12/01/2020

शिमला समझौता क्या था? प्रावधान/शर्ते

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1971 के भारत-पाक युद्ध मे पाकिस्तान की पराजय हुई और इस युद्ध के फलस्वरूप बंगला देश स्वतंत्र हो गया। इस युद्ध मे पाकिस्तान की घोर पराजय के कारण वहां बहुत असंतोष उत्पन्न हुआ। फलतः राष्ट्रीपता याह्रा खाँ का पतन हुआ और सत्ता जुल्फिकार अली भुट्टो के साथों मे आ गई। भारत का इस युद्ध के बाद संसार मे मान-सम्मान बढ़ गया। उपमहाद्वीप मे उसकी सैनिक शक्ति की धाक जम गई। भारत के शौर्य का लोहा संसार मानने लगा।

शिमला समझौता क्या था?

युद्ध से उत्पन्न समस्याओं को हल करने के लिए भारत और पाकिस्तान का 3 जुलाई, 1972 को शिमला मे एक समझौता हो गया। इस समझौते के अनुसार भारत सरकार तथा पाकिस्तान की सरकार ने यह इरादा किया कि दोनो देश पारस्परिक मेल-जोल को उत्पन्न करेंगे तथा तथा मित्रतापूर्ण संबंधो को स्थापित करेंगे और लड़ाई-झगड़ों को बंद करेंगे। इस उद्देश्य पूर्ति के लिए भारत सरकार तथा पाकिस्तान की सरकार इस बात के लिए सहमत हो गई। 

शिमला समझौते के मुख्य प्रावधान अथवा शर्तें

1. दोनों देशों के बीच संबंध संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों और उद्देश्यों के अनुसार निर्धारित होंगे।

2. दोनों देश अपने मतभेदों को शान्तिपूर्ण उपायों से हल करेंगे। वे आपसी पत्र व्यवहार द्वारा अथवा किसी अन्य शान्तिपूर्ण उपाय से अपने झगड़ों का निर्णय करेंगे। तब तक कोई भी पक्ष एकतरफा यथास्थिति को बदलने का प्रयत्न नही करेगा। दोनों देश शान्तिपूर्ण और मेल-जोल के संबंधो को बनाये रखने के लिए किसी संस्था को कोई सहायता नही देंगे जो इन संबंधो को खराब करें।

3. दोनों देशों मे मेल-जोल और अच्छे संबंध बनाये रखने के लिए पहली शर्त यह है कि दोनो द्वारा सह-अस्तित्व, एक दूसरे की अखंडता का सम्मान और प्रभुसत्ता का सम्मान किया जाये तथा समानता और पारस्परिक लाभ के आधार पर एक-दूसरे के अन्दरूनी मामलों मे हस्तक्षेप न किया जाए।

4. गत 25 वर्षों मे जिन समस्याओं ने दोनो के संबंधो को खराब किया है, वे शान्तिपूर्ण साधनो के द्वारा हल की जायेगी।

5. वे एक-दूसरे की राष्ट्रीय एकता, प्रादेशिक अखण्डता, राजनीतिक स्वतंत्रता और प्रभुसत्तापूर्ण समानता का आदर करेंगे।

6. वे संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्यो के अनुसार एक-दूसरे की राजनीतिक स्वतंत्रता अथवा प्रादेशिक अखण्डता के विरूद्ध शक्ति का प्रयोग नही करेंगे। 

7. दोनों देश एक-दूसरे के विरूद्ध विषैला प्रचार करने से दूर रहेंगे और ऐसी सूचनाओं का प्रचारश करेंगे जिनसे अच्छे संबंध उन्नत हों। 

इसके अतिरिक्त दोनों देशो ने अपने संबंधो को सामान्य बनाने के इन कदमों पर अपनी सहमति प्रकट की--

