6/15/2022

वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अर्थ, परिभाषा, मूल तत्व, विशेषताएं

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण (अभिवृत्ति) का अर्थ (vaigyanik drishtikon kya hai)

प्रकृति की कार्यशैली को समझना ही विज्ञान का उद्देश्य हैं। प्राचीनकाल में बहुत-सी बातें सिर्फ इसलिए मान ली जाती थी कि वे किसी व्यक्ति विशेष या धर्म विशेष द्वारा प्रतिपादित थीं; लेकिन आधुनिक विज्ञान सिर्फ ऐसे विचारों का समूह है जो उन बातों पर निर्भर है जिनका प्रत्यक्ष ज्ञान सभी व्यक्तियों को उनकी आंख, नाक, कान आदि ज्ञानेन्द्रियों द्वारा हो सकता हैं। 

वैज्ञानिक खोज की नई प्रणाली सिर्फ प्रेक्षित बातों पर निर्भर हैं, जिसमें धारणाओं की पुष्टि प्रेषित तथ्यों से होती हैं तथा उनकी मान्यता इस पुष्टि पर निर्भर हैं। शिक्षण के इस दृष्टिकोण को वैज्ञानिक दृष्टिकोण कहते हैं। यह अंधविश्वास दूर कर व्यक्ति में विश्वास तथा जिज्ञासा का प्रादुर्भाव करता हैं। 

विज्ञान के अध्ययन से वैज्ञानिक विधि का अनुसरण करने से वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। रूढ़िगत तथा परंपरागत विचारों से हटकर स्वतंत्र और मुक्त चिंतन की प्रवृत्ति ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण को जन्म दिया हैं। वास्तव में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सत्य तथा यथार्थ का पता लगा सकते हैं। उदार मनोवृत्ति ज्ञानप्राप्ति की जिज्ञासा ज्ञान प्राप्‍त करने की प्रविधियों में विश्वास तथा प्राप्‍त ज्ञान के प्रयोग के आधार पर उसके प्रामाणिक होने की संभावना, ये सभी तथ्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण में निहित है। 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण क्या हैं? 

बालकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अथवा अभिवृत्ति पैदा करना एवं उसके विकास हेतु उपयुक्त अवसर देना विज्ञान शिक्षण का सबसे प्रमुख तथा जरूरी उद्देश्य हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण की परिभाषा (vaigyanik drishtikon ki paribhasha)

हैस, ऑबर्न एवं हाॅफमैन के अनुसार," समस्या समाधान के सभी तत्त्वों का एक व्यवहार समूह अथवा मानसिक ढाँचे से निकट संबंध हैं, जो विज्ञान शिक्षण का महत्त्वपूर्ण परिणाम हैं।" 

शिक्षा अध्ययन की राष्ट्रीय समिति के अनुसार," सहज जिज्ञासा, उदार मनोवृत्ति, सत्य के प्रति निष्ठा, अपनी कार्य पद्धति में पूर्ण विश्वास और अपने परिणाम अथवा अन्तिम विचारों की सत्यता को प्रयोग में लाकर प्रमाणित करना आदि गुण वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अंतर्गत आते हैं।" 

एक अन्य दृष्टिकोण के अनुसार," वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अंतर्गत पक्षपात, संकीर्णता एवं अन्धविश्वासों से मुक्ति, उदार मनोवृत्ति, आलोचनात्मक मनोवृत्ति, बौद्धिक ईमानदारी, नव साक्षी की प्राप्ति के आधार पर विश्वास करना आदि गुण सम्मिलित हैं।" 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मूल तत्व

वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मूल तत्व निम्नलिखित हैं--

1. जिज्ञासा

वैज्ञानिकों द्वारा हमारे चारों तरफ मौजूद पर्यावरण तथा प्रकृति के बारे में विभिन्न क्रिया-कलापों के संबंध में अधिक से अधिक जानने की उत्कंठा तथा नवीन ज्ञान का पता लगाना या उसकी आकांक्षा रखना ही जिज्ञासा हैं। वैज्ञानिक बड़े ही जिज्ञासु होते हैं। वे नवीन ज्ञान को ग्रहण करने के लिए या ज्ञान की अभिवृद्धि करने में हमेशा अध्ययनरत तथा चिंतनरत रहते हैं। 

