बीमा के सामाजिक लाभ/उपयोगिता
बीमा के सामाजिक लाभ निम्नलिखित हैं--
1. सभ्यता का प्रतीक
वर्तमान युग में बीमा को आधुनिक सभ्यता का प्रतीक माना जाता है। जो देश जितना अधिक सभ्य होगा, वहां बीमा व्यवसाय उतना ही विकसित अवस्था में होगा।
2. औद्योगिक विकास में सहायक
बीमा कम्पनियां बीमादारों से प्राप्त अग्रिम प्रीमियम कोष का विनियोजन देश की महत्त्वपूर्ण औद्योगिक संस्थाओं में करती है, जिससे देश का औद्योगिक विकास सम्भव होता है। प्रायः संसार के सभी सभ्य देशों की बीमा कम्पनियों ने अपने-अपने देश के औद्योगिक विकास में सराहनीय योगदान दिया है।
3. अल्प बचतों का उत्पादन कार्यो में सदुपयोग
बीमा कम्पनी बीमादारों से प्रीमियम के रूप में प्राप्त अल्प बचतों को उत्पादन कार्यो में लगाती है। इस कारण इस बचत का अच्छा उपयोग होता है।
4. जीवन-स्तर में वृद्धि
बीमा मनुष्य को अपनी आय में वृद्धि करने की प्रेरणा देता है जिसके कारण उसका जीवन-स्तर बढता है।
5. आत्मनिर्भर समाज के निर्माण में सहायक
बीमा निर्धनता, दुर्घटना तथा वृद्धावस्था आदि भविष्य की कठिनाइयों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह आश्रितों के लिये आर्थिक प्रबन्ध का साधन है। बीमा समाज को एक निश्चित सामाजिक जीवनयापन करने में सहायता प्रदान करता है। इससे समाज में आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ती है।
बीमा किसी देश के औद्योगिक विकास के सहयोग प्रदान करके अप्रत्यक्ष रूप से समाज को अधिक रोजगार साधन उपलब्ध करने में सहायक होता है। बीमा की सामाजिक उपयोगिता के सम्बन्ध में एक स्थान पर कहा गया कि ‘‘बीमाकर्ता हानि उठाने वालों को वित्तीय क्षतिपूर्ति करने सम्बन्धी अपने मुख्य कार्य के अतिरिक्त समाज की अनेक बहुमूल्य सेवाएं भी करते है।‘‘
बीमा के व्यक्तिगत लाभ
1. आर्थिक लाभ
बीमा का सबसे महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि इससे परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्राप्त होती है। प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह अमीर हो अथवा गरीब उसकी हार्दिक इच्छा होती है कि उसके बाद उसकी बीवी एवं बच्चों को किसी प्रकार आर्थिक कष्ट न हो। उनका जीवन सुखमय बीते। बाल-बच्चों की शिक्षा तथा विवाह ऐसे विषय हैं जिनके लिए पहले से व्यवस्था करना जरूरी होता है। युवावस्था में आकस्मिक निधन हो जाने पर उसके परिवार पर विपत्तियों का पहाड़ टूट जाता है। बीमा कराके व्यक्ति उपरोक्त सभी चिंताओं से मुक्त हो जाता है। इस प्रकार बीमा उपरोक्त चिंताओं से मुक्ति प्रदान करके परिवार को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
2. वृद्धावस्था की लाठी
बीमा को वृद्धावस्था की लाठी कहा जाता है क्योंकि जिस व्यक्ति को कोई भी सहारा नहीं होता है, बीमा उसका सर्वश्रेष्ठ सहारा बनता है। वृद्धावस्था में जब एक ओर आय-शक्ति क्षीण हो जाती है और दूसरी ओर उसके उत्तरदायित्व बढ़ते ही जाते हैं बीमा न कराने की स्थिति में हो सकता है कि उसे अनेक प्रकार की आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़े और दूसरों की दया दृष्टि पर शेष जीवन व्यतीत करना पड़े। पर अगर कोई व्यक्ति अपनी आय का एक छोटा भाग प्रीमियम के रूप में निगम को देता रहता है। तब वृद्धावस्था में उसे एक बड़ी रकम प्राप्त हो जाती है जिससे वह अपना बुढ़ापा सुखमय व्यतीत कर सकता है। इस प्रकार बीमा बुढ़ापे की लाठी है।
3. बच्चों की शिक्षा एवं शादी की व्यवस्था
