10/31/2021

भारतीय त्योहारों की विशेषताएं

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भारतीय त्योहारों की विशेषताएं

bhartiya tyoharo ki visheshtayen;भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं और यहाँ सभी धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। हमारा संविधान धर्म के नाम पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करता है। हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्म के सभी त्योहारों को यहाँ उत्साह, उल्लासपूर्वक, प्रेम और भाईचारे की भावना के साथ मनाया जाता है। त्योहारों से समाज में सामाजिक समरसता को बढ़ावा मिलता है। समस्त त्योहारों को यहां सौहार्दपूर्ण वातावरण में मनाया जाता है जिससे मानवीय एकता को बल मिलता है। सभी भारतीय त्योहार कुछ सामान्य विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं भारतीय त्योहार की विशेषताओं को निम्न बिन्दुओं में समाहित किया गया हैं-- 

1. धार्मिक सहिष्णुता का प्रदर्शन 

भारतीय त्योहार धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक हैं। इन पर्वो के आयोजन पर सभी धर्म के लोग आपस में जुड़कर सभी को शुभकामनाएँ प्रेषित करते हैं जिससे धार्मिक श्रद्धा का संचार होता है। ये त्योहार मेलजोल की भावना को बढ़ाते हैं और एक दूसरे के धर्म के प्रति आदर रखने की भावना को प्रबल करते हैं। अपने देश में किसी एक समुदाय या सम्प्रदाय के त्योहार होने पर सम्पूर्ण राष्ट्र में अवकाश घोषित किया जाता है इससे समाज के लोगों में प्रेम, उल्लास और आनन्द का संचार होता है। धर्म से जुड़े सारे पर्व आस्था का भाव रखते हैं इससे समर्पण की भावना पैदा होती है। ईश्वर के डर या विश्वास के कारण व्यक्ति पर सदमर्ग पर चलने का एक नैतिक दबाब रहता है जो समाज में नैतिकता के उच्च मानदण्ड स्थापित करने में सहायक हैं।

2. सामाजिक गुणों का विकास 

सभी पर्वों का उद्देश्य मानव कल्याण होता है। भारतीय त्योहार आपसी प्रेम एवं एकता का प्रतीक माने जाते हैं। ये हमें सभी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। इन पर्वों को मनाने से सामाजिक समरसता का विकास होता है। इन पवित्र पर्वो के अवसर पर हमें ईर्ष्या, द्वेष, कलह आदि बुराइयों को दूर करने का आत्मबल मिलता है। पर्व सामाजिक समन्वय को मजबूत करते हैं। भारतीय पर्व बुराई पर अच्छाई के प्रतीक है। ये हमें अन्याय, शोषण और अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने को प्रेरित करते हैं। त्योहारों के सूत्र हमें संगठन एवं एकता का पाठ पढ़ाते हैं। त्योहारों पर दीन-दुःखियों पर दया की जाती है और शत्रुओं से बैर भुलाकर गले मिला जाता है। इन उत्सवों के आयोजन से सदाचार, ईमानदारी और विश्वास जैसे गुणों का विकास होता है। 

3. व्यक्तित्व विकास में सहायक 

सभी धर्मों के त्योहार हमें प्रसन्न रहने की प्रेरणा देते हैं। पुराने महापुरुष जिनके नाम पर पर्व का आयोजन किया जाता है वे साहस, शौर्य, वीरता, निडरता और निर्भीकता के प्रतीक थे, इससे अपने व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इनके जीवन से हमें क्षमा, करुणा, सरलता के गुण सीखने को मिलते हैं। पौराणिक कहानियाँ स्पष्टवादिता और तेजस्विता के भाव को विभोर करने में सक्षम है। धर्म हमें नैतिकता का ज्ञान  का पाठ पढ़ाता है। सभी उत्सव हमें पशु-पक्षियों पर दया और स्नेह का भाव रखने देता हैं।

