10/09/2021

संप्रत्यय के प्रकार

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संप्रत्यय के प्रकार 

संप्रत्यय का वर्गीकरण या प्रकार हैं--

1. मूर्त प्रत्यय (Concrete Concepts) 

इस वर्ग में वे प्रत्यय आते हैं जिनका निर्माण आँखों द्वारा प्राप्त संवेदनाओं एवं प्रत्यक्षीकरण के आधार पर होता है; जैसे-- मेज, कुर्सी, किताब, पुरुष, स्त्री एवं प्रत्यय भी कहते हैं। चलना, फिरना, दौड़ना। क्योंकि ये सब जातिवाचक संज्ञाएँ है, इसलिए कुछ विद्वान इन्हें जातिवाचक प्रत्यय भी कहते हैं। 

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2.  अमूर्त प्रत्यय (Abstract Concepts) 

इस वर्ग में वे प्रत्यय आते हैं जिन्हें आँखों से नहीं देखा जा सकता और तो अन्य ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्राप्त संवेदनाओं एवं प्रत्यक्षीकरण के आधार पर निर्मित होते हैं; जैसे-- मधुरता, सुगन्ध, तीखापन एवं कठोरता अच्छाई, बुराई, ईमानदारी एवं बेईमानी जैसे प्रत्यय भी इसी वर्ग में आते हैं। क्योंकि ये सब भाववाचक संज्ञाएँ है, इसलिए कुछ विद्वान इन्हें भाववाचक प्रत्यय भी कहते हैं। 

3. सामान्य संप्रत्यय (General Concept) 

सामान्य संप्रत्यय के दो मुख्य प्रकार हैं- कृत्रिम संप्रत्यय (Artificial Concept) तथा स्वाभाविक संप्रत्यय (Natural Concept)। 

कृत्रिम संप्रत्यय ऐसे संप्रत्यय को कहा जाता है जिसे नियमों या गुणों के सेट द्वारा स्पष्टतः परिभाषित किया जाता है, जैसे त्रिभुज उसे कहा जाता है जिसके तीन भुजा हों तथा तीनों कोण का योग 180° हो। स्वाभाविक संप्रत्यय वैसे संप्रत्यय को कहा जाता है जिसके कोई स्पष्ट परिभाषिक गुण (Defining Features) नहीं होते हैं, इनका कोई स्पष्ट सीमा रेखा या किनारा नहीं होता है। स्वाभाविक संप्रत्यय को एक उदाहरण द्वारा इस प्रकार समझाया जा सकता है। क्या मुर्गी एक जानवर है? यहाँ ' जानवर एक स्वाभाविक संप्रत्यय का उदाहरण परन्तु 'जानवर' कहलाने के लिए कौन-कौन परिभाषित गुणों का होना अनिवार्य है, इसकी कोई निश्चित सीमा नहीं है। स्पष्ट है कि स्वाभाविक संप्रत्यय की सीमा रेखा (Boundaries) अस्पष्ट होती है। 

4. विशिष्ट संप्रत्यय (Specific Concept) 

सामान्य प्रकार के अलावा संप्रत्यय के दो और विशिष्ट प्रकार हैं--- साधारण प्रकार (Simple Concept) तथा जटिल संप्रत्यय (Complex Concept)। साधारण संप्रत्यय को कहा जाता है जिसकी एक विशेशता (Feature or Property) होता है; जैसे पीला, लाल आदि। जटिल संप्रत्यय वैसे संप्रत्यय को कहा जाता है जिसे दो या दो से अधिक विशेषताओं के रूप में परिभाषित किया जाता है। जैसे लाल गाय, हरा बल्ब आदि-आदि जटिल संप्रत्यय के उदाहरण हैं। इन दोनों में मनोवैज्ञानिकों का ध्यान जटिल संप्रत्यय पर अधिक गया है, जिसे उन्होंने निम्नांकित पाँच भागों में बाँटा है-- 

