प्रश्न; स्वास्थ्य बीमा से आप क्या समझते है? स्वास्थ्य बीमा के लाभों की विवेचना कीजिए।
उत्तर--
स्वास्थ्य बीमा क्या हैं?
यह बीमा कम्पनी तथा बीमादार के बीच किया गया एक अनुबंध है जिसमें कुछ निश्चित शर्तो के अधीन बीमाकर्ता अस्पताल के चिकित्सा व्ययों की पूर्ति के लिये बीमित राशि तक किसी बीमारी या दुर्घटना के कारण कराए गए इलाज के सम्बंध में निश्चित रकम देने का वचन देता है।
स्वास्थ्य बीमा के मूल तथ्य
1. यह सामान्य बीमा का ही अंग है।
2. यह एक वर्ष के लिये होता हैय दूसरे साल फिर से इसका रिन्यूवल प्रीमियम भरना पड़ता है।
3. सामान्य रूप से बीमा कम्पनी तभी किसी प्रकार के चिकित्सा व्यय का भुगतान करती है जब कम से कम मरीज 24 घण्टे अस्पताल में भर्ती रहा हो।
4. इस बीमा में अस्पताल में भरती होने के बाद बीमा कंपनी या उसके टीपीए को इसकी सूचना अनिवार्य रूप से देनी होती है।
5. बीमा कम्पनी बीमा पॉलिसी की रकम तक ही अधिकतम चिकित्सा व्ययों की क्षतिपूर्ति करती है।
स्वास्थ्य बीमा के अन्तर्गत कवर किये जाने वाले व्यय/खर्च
1. कमरेध्विस्तर का किराया,
2. ठहरने के व्यय,
3. नर्सिग व्यय,
4. डॉक्टर की फीस,
5. विभिन्न प्रकार की चिकित्सा जॉचों के व्यय,
6. ऑपरेशन थियैटर चार्ज,
7. चिकित्सा में लगने वाली दवाइयॉ,
8. चिकित्सा उपकरणों सम्बन्धी कुछ खर्च।
स्वास्थ्य बीमा पत्र
सामान्यतः रूप से हमारे देश में मुख्य रूप से निम्न स्वास्थ्य बीमा पत्र प्रचलन में हैं-
1. फैमली फ्लोटर बीमा पत्र
इसमें बीमित रकम परिवार में फैल जाती है। इस प्रकार के बीमापत्रों में सामान्यतः पति, पत्नी एवं दो बच्चों का एकसाथ बीमा किया जाता है। सामान्य रूप से इस बीमापत्र की अधिकतम सीमा 10 लाख रूपयें, होती है। इसमें किसी भी व्यक्ति को अकेले एवं संयुक्त रूप से 10 का कवर लाभ मिलता है।
2. व्यक्तिगत चिकित्सा बीमापत्र
इस प्रकार के बीमापत्र में प्रत्येक व्यक्ति या पतिध्पत्नी को अलग-अलग रकम की बीमा पॉलिसी दी जाती है। उदाहरणस्वरूप राम ने अपना और अपनी पत्नी का अलग-अलग 3 लाख रूपये का चिकित्सा बीमा कराया। इस प्रकार इस बीमापत्र में 3 लाख रू. जोखिम उनकी कवर की गई और 3 लाख रूपये की उनकी पत्नी की जोखिम भी कवर की गई। इसमें चिकित्सा व्ययों की प्रतिपूर्ति दोनों को अलग-अलग 3 लाख रूपये तक की जा सकती है।
3. समूह स्वास्थ्य बीमापत्र
इस बीमापत्र की सुविधा समूहोंध्संघों, संस्थाओं, निगमीय संस्थाओं को इसलियें उपलब्ध कराई जाती है क्योंकि उनका एक केन्द्रीय प्रशासन होता है। एक न्यूनतम संख्या होने पर ही यह पॉलिसी दी जाती है। समूह उसी श्रेणी का होना चाहिये जो स्वीकृत हो।
नगदहीन सुविधा या बाद में प्रतिपूर्ति की सुविधा
आजकल चिकित्सा बीमा में हमारे देश में दो प्रकार की सुविधाएं प्रचलित है--
1. चिकित्सा व्ययों की प्रतिपूर्ति
इसमें सर्वप्रथम बीमा कराने वाले अस्पताल को अपने बिल का भुगतान कर देते हैं, बाद में कुछ समय बाद उनकी पूर्ति बीमा कम्पनीध्टीपीए बीमा कराने वाले को कर देती है।
2. नकदहीन सुविधा
इसमें इलाज का खर्च बीमा कराने वाले को नहीं उठाना पड़ता है, बल्कि बीमापत्र की शर्तो के अधीन अस्पताल बीमा कंपनी अथवाध्टीपीए से एक सीमा तक रकम की अनुमति ले लेती है और सीधे उसके खाते में भुगतान आ जाता है।
अन्य बीमा पत्र
आजकल बीमा कम्पनियां चिकित्सा सम्बन्धी अन्य व्ययों की पूर्ति के लिये भी बीमापत्र जारी करती है। सामान्य रूप से बीमारी के अलावा लोगों के यात्रा, खाना, पेट्रोल तथा अन्य व्ययों पर भी राशि खर्च होती है। इनकी पूर्ति के लिये भी बीमापत्र जारी किये जाने लगे है।
स्वास्थ्य बीमा के लाभ