4. मानवीय दृष्टिकोण का विकास 

सभी भारतीय त्योहार परोपकार, कर्तव्यपरायणता और सच्चाई की भावना से ओतप्रोत है। सभी धर्म के पर्व हमें यह शिक्षा देते हैं कि सदकर्मों से मानव जीवन में सब कुछ हासिल किया जा सकता है। ईश्वर में विश्वास सभी लोगों को समानता की नजर से देखने को प्रेरित करता है। सभी पर्व यही सिखाते हैं कि मानवीय धर्म से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। भारतीय पर्व मानवता को नेकी और प्यार का रास्ता दिखाते हैं। इनका आयोजन सत्य की विजय के रूप में किया जाता है। त्योहार धर्म-दर्शन एवं भक्ति भावना का अनूठा समन्वय पेश करते हैं जो मानव धर्म की विस्तार से व्याख्या करने में सक्षम है। सारे धर्म अपने अनुयायियों को सत्य के मार्ग पर चलने का वचन देते हैं। 

5. नीरसता एवं मानसिक तनाव से छुटकारा 

हमारे जीवन में त्योहारों का बहुत अधिक महत्व है। त्योहार हमारे जीवन की रिक्तता अथवा शून्यता को खुशहाली से भरते हैं। विभिन्न त्योहारों को मनाने से जीवन की सरलता, उत्साह, उल्लास एवं आनन्द में वृद्धि होती है। उमंग से भरपूर त्योहार जीवन में ताजगी प्रदान करते हैं जिससे मानसिक तनाव कम होता है। व्यक्तिगत समस्याओं के कारण आज समाज के कई सदस्य सामाजिक कार्यों को निष्क्रिय रहने के कारण अपने आप को हासिए पर समझने लग जाते हैं इससे उनमें निराशा के भाव पनपने लग जाते हैं। उत्सव लोगों में सहयोग, सेवा, उदारता जैसे सामाजिक गुणों को जागृत करते हैं। इससे उत्साह एवं उल्लास का संचार होता है जो नीरसता को दूर करने मे सहायक होता हैं। 

6. राष्ट्रीय एकता के प्रतीक 

भारत में धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, स्थानीय, जातिगत और राष्ट्रीय जैसे अनेक प्रकार के पर्व मनाए जाते हैं। ये सभी पर्व अपनी विचारधारा एवं मूल्यों से सम्पूर्ण राष्ट्र को एक धागे में पिरोकर रखते हैं। इन पर्वों का सीधा सम्बन्ध भारतीय संस्कृति से होता है। विभिन्न प्रकार की समस्याओं एवं आपदाओं पर त्योहार हमें संगठित करते हैं और समस्याओं का निवारण सुझाते हैं। त्योहार हमें जाति और धर्म से ऊपर देश एवं संस्कृति से देश जोड़ते हैं। इन पर्वों की मान्यताओं से हमें त्याग और साहस का परिचय होता है जो देश के लिए बलिदान को प्रेरित करता है। आजादी के समय पर्व जन जागरण का कार्य करते थे। त्योहार हमें पर्यावरण को बचाने की शिक्षा भी प्रदान करते हैं। 

7. मनोरंजन में सहायक 

देश के दूर-दराज के भाग में आज भी मीडिया का अभाव है। आर्थिक विषमता एवं सामाजिक कारणों से वहां अभी तक मनोरंजन के भौतिक संसाधन सुलभ ही नहीं हो पाए। ऐसे में त्योहारों का आयोजन ही उनके लिए अमोद-प्रमोद का माध्यम है। त्योहारों के अवसर पर परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर हसी मजाक कर लेते हैं। मनोरंजन के लिए कई पर्वो के समय खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त नाटक, गीत-संगीत और विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भी व्यक्ति अपना मन बहलाते हैं। अधिकतर पर्व फसल की कटाई के बाद मनाए जाते हैं। तब तक व्यक्ति परिश्रम से थक हार जाता है। ऐसे में इनका आयोजन एक नई स्फूर्ति एवं ताजगी प्रदान करता है । इन पर्वो के बहाने से ऐसे लोग घर की सफाई से लेकर अपने स्वयं के लिए खरीददारी कर लेते हैं। 

