असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन का महत्व
असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन का महत्त्व इस प्रकार है--
1. अचेतन मन की शक्तियों का ज्ञान
अचेतन मन की शक्तियों का ज्ञान असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन से हो जाता है। मानव-व्यवहार के निर्धारण में अचेतन कितना अधिक प्रभावी है, इसका ज्ञान सम्मोहन द्वारा स्पष्ट हो जाता है। असामान्य मनोविज्ञान अपराधी बालकों के आक्रामक व्यवहार और उपचार को वैज्ञानिक आधार पर समझने का भी प्रयत्न करता है।
2. अपराधी व्यहवहार की व्यापक जानकारी
असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन से अपराधी व्यवहार के केवल तात्कालिक अभिप्रेरकों का ही पता नहीं लगता वरन् इससे अपराधी व्यक्ति में सक्रिय विभिन्न अचेतन अभिप्रेरकों को समझने में भी बहुत मदद मिलती है।
3. आत्म-ज्ञान की अधिक जानकारी
असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन से आत्म (Self) के विकास की अति विस्तृत वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त हो जाती है। इससे जैविक, सामाजिक और सांस्कृतिक निर्धारकों को विशिष्ट भूमिका को भी समझने का अवसर प्राप्त हो जाता है और व्यवहार में अचेतन मन की महत्वपूर्ण भूमिका समझने का असीमित ज्ञान भण्डार भी।
4. दूसरे व्यक्तियों के बारे में ज्ञान
असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन से व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों के बारे में सरलता से समझ सकता है कि वह गलत कार्यों में तो रुचि नहीं ले रहा अथवा उसका व्यवहार असामान्य की ओर तो नहीं अग्रसर हो रहा इत्यादि।
5. दैनिक जीवन की त्रुटियों का ज्ञान
असामान्य मनोविज्ञान में विशेष रूप से मनोविश्लेषणवादी सिद्धांत से दैनिक जीवन की त्रुटियों के उद्देश्यपूर्ण कारणों को व्यक्ति भली भाँति समझने लगता है।
6. स्वस्थ सामाजिक प्रतिमानों के विकास की आवश्यकता पर पर्याप्त बल
असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन द्वारा यह लाभ हुआ है कि अब मनोरोगो में कठोर सामाजिक सांस्कृतिक कारकों के दुष्प्रभावों को समझा जाने लगा है और यह अनुभव किया जा रहा है कि मानव हेतु अति कठोर और चिन्ता उत्पन्न करने वाली संस्थाओं व परम्पराओं में भी संशोधन लाया जाना आवश्यक है। इसलिए स्वस्थ सामाजिक प्रतिमानों के विकास की आवश्यकता पर बल दिया जाने लगा है।
7. बालक का अधिक स्वस्थ सामाजीकरण
असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन से माता-पिता एवं अभिभावक बालक के प्रति कुंठात्मक व्यवहार करने में अब अधिक सचेत हो गए हैं परिणामस्वरूप बालक का स्वस्थ सामाजीकरण हो रहा है।
8. व्यक्ति में आत्मविश्वास की उत्त्पत्ति
असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन से व्यक्ति में आत्मविश्वास की उत्पत्ति हो जाती है क्योंकि व्यक्ति यह समझ लेता है कि कोई व्यक्ति असामान्य हो सकता है और उपचार के माध्यम से उसे फिर से सामान्य बनाया जा सकता है।
9. पारस्परिक समझदारी
असामान्य मनोविज्ञान में व्यवहार के संबंध में मनोगतिकी के नियमों की व्यापक जानकारी से संसार के व्यक्ति परस्पर तनावों को दूर करते हुए एक-दूसरे की भावनाओं, आवश्यकताओं तथा आकांक्षाओं को सरलता से समझने लगे हैं।
इस प्रकार स्पष्ट है कि असामान्य मनोविज्ञान के अध्ययन की आधुनिक युग में बहुत उपयोगिता है।
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