4/11/2021

सार्वजनिक आय के स्रोत

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सार्वजनिक आय के स्रोत 

sarvajanik aay ke srot;सरकार के द्वारा विभिन्न प्रकार के किये जाने वाले कार्यों मे दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। इन कार्यों को संपन्न करने के लिये अत्यधिक मात्रा मे धन की आवश्यकता होती है, जिसे सरकार विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त करती है, इन्ही स्त्रोतों को सार्वजनिक आय का स्त्रोत कहा जाता है।

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सार्वजनिक आय के स्रोतों को मोटे रूप मे दो भागों मे विभाजित किया जा सकता है--

(अ) कर आय 

कर सार्वजनिक आय का सबसे प्राचीनतम स्त्रोत है। आज भी सार्वजनिक आय का अधिकांश भाग करों के रूप मे ही प्राप्त किया जाता है। कर राज्य की अनिर्वाय रूप से चुकायी जाने वाली राशि है। सरकार करों से प्राप्त इस राशि को जन कल्याण संबंधी कार्यों पर व्यय कर देती है।

सामान्यतया कर दो प्रकार के होते है--

1. प्रत्यक्ष कर 

प्रत्यक्ष कर वह होता है, जिसका भार वही व्यक्ति वहन करता है जिस पर वह लगाया जाता है, अर्थात् कराघात व करापात एक ही व्यक्ति पर होता है। ऐसे करों मे आय कर मूल्य कर, संपत्ति कर, उपहार कर, व्यय कर आदि शामिल है।

2. अप्रत्यक्ष कर 

अप्रत्यक्ष या परोक्ष कर वह होता है जिसका भुगतान एक व्यक्ति द्वारा किया जाता है, पर भार किसी अन्य व्यक्ति द्वारा वहन किया जाता है। इस तरह के करों मे बिक्री कर तथा उत्पादन कर शामिल है। इस कर को विक्रेता तथा उत्पादक से वसूल किया जाता है, पर वे इसे ग्राहक तथा उपभोक्ता से वसूल कर लेते है।

(ब) गैर-कर आय

वे समस्त आय के स्रोत जो कर की श्रेणी मे नही आते उन्हे गैर-कर आय मे शामिल किया जाता है। राज्य के कार्य क्षेत्र मे विस्तार के साथ-साथ आय के गैर-कर स्त्रोतों मे भी वृद्धि हुई है। सरकार के गैर-कर आय के स्रोतों का वर्मन इस प्रकार है--

1. शुल्क अथवा फीस 

राज्य समाज को कुछ सेवाएं प्रदान करता है, जिसके बदले वह पूर्ण अथवा आंशिक लागत प्राप्त करता है। इसे शुल्क कहा जाता है। इस प्रकार के भुगतान अनिर्वाय होते है। जैसे काॅलेजों मे ली जाने वाली फीस, कोर्ट फीस, रजिस्टेशन फीस आदि।

कर और शुल्क मे अंतर है। कर व्यक्तियों से बिना सुविधा के भी वसूल किये जाते है, जबकि शुल्क सुविधाओं का पारिश्रमिक होता है।

2. लाइसेन्स शुल्क 

शुल्क का भुगतान उस समय किया जाता है जबकि व्यक्ति शासकीय सेवाओं का उपयोग करता है, परन्तु लाइसेन्स शुल्क तब देना होता है, जब किसी कार्य को सरकार स्वयं न करके अपने कार्य का संपादन किसी व्यक्ति अथवा संस्था को सौंप देती है। ऐसी दशा मे कार्य करने वाले व्यक्ति से लाइसेंस शुल्क वसूल किया जाता है।

3. जुर्माना एवं संपत्ति जप्त करना 

यह सरकार की आय का प्रमुख स्त्रोत नही है। इस स्त्रोत से सरकार को पर्याप्त आय प्राप्त नही होती है। इस प्रकार की क्रियाओं से सरकार को उसी दशा मे आय प्राप्त होती है, जब कोई व्यक्ति सरकारी नियमों एवं कानूनों का उल्लंघन करता है। व्यक्ति बार-बार इस प्रकार की वारदातों को न करे, इसलिए उस पर जुर्माना लगा दिया जाता है अथवा उस व्यक्ति की संपत्ति जप्त कर ली जाती है।