8. संस्कृति का हस्तान्तरण

त्योहार संस्कृति के वाहक होते हैं। सभी त्योहारों का सम्बन्ध किसी न किसी पौराणिक घटना और परम्परा से जुड़ा होता हैं जिसको इनके आयोजन से लोग जानने लगते हैं। त्योहार परम्पराओं के पोषक होते हैं और उनको पीढी दर पीढ़ी आगे बढ़ाते रहते हैं। सभी पर्व भारतीय दर्शन का ज्ञान कराते हैं। इनसे हमें मानवतावाद और आध्यात्मवाद की जानकारी प्राप्त होती है। त्योहार सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का प्रयास करते हैं। ये समाज में अलख जगाने का एक कारगर माध्यम हैं।

9. धार्मिक आस्था के सूचक 

भारतीय संस्कृति सर्वांगीणता, विशालता, उदारता और सहिष्णुता की दृष्टि से अन्य संस्कृतियों की अपेक्षा विश्व में अग्रणी स्थान रखती है। विकसित देशों के विपरीत भारतीय संस्कृति आध्यात्मिकता के मूल्यों पर आधारित है। अपने सभी पर्व धार्मिक आस्था और विश्वास के सूचक हैं। इस आस्था के जुड़ाव एवं ईश्वर के रूष्ट होने के भय से इंसान सदैव परिश्रम करके कमाता है और सच्चाई के पथ पर चलता है। धर्म व्यक्ति के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रस्तुत करता है। कई पर्वों पर उपवास भी रखा जाता है। 

10. पौराणिक मान्यताओं पर आधारित 

समस्त भारतीय पर्व किसी न किसी धार्मिक एवं पौराणिक मान्यताओं पर आधारित हैं। इनको मनाने के पीछे परम्पराओं का बड़ा हाथ होता है। कई त्योहार वीरता, साहस और शौर्य की गाथाओं के प्रतीक होते हैं। इन उत्सवों पर उनसे जुड़ी कथाओं को विशेष तौर से सुना जाता है। प्राचीन धारणाओं के माध्यम से ये त्योहार हमारे मन में आत्मबल पैदा करते हैं।

प्रमुख भारतीय त्योहार 

विभिन्न धर्मों के लोगों द्वारा उत्सवों को मनाने के कारण भारत विभिन्न संस्कृतियों और जातीयता की भूमि के रूप में जाना जाता हैं। ये उत्सव भारतीय समाज की आधारशिला हैं। कुछ प्रमुख भारतीय त्योहार/उत्सवों निम्नलिखित हैं-- 

1. बैशाखी 

2. बसन्त पंचमी

3. भाई दूज

4. बुद्ध जयन्ती

5. छठ पूजा

6. दीपावली

7. दशहरा (दुर्गापूजा)

8. गणगौर 

9. गोवर्धन पूजा 

10. होली 

11. होला मोहल्ला 

12. जगन्नाथ यात्रा

13. महावीर जयन्ती

14. माउन्ट आबू त्योहार 

15. रक्षा बंधन 

16. पोंगल 

17. लोहड़ी 

18. गणतंत्र दिवस

19. स्वतन्त्रता दिवस 

20. मकर संक्रांति

21. रामनवमी 

22. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

23. महाशिवरात्रि 

24. गणेश चतुथी

25. विशु

26. क्रिसमस डे

27. गुड फ्राइड 

28. ईस्टर 

29. ईद-उल-फितर

30. ईद-उल-जुहा (बकरा ईद) 

31. मुहर्रम 

32. गुरू पूर्णिमा।

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