2/19/2021

वित्तीय प्रबंधन का क्षेत्र या कार्य

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वित्तीय प्रबंधन का क्षेत्र या कार्य

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vittiya prabandh ke karya kshera;वर्तमान के युग में व्‍यावसायिक प्रबन्‍ध को सफल बनाने में वित्त प्रबन्‍धकों का योगदान बहुत महत्‍वपूर्ण हो गया है। पिछले कुछ वर्षो में वित्तीय प्रबन्‍ध के क्षेत्र एंव जटिलताओं में बहुत परिवर्तन हो गया है। आजकल वित्तीय प्रंबंध के कार्यो मे वृद्धि हो गयी है जिसका वर्णन इस प्रकार है--

प्रशासनिक कार्य 

वित्तीय प्रबन्‍ध के प्रशासनिक कार्यो के अन्‍तर्गत वित्तीय आवश्‍यकताओं, सही पूर्वानुमान एंव इनकी सुगम उपलब्धि हेतु व्‍यवस्‍था करना एवं उपलब्‍ध वित्तीय साधनों का इस प्रकार प्रयोग करना जिससे कि अंशधारियों एंव ऋण पत्रधारियों को अधिकतम प्रत्‍याय प्राप्‍त हो सके, साथ ही अंशो के बाजार मूल्‍य में भी वृद्धि हो सके। संक्षेप में कोषो का नियोजन एंव संग्रहण, कोषो का आंवटन, कोषो का नियंत्रण एंव वित्तीय कार्यो को वित्तीय प्रबन्‍ध के प्रशासनिक कार्यो में सम्मिलित किया जा सकता है। इसके अतंर्गत कार्यो का वर्गीकरण निम्‍नलिखित ढंग के किया जा सकता है--

1. कोषों का पूर्वानुमान एंव संग्रहण 

उद्योगो का सफल संचालन, सही वित्तीय पूर्वानुमान पर निर्भर करना है। पूर्वानुमान का प्रारम्भिक कार्य प्रवर्तको द्वारा किया जाता हैं परन्‍तु उद्योग स्‍थापित होने के बाद नवीन योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए वित्तीय पूर्वानुमान का कार्य वित्त विभाग का है। पूर्वानुमान का निर्धारण करने के लिए विभिन्‍न वित्तीय नीतियों  एंव व्‍यवहारों का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके अन्‍तर्गत बजट, पूर्वानुमान, प्रेक्षपित लाभ हानि खाता एंव चिट्ठा का प्रयोग किया जाता है । वित्तीय पूर्वानुमान के समय उद्योग की लाभदायकता वर्तमान वित्तीय स्थिति पूँजी एंव मुद्रा बाजार की स्थिति संस्‍थाओ की ऋण नीति इत्‍यादि अनेक बातों को ध्‍यान में रखना आवश्‍यक है। 

2. विनियोग सम्‍बन्‍धी निर्णय 

जैम्‍स देन होने, वित्त कार्य में तीन प्रमुख निर्णयों का उल्‍लेख किया है-‍- विनियोग निर्णय, वित्तीय तथा लभांश निर्णय। इसमें विनियोग निर्णय पहला और महत्‍वपूर्ण कार्य होता है। इसके अन्‍तर्गत वित्त प्रबन्‍धक यह निर्णय लेता है किस सम्‍पत्ति में कितना विनियोग करना वांछनीय रहेगा। 

3. सम्‍पत्तियों का प्रबन्‍ध 

किसी भी उपक्रम में चालू संपत्तियों एंव स्‍थायी सम्‍पत्तियों का प्रयोग होता है। उपक्रम की अधिकांश पूंजी इन्‍ही में विनियोजित होती है। अत: उनका उचित प्रबन्‍ध करना भी वित्तीय प्रबंधको का एक महत्‍वपूर्ण कार्य है। इसके अतंर्गत अनेक कार्य आते है जैसे हृास की उचित व्‍यवस्‍था करना , प्रतिस्‍थापन के लिए व्‍यवस्‍था करना तथा विभिन्‍न चालू सम्‍पत्तियों में विनियोग का अनुकूलततम स्‍तर निश्चित करना आदि । 

