4/06/2022

एकीकरण की लेखांकन विधियां

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एकीकरण की लेखांकन विधियां 

लेखा प्रमाण -14 के अनुसार एकीकरण लेखांकन की दो विधियां है--

(अ) हितों का समूहीकरण विधि 

इस विधि की कुछ प्रमुख विशेषतायें इस प्रकार है--

1. क्रेता कंपनी के वित्तीय विवरण तैयार करते समय विक्रेता कंपनी की संपत्तियों, दायित्‍वों तथा संचयों (चाहे वे पूंजीगत, आयगत या पुनर्मूल्‍यांकन के कारण उत्‍पन्‍न संचय हों) को उसी मूल्‍य तथा उसी स्‍वरूप में दिखाया जावेगा जैसा कि एकीकरण की तिथि को था। 

विक्रेता कंपनी के लाभ-हानि खाते के शेष को क्रेता कंपनी के उसी प्रकार के शेष में जोड़कर दिखाया जावेगा अथवा उसके सामान्‍य संचय (अगर कोई हों) में स्‍थानान्‍तरित किया जावेगा। 

2. एकीकरण के समय अगर विक्रेता कंपनी और क्रेता कंपनी की लेखांकन नीतियां विरोधाभासी हैं तो एकीकरण के बाद एक समान लेखांकन नीतियां अपनायी जानी चाहिए।

3. विक्रेता कंपनी की अंशपूंजी की राशि तथा उसको निर्गमित अंशपूंजी में अगर कोई अन्‍तर हो तो उसे संचयों से समायोजित किया जाना चाहिए। 

(ब) क्रय विधि 

लेखा प्रमाप -14 के अनुसार एकीकरण के संबंध में लेखा करने की यह दूसरी विधि है। इस विधि की मुख्‍य विशेषताएं इस तरह है--

1. इस विधि का प्रयोग सिर्फ उस समय किया जाता है जब कंपनियों के मध्‍य क्रय के स्‍वभाव का एकीकरण हुआ हो। 

2. इस विधि में हस्‍तांतरक कंपनी की समस्‍त संपत्तियों तथा दायित्‍वों को उनके पुस्‍तकीय मूल्‍य पर हस्‍तांतरी कंपनी की पुस्‍तकों में सम्मिलित किया जाता है। 

3. वैकल्पिक स्थिति यह है कि एकीकरण की तिथि पर हस्‍तांतरक कंपनी की पहचानी जा सकने वाली संपत्तियों तथा दायित्‍वों को उनके उचित मूल्‍य पर हस्‍तांतरी कंपनी की पुस्‍तकों में सम्मिलित किया जा सकता है। 

4. अगर हस्‍तांतरी कंपनी द्वारा हस्‍तांतरक कंपनी की संपत्तियों तथा दायित्‍वों को उनके पुस्‍तकीय मूल्‍य के बजाय उचित मूल्‍य पर लिया जाता है तो उचित मूल्‍य का निर्धारण हस्‍तांतरी कंपनी की इच्‍छा पर निर्भर करता है। 

5. इस विधि में हस्‍तांतरक कंपनी की संचितियों (वैधानिक संचितियों को छोड़कर)सुरक्षित रखना एवं हस्‍तांतरी कंपनी के वित्तीय विवरणों में प्रदर्शित करना जरूरी नहीं है। 

6. इस विधि में  हस्‍तांतरक कंपनी को सिर्फ वैधानिक संचितियों को सुरक्षित रखना एवं हस्‍तांतरी कंपनी की लेखा पुस्‍तकों में प्रदर्शित करना जरूरी है। वैधानिक संचितियां य जैसे, विकास भत्ता संचय, विनियोग भत्ता संचय आदि को सुरक्षित रखना एवं हस्‍तांतरी कंपनी के वित्तीय विवरणों में प्रदर्शित करना जरूरी है। 

7. इसके अलावा यदि किसी कानून के अंतर्गत हस्‍तांतरक कंपनी द्वारा कुछ संचय बनाये गये हैं तो ऐसे सभी संचय हस्‍तांतरी कंपनी के वित्तीय विवरणों में प्रदर्शित किये जायेंगे। 

8. जब वैधानिक संचय का लेखा हस्‍तांतरी कंपनी की पुस्‍तकों में रखना जरूरी है। तो इसके लिए ‘एकीकरण समायोजन लेखा‘ डेबिट किया जाता है एवं वैधानिक संचयों के खाते क्रेडिट किये जाते हैं तथा इसे चिट्ठे में ‘विविध व्‍यय‘ शीर्षक के अंतर्गत प्रदर्शित किया जा सकता है एवं जब इन संचयों तथा लेखे को रखने की जरूरत न हो तब इसे बंद किया जा सकता है। 

9. इस विधि में हस्‍तांतरी कंपनी द्वारा ली गई हस्‍तांतरक कंपनी की शुद्ध संपत्तियों के मूल्‍य में से क्रय प्रतिफल को घटाया जाता है एवं परिणाम नकारात्‍मक प्राप्‍त होता है अर्थात् क्रय प्रतिफल संपत्तियों के शुद्ध मूल्‍य से ज्‍यादा होता है तो इस अंतर की राशि को एकीकरण पर उत्‍पन्‍न ‘ख्‍याति‘ कहा जाता है तथा इसे हस्‍तांतरी कंपनी द्वारा ‘‍ख्‍याति खाते‘ में डेबिट कर दिया जायेगा। इसके विपरीत अगर परिणाम सकारात्‍मक प्राप्‍त होता है अर्थात शुद्ध संपत्तियों का मूल्‍य क्रय प्रतिफल से ज्‍यादा है तो इस अंतर की राशि को ‘पूंजी संचय कहा जाता है तथा इसे ‘पूंजी संचय खाता‘ में क्रेडिट कर दिया जात है। 

10. इस विधि में हस्‍तांतरक कंपनी के लाभ-हानि खाते का शेष, जो चाहे डेबिट हो या क्रेडिट, का कोई अस्तित्‍व नहीं रह जाता है।

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