वर्तमान समय में विभिन्न प्रकार की बहुउद्देश्यी पालिसियों का प्रचलन हो गया है, जिनको खरीदकर व्यक्ति अपने बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था कर सकता है एवं अपनी पुत्रियों के विवाह के लिए दहेज आदि की व्यवस्था कर सकता है, जिससे शिक्षा या विवाह का समय आने पर उसको एक बड़ी राशि बीमा कंपनी से प्राप्त हो जाती है और उसको आर्थिक कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है।
4. आत्म-सम्मान में वृद्धि
बीमा करा लेने से मनुष्य के आत्म-सम्मान में वृद्धि होती है। समाज के लोगों की निगाह में उसका उच्च स्थान बन जाता है, क्योंकि उसे बीमा कंपनी द्वारा बड़ी आर्थिक सहायता मिलती है। वह समाज पर भार स्वरूप नहीं होता है। उसे अपनी या अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए किसी के आगे मदद के लिए हाथ नहीं फैलाना पड़ता है।
5. मितव्ययी
बीमा बचत का एक अनिवार्य साधन है। अतः बीमा व्यक्तियों को फिजूलखर्ची करने से रोक कर मितव्ययी बनाता है, क्योंकि बीमा की प्रीमियम न चुकाने पर पालिसी रद्द हो जाने की आशंका रहती है। अतः व्यक्ति बचत करने लगता है और मितव्ययी ढंग से अपना कार्य करता है।
6. सुरक्षा एवं विनियोग
बीमा का एक बहुत महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि इसमें सुरक्षा के साथ-साथ विनियोग का तत्त्व भी पाया जाता है। अगर पॉलिसी समाप्त होने से पूर्व ही बीमादार की मृत्यु हो जाए तो पॉलिसी का रुपया उसके परिवार के सदस्यों को मिल जाता है जिससे उनकी रक्षा होती है। इसके विपरीत, यदि पॉलिसी समाप्त होने तक बीमादार की मृत्यु नहीं होती है तो पॉलिसी का रुपया उसे स्वयं वापस प्राप्त हो जाता है।
7. रुपया डूबने की संभावना नहीं
यदि व्यक्ति अपना रुपया बीमा में न लगाकर किसी अन्य व्यक्ति को कर्ज देने में लगाता है या बैंक में जमा करवाता है तो व्यक्ति के दिवालिया हो जाने पर या बैंक के असफल हो जाने पर रुपया डूबने की संभावना अधिक रहती है, लेकिन बीमा पॉलिसी में लगाया गया रुपया शत-प्रतिशत सुरक्षित रहता है, यदि युवावस्था में ही किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो भी उसके परिवार को संपूर्ण बीमाकृत धन बोनस सहित वापस हो जाता है और दिए गए धन के डूबने की तनिक भी आशंका नहीं रहती है।
8. बड़ी धनराशि की प्राप्ति
बीमा के अंदर मनुष्य शनैःशनैः अपनी आय का छोटा सा हिस्सा प्रीमियम के रूप में देता रहता है तो उसको अधिक कष्टदायक मालूम नहीं होता है। इसे इस अल्प त्याग के परिणामस्वरूप कुछ समय बाद एक बड़ी धनराशि प्राप्त हो जाती है। जिससे उसके जीवन की नीव मजबूत होती है।
9. आयकर में छूट
बीमा से व्यक्ति को एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह प्राप्त होता है। कि जितनी रकम यह प्रीमियम के रूप में भुगतान करता है, उस पर उसे आयकर नहीं चुकाना पड़ता है, इस प्रकार वह उस रकम पर आय कर चुकाने के बाद दायित्व के मुक्त हो जाता है।
सरकार एवं विभिन्न पक्षों को लाभ
सरकार को बीमा कंपनियों के द्वारा बहुत धन प्राप्त होता है, क्योंकि बीमा कंपनियों को अपने कोषों का एक भाग सरकारी प्रतिभूतियों में विनियोग करना आवश्यक होता है। साथ ही विदेशों में बीमा करके बीमा कंपनियां अपने देश के लिए अदृश्य निर्यात का कार्य करती हैं तथा विदेशी विनिमय एकत्रित करती हैं।
इस प्रकार निष्कर्ष यह है कि बीमा एक अति महत्त्वपूर्ण भौतिक एवं सामाजिक लाभ जिसके द्वारा मनुष्यों और व्यापारियों को बहुत-सी, सुविधाएं प्राप्त होती हैं और इसके द्वारा संसार बहुत कुछ हद तक जोखिम रहित हो गया है। अंत में हम कह सकते है कि ‘‘बीमा व्यक्ति के लिए फायदेमंद है, व्यापार के लिए वरदान है, समाज के लिए अत्यावश्यक है और आर्थिक प्रगति के लिए एक मुख्य साधन हैं।
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