवं जोखिमों को समस्त समाज में वितरित कर दिया गया है।‘‘ सम्राट जार्ज पंचम ने इसे ‘‘एक महान् और प्रगतिशील उद्योग‘‘ माना है। -
बीमा के व्यावसायिक लाभ अथवा महत्व/उपयोगिता
व्यापार एवं उद्योग जोखिमों से परिपूर्ण हैं। व्यावसायिक एवं औद्योगिक जोखिमों से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए व्यापारियों एवं उद्योगपतियों ने बीमा का आश्रय लिया है। व्यावसायिक एवं औद्योगिक क्षेत्र में बीमा से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते है-
1. व्यावसायिक सुरक्षा
व्यावसायिक सुरक्षा प्रदान करना बीमा व्यवसाय का एक महत्त्वपूर्ण उत्तरदायित्व है। बीमा कंपनी थोड़ी-सी प्रीमियम लेकर सभी प्रकार की व्यावसायिक अनिश्चितताओं से सुरक्षा प्रदान करती है। अग्नि-बीमा करने वाली कंपनियां अग्नि से होने वाली हानि की चिंता से मुक्त कर देती हैं तथा सामुद्रिक बीमा कंपनियां समुद्र संबंधी जोखिमों के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है।
2. ऋण प्राप्ति में सुविधा
माल एवं संपत्ति का बीमा होने से उनको बंधक पर रखकर आसानी से ऋण प्राप्त किया जा सकता है। ऋणदाता सामान्यतः उन्हीं व्यक्तियों को ऋण देना अधिक पंसद करते हैं, जिन्होंने माल एवं संपत्ति का विभिन्न जोखिमों के विरूद्ध बीमा करवा लिया हो। बीमा एक प्रकार से व्यावसायिक साख का आधार है। इस प्रकार बीमित संपत्ति की जमानत पर व्यापारी को सरलता से व अधिक धनराशि ऋण के रूप में प्राप्त हो सकती है।
3. विदेशी व्यापार में वृद्धि
वर्तमान समय में विदेशी व्यापार जिस गति से वृद्धि कर रहा है, वह सब बीमा व्यवसाय की कृपा का प्रसाद ही है। विदेशी व्यापार की प्रगति में सामुद्रिक बीमें का महत्त्वपूर्ण हाथ है, समुद्री बीमा कंपनियों ने तथा आयात-निर्यात बीमा पालिसियों के चलन ने समुद्री जोखिमों तथा आयात-नियार्त जोखिमों के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान करके विदेशी व्यापार को अधिक आसान एवं सुगम बना दिया है। जिससे विदेशी व्यापार दिन दूनी रात चैगुनी गति से प्रगति कर रहा है।
4. बचत एवं मितव्ययिता का साधन
जीवन बीमा बचत का एक श्रेष्ठ साधन इससे जनता में मितव्ययिता की भावना पैदा होती है। लोग जीवन बीमा कराकर उतने मूल्य जायदाद बना लेते हैं। इसलिए जीवन बीमा को अनिवार्य बचत का एक साधन माना गया है। इस बचत पर बैक के समान अप्रत्यक्ष रूप से ब्याज भी बीमा कंपनियों द्वारा दिया जाता है। इस प्रकार से बीमा कंपनियां सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ बचत का एक साधन प्रस्तुत करती है।
5. साख में वृद्धि
बीमा करा लेने पर बीमित व्यापारी की साख बढ़ जाती है। इसका कारण यह है कि बैंक के पास बीमित मकान अथवा माल को सरलतापूर्वक बंधक के रूप में रखा जा सकता है तथा जीवन-बीमा पत्र द्वारा भी ऋण लेने में सुविधा होती है।
6. व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि
बीमित व्यापारी किसी भी प्रकार की जोखिम की आंशकाओं से मुक्त रहता है। इस कारण उसे किसी प्रकार की चिंता नहीं रहती है जिससे उसकी कार्यक्षमता में वृद्धि हो जाती है।
7. अनिश्चितओं से मुक्ति
बीमा कराकर व्यापारी एवं उद्योगपति व्यावसायिक एवं औद्योगिक कार्यो की अनिश्चितताओं से मुक्त हो सकता है। व्यावसायिक क्षेत्र की अनिश्चित हानियों से सुरक्षा प्राप्त होने की वजह से ही आज औद्योगिक एवं व्यावसायिक संगठन इतने बड़े पैमाने पर संभव हो सकता है। इस प्रकार की अनिश्चितता के विरूद्ध सुरक्षा प्रदान करके बीमा ने व्यावसायिक एवं औद्योगिक क्रियाओं में निर्भरता और स्थिरता ला दी है।
8. साझेदारी व्यापार में सहायक
बीमा से साझेदारी व्यापार में भी बहुत सहायता मिलती है। यदि दो या दो से अधिक साझेदार कुशलतापूर्वक कोई व्यापार कर रहे हैं और उनमें से किसी एक साझेदार की मृत्यु हो जाती है। तो उस साझेदार के उत्तराधिकारी को उसके हिस्से की पूंजी, ब्याज, लाभ आदि लौटाने पड़ेंगे।
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