4/24/2021

तापीय प्रदूषण क्या है? कारण, प्रभाव, रोकने के उपाय

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तापीय प्रदूषण क्या है? 

नाभिकीय तथा तापीय ऊर्जा केन्द्रो की मशीनो को ठण्डा करने के बाद, गर्म जल को पुनः जलीय तंत्र मे डाल देने से जलीय तंत्र का तापमान बढ़ जाता है, इसे तापीय प्रदूषण कहते है। 

अन्य शब्दों मे, ताप के प्रभाव से जलीय या वायुमंडलीय पारिस्थितिकी-तंत्र मे प्रभावी परिवर्तन ताप-प्रदूषण कहलाता है।

तापीय प्रदूषण के कारण या स्त्रोत

1. नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र 

विभिन्न प्रकार के नाभिकीय ऊर्जा संयंत्रो मे शीतलक के रूप मे जल का उपयोग किया जता है। इस जल को जो कि अत्यधिक गर्म हो जाता है, पुनः जलीय तंत्र मे छोड़ देते है तथा यह तापीय प्रदूषण फैलाता है।

2. कोयलाजनित संयंत्र 

ऐसे संयन्त्र जिनमे कोयले से ऊर्जा प्राप्त की जाती है, मे भी जल का शीतलक के रूप मे प्रयोग होता है जो पुनः जलीय तंत्र मे छोड़ दिया जाता है। यह भी तापीय प्रदूषण फैलाता है।

3.औद्योगिक संयंत्र 

उद्योगों मे भी कई प्रकार से जल का उपयोग होता है तथा मशीनों से गर्म नदियो मे छोड़ने पर तापीय प्रदूषण फैलता है।

4. हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट 

इनमे जल का उपयोग ऊर्जा उत्पादन मे करते है। यह जल अन्य की उपेक्षा अत्यधिक गर्म हो जाता है जो कि नदियों मे मिलने पर तापीय प्रदूषण फैलता है। 

जल का प्रयोग दो तरह से होता है--

1. प्रत्यक्ष रूप से ठण्डा करना

इसके अंतर्गत जल को जल स्त्रोत से पंम करते है और ठण्डा करने के बाद पुनः नदियों मे डाल देते है। संयंत्र से गूजरने के बाद जल तंत्रों मे जल का तापमान 10c बढ़ जाता है।

2. परोक्ष रूप से ठण्डा करना 

इसके अंतर्गत जल को एक बार पंप करने के बाद ठण्डा करने के लिए कई बार प्रयोग करते है।

तापीय प्रदूषण के प्रभाव 

1. विद्युत-गृहो की चिमनियों से निकलने वाली राख जो कि अत्यन्त हानिकारक होती है। जहां बरसती है वहां की वनस्पति, पेड़ पौधों एवं फसलो को नष्ट कर देती है। 

2. ताप विद्युत गृह से निकलने वाला ज्यादा ताप वाला पानी उसी स्त्रोत मे मिल जाता है, जहां से विद्युत-गृह के संयंत्र चलाने तथा इन्हे ठण्डा करने हेतु जल लिया जाता है। इससे उस जल मे पाये जाने वाले जलीय जन्तुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा कई जीवन नष्ट हो जाते है एवं जलीय जन्तुओं हेतु ये शुन्य स्थल बन जाते है।

तापीय प्रदूषण को रोकने के उपाय अथवा सुझाव 

तापीय प्रदूषण की समस्या को कृत्रिम शीतलन कुण्डो और शीतलन टाॅवरो के उपयोग से काफी हद तक कम किया जा सकता है। तापीय प्रदूषण को रोकने के उपाय निम्न प्रकार हैं--

1. कृत्रिम शीतलन कुण्डो या तालाबों का उपयोग

संयंत्रो से निकलने वाले गर्म जल को तालाब के 1 या 2 मीटर गहरे उथले सिरे मे डाल दिया जाता है तथा शीतलन के लिये यह तालाब के दूसरे सिरे मे पहुंच जाता है, जो 15 मीटर तक गहरा होता है।

2. शीतलन टाॅवर 

वाष्पन द्वारा गर्म जल से ताप वायुमंडल मे स्थानान्तरण के लिये शीतलन टाॅवरो का उपयोग किया जाता है। ये प्राकृतिक ड्राफ्ट हो सकते है अथवा यांत्रिक ड्राफ्ट टाॅवर हो सकते है।

3. विकसित विद्युत उत्पादन संयंत्रो का उपयोग 

तापीय प्रदूषण को बहुत अधिक हद तक कम करने के लिये ताप को सीधे विद्युत मे परिवर्तित करना उपयुक्त तकनीक है। संगलन संयंत्रो (Fusion Reactors) की तापीय कार्य कुशलता, प्रवर्धित तापीय विद्युत संयंत्र के उपयोग द्वारा 96% तक बढ़यी जा सकती है।

4. तापीय प्रदूषण को रोकने का एक कारगर तरिका है-- 

गर्म जल के बेकार ता का

1. भवनो को गर्म करने मे उपयोग।

2. तरण पुष्करों (Swimming pools) को गर्म करने मे उपयोग।

3. समुद्री जल से नमक बनाने मे उपयोग।

4. एक्वाकल्चर मे उपयोग।

5. तप्त-जल सिंचाई मे उपयोग।।

शायद यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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