4. विशेष निर्धारण 

विशेष निर्धारणों से सरकार को प्रत्यक्ष आय प्राप्त होती है। ये निर्धारण किसी विशेष व्यक्ति की सुविधा पर नही बल्कि जब परिस्थितियों मे सुधार करना होता है, उस दशा मे विशेष निर्धारणों से आय प्राप्त की जाती है।

 5. सार्वजनिक उपक्रम 

सरकार द्वारा जनहित की दृष्टि से ऐसे उद्योगों का संचालन किया जाता है जो जोखिमपूर्ण तथा लाभप्रद नही होते। जोखिमपूर्ण उद्योगों के अलावा सरकार ऐसे उद्योगों का संचालन भी करती है जिनसे सरकार को लाभ भी प्राप्त होता है। इस तरह सार्वजनिक उपक्रम भी सरकार की आय प्राप्ति के मूख्य स्त्रोत है।

6. उपहार एवं अनुदान 

उपहार से अभिप्राय ऐसे भुगतान से है, जो कि स्वेच्छा से किया जाता है। कुछ व्यक्ति दानशील प्रवृत्ति के होते है जो कि अस्पताल बनवाने, स्कूल खोलने धर्मशाला बनवाने, गरीबों को सहायता प्रदान आदि कार्यों के लिये सरकार को उपहार या दान देते है। उदाहरण के लिए कोरोना महामारी से निपटने मे,  रतन टाटा, मुकेश अंबानी, अक्षय कुमार इत्यादि द्वारा दिया गया अनुदान। 

इसके साथ-साथ केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को अनुदान दिया जाता है। वर्तमान मे ऐसा अनुदान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी प्रचलन मे है। विकसित राष्ट्र अविकसित राष्ट्रों को तकनीकी शिक्षा, उद्योगों, सामाजिक कार्यों आदि के क्षेत्रों को विकसित करने के लिये अनुदान प्रदान करते है।

7. महसूल 

सरकार द्वारा महसूल का इस्तेमाल उन वस्तुओं के उपभोग पर किया जाता है जिनके उपभोग से सामाजिक बुराइयों को बल मिलता है, अनैतिकता बढ़ती है, स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है एवं कुशलता मे कमी आती है। महसूल लगाने से ऐसी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती है जिसके कारण उपभोग मे कमी आती है। ऐसी वस्तुओं मे मादक वस्तुएं शामिल है।

9. सरकारी संपत्ति 

सार्वजनिक संपत्ति पर सरकार का अधिकार होता है। इन संपत्ति मे प्राकृतिक संपदा (भूमि, वन, खान) शामिल है। सरकार अपनी इस संपत्ति को ठेकों आदि पर देकर लगान या राॅयल्टी प्राप्त करती है। इसके अलावा सरकार संपत्ति को विक्रय कर के भी धन प्राप्त कर सकती है।

10. पत्र मुद्रा छापकर 

किसी भी देश मे नोट निर्गमन का अधिकार सरकार को प्राप्त होता है। हमारे देश मे नोट निर्गमन का यह कार्य रिजर्व बैंक द्वारा किया जाता है। जब सरकार के व्यय प्राप्त आय से पूरे नही हो पाते तो सरकार नये नोट छापकर इन व्ययों को पूरा करती है। नये नोटों के निर्गमन से सरकार की आय बढ़ती है।

उपरोक्त आय के स्रोतों से यह स्पष्ट होता है कि कर ही सरकारी आय प्राप्ति के सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। कुछ अर्थशास्त्र ऋण तथा नोट निर्गमन को सरकारी आय का स्त्रोत नही मानते, क्योंकि ऋणों को मय ब्याज सरकार को लौटाना पड़ता है एवं नोट निर्गमन अप्रत्यक्ष कर का ही दूसरा रूप है।

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