2. अंधविश्वासों से मुक्ति 

समाज में रहने वाले व्यक्तियों द्वारा सामाजिक रूप से परंपरागत तथा रूढ़िवादी विचारधाराओं को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लेना ही अंधविश्वास हैं; जैसे-- बिल्ली के द्वारा रास्ता काटने पर घर से नही निकलना, घर से निकलते समय कुत्ते का कान फड़फड़ाना, घर से बाहर किसी कार्य के लिए जाते समय रास्ते में किसी व्यक्ति द्वारा खाली बर्तन लिये हुए निकलना, छींक आने पर नये कार्य का शुभारंभ नही करना, घर में टूटे हुए आयना (शीशे) में मुँह नहीं देखना आदि अंधविश्वास के उदाहरण हैं। इनमें अधिकांश बातें (अंधविश्वास) बड़े-बूढ़ों की सुनी-सुनाई बातों पर आधारित होती हैं। विज्ञान के प्रयोग से ही क्या, कैसे, किस प्रकार तथा क्यों? के प्रश्नों का प्रामाणिक हल प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह प्रचलित धारणाओं की सत्यता तथा असत्यता को परख कर उन्हें स्वीकार करना अथवा नही करना ही अंधविश्वास से मुक्ति पाने का मार्ग हैं। वास्तव में वैज्ञानिक विचारधारा वाले व्यक्तियों को अंधविश्वासों में कोई आस्था नहीं होती। 

विज्ञान ने मनुष्य का दृष्टिकोण बदल दिया है। वर्तमान में विज्ञान का छात्र सामाजिक तथा प्राकृतिक घटनाओं का सही रूप में विश्लेषण इन्हीं प्रश्नों के आधार पर करके तर्कपूर्ण ढंग से उनकी व्याख्या करता हैं। वह भ्रमयुक्त, परंपरागत रूढ़ियों एवं अंधविश्वासों पर भरोसा नहीं करता। आज के वर्तमान युग में मनुष्य के विचार से बीमारियों का कारण भूत-प्रेत, देवी-देवताओं का प्रकोप तथा अन्य भ्रामक बातें नहीं हैं। 

3. उदार मनोवृत्ति

वैज्ञानिक अपने विचारों को पूर्वाग्रहों से मुक्त रखते हैं। वैज्ञानिक के प्रतिकूल विचारों का भी वे उचित सम्मान करते हैं। वैज्ञानिक अपनी स्वयं की विचारधारा अथवा नियम के गलत सिद्ध हो जाने पर नये विचारों को स्वीकार करने में कभी नहीं हिचकिचाता। वैज्ञानिक ऐसा तब तक नहीं करता, जब तक कि वह स्वयं प्रयोगों के आधार पर उनकी सत्यता की जाँच नहीं कर लेता। 

4. समस्याओं का क्रमबद्ध समाधान 

समस्या को भली-भाँति समझकर ही उसका समाधान करना चाहिए। समस्या के संबंध में विचार-विमर्श तथा तर्क-वितर्क करने के बाद उसकी व्याख्या करनी चाहिए। व्याख्या से समस्या के विभिन्न पदों को प्राथमिकता के आधार पर क्रमबद्ध करके समस्याओं का समाधान पेश किया जाना चाहिए। इस तरह आप अनुभव करेंगे कि इस पद्धति द्वारा समस्या सुगमता से सुलझने लगती हैं। 

5. धैर्य 

वैज्ञानिकों में धैर्य का होना नितांत जरूरी समझा जाता हैं। किसी समस्या का उचित समाधान नहीं मिलने पर या उसमें असफल रहने पर घबराकर अथवा हताश होकर उसे छोड़ देना वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुकूल नहीं हैं। ऐसी स्थिति में उसे अपनी असफताओं के कारणों का पता लगाकर समस्या समाधान के तौर-तरिकों में जरूरी संशोधन तथा परिवर्तन करके पुनः पूर्ण लगन, उत्साह और धैर्यपूर्वक उसके समाधान हेतु जुट जाना जरूरी हैं। धैर्य वैज्ञानिक अनुसंधान की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। अतः वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले व्यक्ति को धैर्य का परिचय अवश्य देना चाहिए। इसका उदाहरण, वैज्ञानिक मिलीकाॅन ने इलेक्ट्राॅन का आवेश ज्ञात करने के लिए कई वर्षों तक प्रतिदिन 18-18 घंटे तक कार्य किया तथा अंततः वे अपने उद्देश्य में सफल हुए। यह सब मिलीकाॅन के धैर्य का परिचायक उसे सफलता की सीढ़ी पर ले पहुँचा।