(अ) दोनो देश डाक, तार, हवाई और समुद्री यातायात को बहाल करने के लिए कदम उठायेंगे।

(ब) व्यापार और आर्थिक क्षेत्र मे सहयोग दोनों मे शीघ्र शुरू हो जायेगा।

(स) विज्ञान और संस्कृति के क्षेत्र मे आदान-प्रदान को उन्नत किया जायेगा।

(द) इन बातों के लिए दोनों देशों के शिष्ट मंडल समय-समय पर मिलते रहेंगे।

(ई) स्थाई शांति स्थापित करने के लिए भारत और पाकिस्तान की सेनाएं अंतर्राष्ट्रीय सीमा से अपनी-अपनी ओर हट जायेंगी।

(फ) जम्मू तथा कश्मीर मे युद्ध के फलस्वरूप, 17 दिसम्बर, 1971 की नियंत्रण रेखा का दोनो पक्ष सम्मान करेंगे और पारस्परिक मतभेदों के बावजूद कोई भी पक्ष उसको एक तरफा बदलने का प्रयत्न करेगा। दोनों पक्ष नियंत्रण रेखा को बदलने के लिए शक्ति का प्रयोग नही करेंगे।

(झ) एक-दूसरे के क्षेत्रों से सेनाओं की वापसी इस समझौते के लागू होने के बाद 30 दिन मे पूरी कर ली जाएगी।

यह समझौता दोनो देशो की संसदो द्वारा अनुसमर्थित होने पर तथा एक-दूसरे को उसकी सूचना देने पर लागू हो जाएगा। दोनों देशों के प्रतिनिधि इसके बाद मिलेंगे और युद्धबन्दियों की अदला-बदली के बारे मे बातचीत करेंगे।

शिमला समझौते का मूल्यांकन 

1. युद्ध मे जीती हुई भूमि वापस 

युद्ध मे पाकिस्तान की घोर पराजय हुई। पश्चिमी क्षेत्र मे भारत ने पाकिस्तान की लगभग छः हजार वर्गमील भूमि पर कब्जा कर लिया था। भारत-शिमला समझौते के अनुसार भारत को पाकिस्तान की 5000 वर्गमील भूमि खाली करनी पड़ेगी जबकि कश्मीर मे भारत की 30 हजार वर्गमील भूमि पर अपना अवैध कब्जा यथापूर्व कायम रखेगा। यह भारत के जवानों द्वारा दिये गये बलिदानों के साथ विश्वासघात था।

2. स्थायी शांति नही 

शिमला समझौते से पूर्व भारत की स्थिति सुदृढ़ थी तथा पाकिस्तान से स्थायी शांति की कोई ठोस योजना स्वीकृत करा सकता था। श्रीमती इंदिरा गांधी ने समझौते से पूर्व कहा भी था कि हम "पैकेज डील" करेंगे। पाकिस्तान के साथ अन्तिम रूप मे सभी समस्याओं का समाधान करेंगे। भारत के पास पाकिस्तान की 5619 वर्ग मील क्षेत्र था तथा 89,000 सैनिक बंदी थे। परन्तु भारत ने इतनी अच्छी स्थिति का भी फायदा नही उठाया और भारत ने स्थाई शांति का ठोस प्रयास नही किया। परिणाम यह हुआ कि पाकिस्तान का आवश्यक उद्देश्य आँशिक रूप से पूरा हो गया परन्तु भारत को स्थायी शांति का कोई ठोस आधार नही मिला।

3. आजाद काश्मीर पाकिस्तान को दिया

शिमला समझौते मे भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर को प्राप्त करने का कोई प्रयास नही किया वरन् अप्रत्यक्ष रूप से 'आजाद कश्मीर' को पाकिस्तान का हिस्सा मान लिया।

4. कूटनीतिज्ञ पराजय 

कुछ आलोचकों का कहना है कि शिमला समझौता भारत की कूटनीतिक पराजय है। पाकिस्तान को दो चीजें लेनी थी। भूमि और युद्ध बंदी। इनको भारत ने बड़े परिश्रम से प्राप्त किया था। भारत ने इन दोनो को ही सरलता से पाकिस्तान की झोली मे डाल दिया। भारत को इस समझौते से कोई कूटनीतिज्ञ लाभ नही मिला।

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