1/31/2022

दबाव समूह और हित समूह मे अंतर

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दबाव समूह एवं हित समूह में अंतर 

dabaav samuh or hit samuh mein antar;सामान्यतः दबाव समूह एवं हित समूह को एक ही समझ लिया जाता है। वास्तव में दबाव समूह एवं हित समूह में एक बारीक रेखा हैं। 

यहाँ पर लाथम का कथन उल्लेखनीय है," सभी हित समूह दबाव समूह नहीं होते है, किन्तु परीस्थितिवश वे दबाव समूह की श्रेणी में आ जाते है।" 

ऐसा माना जाता है कि जब तक हित समूह सक्रिय नही रहते वे हित समूह रहते है। परन्तु जैसे ही वे हित पूर्ति के लिये सक्रिय हो जाते है वो दबाव समूह में परिवर्तित हो जाते है। 

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इस संबंध में पी. एन. मसालदान का विश्लेषण बड़ा महत्वपूर्ण है," समाज में व्यक्तियों के केवल सामान्य हित ही नहीं होते हैं, अपितु कुछ विशेष हित भी होते है।" 

साधारणतया व्यक्ति अपन विशेष व्यवसायिक एवं आर्थिक हित को ज्यादा महत्व देता है। जिन व्यक्तियों के आर्थिक एवं व्यससायिक हित एक से होते है। वे एक हित गुट बन जाते है। कुछ हित गुट मजबूती से संगठित होते है। जब वह संगठित हो अपने विशेष हितों की पूर्ति के लिये सक्रिय हो शासन पर दबाव डालते है। तब वह दबाव समूह मे परिवर्तित हो जाते है।" 

कार्टर और हर्ज ने दबाव समूह और हित समूह के अन्तर को बरीकी से स्पष्ट किया। उनके अनुसार," विभिन्न आर्थिक व्यवसायिक, धार्मिक नैतिक और अन्य समूहों से भरे आधुनिक बहुलवादी समाज के सम्मुख अनिवार्य रूप से एक बड़ी समस्या यही है कि विभिन्न हितों तथा शासन के बीच सामजस्य कैस रहे। एक स्वतन्त्र समाज के लिए हित समूह को स्वतन्त्र रूप से संगठित होने की आवश्यकता रहती है और जब वे समूह सरकारी तन्त्र और प्रक्रिया को प्रभावित करने का यत्न करते है और इस प्रकार कानूनों, नियमों, लाइसेन्स, तथा अन्य विधायी और प्रशासकीय कार्यों को अपने अनुकूल ढालने की चेष्टा करते है तो वे हित समूह दबाव समूह में बदल जाते है और हित समूह की गतिविधियों सरकार पर दबाव डालने की हो जाती है।"

उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट हो जाता है कि आधुनिक समय में जागरूक समाज विभिन्न आर्थिक, सामाजिक , राजनैतिक तथा अन्य आवश्यकताओं के लिये एकजुट हो हित समूह बनाते है। जब वे इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये वे सक्रिय होते है और सरकार पर दबाव बनाने प्रभावित करने का प्रयास करते है तब वह दबाव समूह में परिवर्तित हो जाते है। दबाव समूह एवं हित समूह में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित है-- 

1. हित समूह अपने हितों की वृद्धि के लिये आग्रह, निवेदन आदि साधनों का प्रयोग करते है जबकि दबाव समूह सदैव दबाव की नीति अपनाते है। 

2. हित समूह अपने हितों की रक्षा के लिये शासन को प्रभावित या उन्हें पीछे ढकलने का प्रयास नहीं करते है इसके विपरीत दबाव समूह राजनीतिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिये विशेष रूप से प्रयासरत रहते है। 

3. हित समूह जागृत नागरिक समाज का हिस्सा होता है। ये हमेशा अपने हितों के लिये सजग रहते है। इनका राजनीति से किसी भी प्रकार का कोई संबंध नहीं रहता है। दबाव समूह सरकार पर दबाव बनाने के लिये हर माध्यम का प्रयोग करते हैं। वे राजनीति के साथ प्रत्यक्ष संबंध रखते है।

संदर्भ; उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय 

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