4. आय प्रबन्‍ध 

वित्तीय निर्णयो में अन्‍य महत्‍वपूर्ण  निर्णय लाभांश निर्णय है। उद्योग की सफलता इस बात पर निर्भर करती है। कि उद्योग ने अपनी उपार्जित आय का वितरण किस प्रकार से किया है। वित्तीय प्रबन्‍ध का सबसे  महत्‍वपूर्ण कार्य अर्जित लाभ का उचित वितरण है। इसके अन्‍तर्गत लाभांश वितरण की नीति निर्धारित की जाती है। 

5. नगद प्राप्तियों का प्रबन्‍ध 

उद्योग मे नगद प्राप्तियों का उचित प्रवाह एक महत्‍वपूर्ण कार्य है क्‍योकि यह उद्योग के जीवन मे रक्‍त के समान है। नगद प्रवाह के अन्‍तर्गत इसका पूर्वानुमान, नियंत्रण एंव दुरूप्रयोग को रोकना प्रमुख है। उपक्रम का नगद प्राप्तियों का निर्धारण करने हेतु रोकड प्रतिवेदन जैसे महत्‍वपूर्ण उपकरणों का प्रयोग किया जाना चाहिए। 

दैनिक कार्य 

वित्तीय प्रबन्‍धन के उपरोक्‍त प्रशासनिक कार्य ऐसे है जो प्रतिदिन व्‍यवहार मे काम आते है। परन्‍तु वित्तीय प्रबन्‍ध के कुछ ऐसे कार्य भी है जो उपक्रम की दैनिक क्रियाओं से सम्‍बन्धित होते है। इन्‍हें दूसरे शब्‍दों में दैनिक वित्तीय कार्य कहते है। दैनिक वित्तीय कार्यो का निष्‍पादन लिपिक वर्ग अथवा निम्‍न स्‍तरीय कर्मचारियों द्वारा किया जाता है परन्‍तु इन कार्यो के माध्‍यम से उच्‍च प्रबन्‍ध को अपने निर्णय लेने मे महत्‍वपूर्ण सहायता मिलती है। वित्तीय प्रबन्‍ध के निम्‍नलिखित प्रमुख दैनिक कार्य है--

1. दैनिक लेन-देन का लेखा 

वित्तीय प्रबंधन के अन्‍तर्गत उपक्रम में होने वाले दिन-प्रतिदिन के व्‍यवहारो का लेखा रखा जाता है जिससे उपक्रम की सम्‍पूर्ण वित्तीय प्राप्तियों एंव भुगतानो का सम्‍पूर्ण ज्ञान प्राप्‍त हो सके। 

2. वित्तीय प्रपत्रों को तैयार करना 

विभिन्‍न अवधि के अनुसार उपक्रम के विभिन्‍न प्रतिवेदन एंव प्रपत्रों के तैयार करना भी वित्तीय प्रबन्‍ध का कार्य हैं। 

3. नगद भुगतान की व्‍यवस्‍था करना 

उपक्रम साख बनायें रखने के लिए नगद भुगतान की व्‍यवस्‍था एक अनिवार्य आवश्‍यकता है। अत: वित्तीय प्रबन्‍ध द्वारा सदैव इस बात का प्रयत्‍न किया जाता है कि उपक्रम में कम-से-कम  इतना नगद कोष अनिवार्य रूप से रहे जिससे उसके दैनिक बिलों का भुगतान नगद रूप से किया जा सके। 

4. उधार व्‍यवहारों का प्रबन्‍ध करना 

नगद व्‍यवहार के समान ही उपक्रम में उधार व्‍यवहार एक अनिवार्यता है। अत: वित्तीय प्रबन्‍ध को उधार व्‍यवहारों का भी उचित प्रबन्‍ध करना आवश्‍यक है ऐसा करने के लिए वित्तीय प्रबन्‍ध सदैव यह प्रयास करता है कि लेनदारों से उसे जितने समय का उधार मिले उससे कम समय का उधार वह अपने ग्राहक को दे सके।

शायद यह जानकारी आपके काफी उपयोगी सिद्ध होंगी 

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