ऐसा माना जाता है कि अच्छा स्वास्थ्य एक सम्पत्ति है। लेकिन आजकल की व्यस्त दिनचर्या, गलत खानपान, दूषित पर्यावरण, मिलावटी खाद्य पदार्थ आदि ने मनुष्य के शरीर को बीमारी का घर बना दिया है। आज युवा वर्ग भी हृदय रोग, ब्लड-प्रेशर, मधुमेह आदि का शिकार हो रहा है। दूसरी तरफ देश में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूद नहीं हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में अच्छा इलाज मौजूद नहीं है। निजी इलाज काफी महंगा होता है, जो सभी के वश की बात नहीं है। इन सभी समस्याओं का हल है स्वास्थ्य बीमा। हम थोड़ी-सी प्रीमियम बीमा कम्पनी को देकर महंगे इलाज की चिन्ता से मुक्त हो सकते है। आजकल तो स्वास्थ्य बीमा कर लेने के बाद अस्पतालों में बीमित व्यक्ति को केशलेश इलाज की सुविधा उपलब्ध हो जाती है। नीचे हम स्वास्थ्य बीमा के कुछ प्रमुख लाभों का वर्णन कर रहे है--
1. ऑनलाइन सुविधाएं
सबसे बड़ी बात ये है कि स्वास्थ्य बीमा का ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है, जो पहले किसी एजेंट द्वारा खरीदा जाता था। ऑनलाइन में एक लाभ यह हुआ कि ग्राहक एजेंट की लुभावनी बातों से परे यथार्थ के धरातल पर रहकर बीमा सम्बन्धित सभी जानकारियां स्वयं जान पायेंगे और अपनी आवश्यकतानुसार अपने लिए सही बीमा का चयन करेंगे।
2. चुकाई गई प्रीमियम पर आयकर से छूट
हम स्वास्थ्य बीमा की बीमा कम्पनी को जो चिकित्सा बीमा प्रीमियम चुकाते है उस पर आयकर अधिनियम की धारा 80डी के अन्तर्गत कुल आय में से कटौती मिलती है, अर्थात उतनी कम राशि पर आयकर चुकाना पड़ता है। उदाहरणस्वरूप एक व्यक्ति 20,000 रू. चिकित्सा बीमा प्रीमियम चुकाता है, यदि उसकी कर योग्य आय 5,20,000 रू. है तो उसे 5,00,000 रू. की आय पर ही कर चुकाना पड़ेगा।
3. इलाज सम्बन्धी आवश्यकताओं के लिये धन की व्यवस्था
हम यह अच्छी तरह से समझते हैं कि आजकल बीमारियों का अच्छा इलाज काफी महंगा होता है। अगर हमने स्वास्थ्य बीमा करा रखा है तो हमें इलाज की व्यवस्था के लिए पैसा कहां से आएगा, यह चिन्ता करने की कोई आवश्यकता नहीं। यह काम बीमा कम्पनी का है।
4. विकसित होने का प्रतीक
ऐसा माना जाता है कि जिस देश में जितना ज्यादा स्वास्थ्य बीमें का प्रचलन होता है वह देश उतना अधिक विकसित माना जाता है। भारत जैसे देश में ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग स्वास्थ्य बीमा का आशय ही नहीं समझते हैं। हमारे देश में अभी बहुत कम जनता स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में कवर है। इसके विपरीत अमेरिका जैसे देश में अधिकांश जनता स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत कवर देती है।
5. एक ही बीमा पॉलिसी में पूरे परिवार का बीमा
आजकल बीमा कम्पनियां फ्लोटर मेडिकल बीमा पॉलिसी जारी करने लगी हैं जिसमें एक बीमापत्र के अन्तर्गत ही पति, पत्नी तथा बच्चों का चिकित्सा बीमा हो जाता है।
6. व्यक्ति के आत्मसम्मान में वृद्धि
चिकित्सा बीमा करा लेने से व्यक्ति स्वयं गर्व एवं आत्मसम्मान का भाव महसूस करता है। समाज में जो लोग चिकित्सा बीमा करा लेते हैं उन्हें शिक्षित अथवा पढ़ा-लिखा माना जाता है।
7. समाज के विकसित होने का प्रतीक
जिस समाज में जितने ज्यादा लोग चिकित्सा बीमा करा लेते हैं वह समाज उतना ज्यादा विकसित एवं सभ्य माना जाता है। वास्तव में स्वस्थ समाज ही किसी देश के आर्थिक विकास का आधार होता है। हम यह मानते हैं कि एक बीमार व्यक्ति किसी का भला नहीं कर सकता है।
8. निश्चिंततापूर्वक जीवन व्यतीत करना
जब व्यक्ति अपना चिकित्सा बीमा करा लेता है तो उसे बीमारी के इलाज के खर्च की कोई चिन्ता नहीं रहती और वह निश्चित होकर अपने सभी व्यावसायिक तथा सामाजिक कार्य कर सकता है एवं जीवन व्यतीत कर सकता है।
9. जीवन स्तर में स्थिरता
स्वास्थ्य बीमा करा लेने से व्यक्ति के जीवन स्तर में स्थिरता आ जाती हैं।
10. जोखिमों का समान वितरण
बीमा, सहकारिता के सिद्धान्त पर आधारित है। वास्तव में चिकित्सा बीमा में भी एक व्यक्ति के बीमारी के इलाज का खर्च वैधानिक रूप से अनेक व्यक्तियों में फैल जाता है। इलाज का खर्च अकेले उसे नहीं उठाना पड़ता है बल्कि खर्च सम्पूर्ण बीमा कराने वालों का समूह उठाता है।
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