A. समुच्चयबोधक संप्रत्यय (Conjunctive Concept) 

जब किसी वस्तु के दो या दो से अधिक गुणों को जोड़ने पर कोई संप्रत्यय (Concept) बनता है, तो इसे समुच्चय बोधक संप्रत्यय कहा जाता है; जैसे-- भारतीय राष्ट्रपति के पद के उम्मीदवार को 

1. भारत का नागरिक होना चाहिए, 

2. उसकी उम्र 35 वर्ष से कम नहीं होना चाहिए तथा 

3. उसे किसी कानून की अदालत द्वारा सजा नहीं होनी चाहिए। 

यहाँ हम पाते हैं कि भारतीय राष्ट्रपति के उम्मीदवार के संप्रत्यय को तीन विशेषताओं से जोड़कर परिभाषित किया गया है।  

B. वियोजक संप्रत्यय (Disjunctive Concept) 

जब वस्तुओं की कई विभिन्नताओं के बावजूद भी एक विशेषता ऐसी होती है जिसके कारण उसे एक वर्ग में रखा जाता है, तो ऐसी परिस्थिति में उत्पन्न संप्रत्यय को वियोजक संप्रत्यय (Disjunctive Concept) कहा जाता है; जैसे बाघ, चीता, सिंह, भेड़िया चार अलग पशु हैं और प्रत्येक की अलग-अलग विशेषताएँ हैं, परन्तु इस विभिन्नता के बावजूद भी उनमें एक ऐसी विशेषता है जो समान है। और उसके आधार पर उन्हें एक वर्ग यानी जंगली जानवर की श्रेणी में रखते हैं। 

C. सम्बन्धात्मक संप्रत्यय (Relational Concept)

विशेषताओं के बीच सम्बन्धों के आधार पर जो संप्रत्यय बनते हैं उसे सम्बन्धात्मक संप्रत्यय कहा जाता है । दिन प्रतिदिन की जिन्दगी में 'नजदीक', 'दूर', 'छोटा', 'बड़ा', 'भारी', 'हल्का', 'लम्बा' आदि का संप्रत्यय सम्बन्धात्मक संप्रत्यय का उदाहरण है। उदाहरणार्थ, 'प्रिन्सिपल' कॉलेज में सबसे बड़ा पद है, यहाँ 'बड़ा' एक सम्बन्धात्मक संप्रत्यय का उदाहरण हैं। 

D. प्रतिबंधित संप्रत्यय (Conditional Concept)

प्रतिबंधित संप्रत्यय से तात्पर्य वैसे संप्रत्यय से होता है जो "अगर ... तब" (If ... the ) जैसे वाक्य संरचनाओं से घिरे होते हैं। स्पष्टतः इसका मतलब यह हुआ कि ऐसे संप्रत्यय का निर्माण तब होता है, जब इसमें उल्लेखित शर्त पूरा हों, जैसे यदि कोई प्रयोगकर्ता अपने प्रयोग में यह कहता है कि संप्रत्यय कहलाने के लिए अगर कोई वस्तु काला है, तब उसे आयताकार भी होना आवश्यक है तो ऐसा संप्रत्यय, प्रतिबंधित संप्रत्यय का उदाहरण होगा। 

E. द्विप्रतिबंधित संप्रत्यय (Biconditional Concept)  

इस तरह के संप्रत्यय का निर्माण दोहरे शर्त वाले वाक्य संरचनाओं से होता है। प्रायः ऐसे वाक्य की शुरुआत (If and only if) (अगर और सिर्फ अगर) से प्रारम्भ होते हैं, जैसे यदि कोई प्रयोगकर्त्ता प्रयोग के दौरान यह दोहरा शर्त रखते हुए कहता है कि कोई भी काला वस्तु को संप्रत्यय तभी कहा जाएगा, जब वह वस्तु सिर्फ केवल आयताकार हो तो यह द्वि-प्रतिबन्धित संप्रत्यय का उदाहरण होगा। इस उदाहरण से तब यह भी स्पष्ट हो जाता है कि सभी काले वस्तु जो वर्गाकार नहीं है तथा सभी वर्गाकार वस्तुएँ जो काला नहीं हैं, संप्रत्य के श्रेणी से बाहर होंगे।

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