4/07/2021

ब्याज किसे कहते हैं? परिभाषा

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ब्याज किसे कहते हैं? (byaj kya hota hai)

साधारणतया बोलचाल की भाषा मे मुद्रा के प्रयोग के बदले मे दिये गये भुगतान को ब्याज कहते है, परन्तु अर्थशास्त्र मे इसका व्यापक अर्थ मे प्रयोग किया जाता है। राष्ट्रीय आय का वह भाग जो पूंजी की सेवाओं के बदले मे पूंजीपतियों को दिया जाता है, ब्याज कहलाता है। विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने ब्याज की भिन्न-भिन्न परिभाषाएं दी है।

ब्याज की परिभाषा (byaj ki paribhasha)

मेयर्स के अनुसार," ब्याज वह कीमत है जो कि ऋण योग्य कोषों के प्रयोग के लिए दी जाती है।

सेलिगमैन के अनुसार," ब्याज पूंजी कोष के बदले मे मिलने वाला पारितोषण है।" 

कार्वन के शब्दों मे," ब्याज वह आय है जो पूंजी के स्वामी को प्राप्त होती है।" 

केयर्नक्रास के अनुसार," ब्याज पूंजी को किराये पर लेने की कीमत है। अधिक संक्षिप्त मे, यह ऋण की कीमत है। यह कीमत साधारणतया ऋण के मूलधन की गणना की गई एक वार्षिक दर के रूप मे व्यक्त की जाती है।

विकसेल के अनुसार," ब्याज वह भुगतान है, जो पूंजी के उधारकर्ता द्वारा इसकी उत्पादकता के कारण चुकाया जाता है। यह बचतकर्ता के उपभोग स्थगन का पुरस्कार भी है।" 

कीन्स के अनुसार," ब्याज वह पारितोषण है, जो लोगों को अपना धन अपसंचित मुद्रा को छोड़कर अन्य किसी रूप मे रखने के लिए चुकाया जाता है।" 

अन्य शब्दों मे, ब्याज एक निश्चित अवधि के लिए तरलता के पारित्याग का पुरस्कार है।

मार्शल के शब्दों मे," किसी ऋणी द्वारा ऋण के प्रयोग के बदले दी गई राशि ब्याज कहलाती है। व्यापक रूप मे, इह शब्द का प्रयोग पूंजी के प्रयोग के बदले मे दी गई राशि के लिए किया जाता है।

उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि ब्याज मुद्रा अथवा पूंजी के लेने-देने से संबंधित है तथा यह कहा जा सकता है कि पूंजी के प्रयोग के बदले दिये जाने वाले प्रतिफल को ही ब्याज कहते है। चूंकि आधुनिक उत्पादन व्यवस्था मे पूंजी का महत्वपूर्ण योगदान है। अतः इसके प्रयोग के बदले जो पुस्तकार चुकाया जाता है, उसे ब्याज कहते है। कुल मिलाकर "ब्याज मौद्रिक पूंजी के उपयोग का भुगतान है।"

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