6. ईमानदारी

वैज्ञानिक अपने द्वारा प्रतिपादित निष्कर्षों की सूचना पूर्ण ईमानदारी से देते हैं, जिसमें कि अन्य व्यक्ति धोखा न खाकर अनुसंधान कार्य की वास्‍तविकता को समझ सकें एवं उसे अपने जीवन में अंगीकार कर आगे बढ़ सकें। वैज्ञानिक अपने द्वारा प्रतिपादित किये गये निष्कर्षों को अपनी रूचि अथवा अरूचि से प्रभावित नहीं होने देते। वैज्ञानिकों की यह बहुत बड़ी ईमानदारी होती हैं। 

इनके अलावा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संबंधित कुछ प्रमुख बिन्दु निम्न तरह हैं-- 

1. कारण तथा प्रभाव में विश्वास का होना। 

2. विज्ञान विषय के विशेषज्ञों द्वारा लिखित पुस्तकों में ज्यादा विश्वास। 

3. वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर निर्णय लेने की क्षमता। 

4. वैज्ञानिक घटनाओं के प्रति रूचि तथा अंतर्दृष्टि की क्षमता का होना। 

5. निरंतर अध्ययन की आदत का होना। 

6. तथ्यों के संकलन तथा विश्लेषण की योग्यता का होना। 

7. निष्कर्षों की जाँच तथा पुष्टि करने की इच्छा का होना। 

विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करने के लिए अध्यापक को चाहिए कि वह विद्यार्थियों को स्वाध्याय, आशुरचित उपकरण निर्माण, प्रायोगिक कार्य एवं समस्या समाधान के लिए स्वतंत्र रूप से अवसर प्रदान करे अर्थात् पाठ्यक्रम, भौतिक सुविधाएं एवं प्रायोगिक कार्य के लिए उन्हें अवसर प्रदान करने के लिए छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित किया जाये।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण/अभिवृत्ति की विशेषताएं 

वैज्ञानिक दृष्टिकोण की मुख्य विशेषताएं निम्‍नलिखित हैं-- 

1. विज्ञान का आधार प्रत्यक्ष सत्य हैं। 

2. विज्ञान हर तथ्य का विश्लेषण करके फिर उसके प्रत्येक भाग को बारीकी से समझने का प्रयास करता हैं। उदाहरणार्थ, चुंबकीय आकर्षण किस तरह निर्भर हैं? 

इसे हम कई भागों में बाँट सकते हैं-- 

(क) क्या वह आकर्षित करने वाले चुंबक के ध्रुव की शक्ति पर निर्भर है। 

(ख) क्या आकर्षण चुंबक के ध्रुव की शक्ति पर निर्भर हैं। 

(ग) क्या दोनों के बीच की दूरी पर निर्भर हैं, आदि। 

3. वैज्ञानिक विचारधारा में परिकल्पना का स्थान, जब कभी हम दो तथ्यों को हमेशा एक साथ होते हुए देखते हैं तो तुरंत उनके बीच किसी संबंध की कल्पना कर लेते हैं, फिर इस कल्पित धारणा के धारणा के आधार पर नये दृष्टांतों की खोज जारी रहती है। इस तरह परिकल्पना का उपयोग वैज्ञानिक दृष्टिकोण की एक प्रमुख विशेषता हैं। मानव मस्तिष्क उस समय तक धारणा नहीं बनाता जब तक कि उसे सारे आंकड़े नहीं मिल जायें। प्राप्त आंकड़ों के आधार पर तुरंत वह तथ्यों के संबंध की परिकल्पना करना शुरू कर देता है। इस परिकल्पना से ही आगे के अवलोकन का मार्ग निर्धारित होता हैं। 

4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण पक्षपातविहीन हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण सिर्फ सत्य की खोज करता है। पक्षपातपूर्ण तर्क एवं संवेगात्मक आशक्ति उसे ग्राह्रा नहीं हैं। सत्य ही उसका उद्देश्य होता हैं।

5. विज्ञान वस्तुनिष्ठ मापकों पर निर्भर रहता है। जिन व्यक्तियों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रशिक्षण नहीं मिला है, वे बहुधा वैयक्तिक अंदाज से मूल्‍यांकन करते हैं। इसलिए विज्ञान की प्रगति अच्छे मापकों पर निर्भर करती हैं। 

6. विज्ञान परिणाम या नतीजों की खोज में रहता हैं। वैज्ञानिक सिर्फ इतना जान लेने से ही संतुष्ट नही होता कि चुंबक की आकर्षण शक्ति दूरी के अनुसार कम हो जाती हैं। वरन् यह भी जानना चाहता है कि इस आकर्षण शक्ति का प्रभाव कितनी दूरी पर कितना रहता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शिक्षण में विज्ञान कक्ष तथा प्रयोगशाला का महत्वपूर्ण स्थान हैं।

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