2/27/2021

निक्षेप क्या है? परिभाषा, लक्षण, प्रकार

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निक्षेप क्या है? (nikshep kya hai)

nikshep arth paribhasha lakshana prakar;निक्षेप एक विशेष प्रकार का व्यापारिक अनुबंध है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्वेच्छापूर्वक माल के अधिकार का परिवर्तन निक्षेप कहलाता है। 

अनुबंध अधिनियम की धारा 148 के अनुसार," यदि एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को किसी विशिष्ट उद्देश्य से इस  अनुबंध पर माल सुपुर्द करता है कि उद्देश्य के पूरा हो जाने पर माल वापस कर दिया जायेगा अथवा उसके आदेशानुसार व्यवस्था कर दी जायेगी, तो ऐसे अनुबंध को निक्षेप अनुबंध कहेंगे।" 

जो व्यक्ति माल की सुपुर्दगी करता है उसे "निक्षेपी" कहते है और जिस व्यक्ति को माल की सुपुर्दगी की जाती  है उसे "निक्षेपगृहीता" कहते है।

निक्षेप अनुबंध मे निम्न दो पक्षकार होते है--

1. निक्षेपी 

माल की सुपुर्दगी देने वाला व्यक्ति।

2. निक्षेपगृहीता 

माल की सुपुर्दगी प्राप्त करने वाला व्यक्ति। जैसे 'अ' अपने लड़के की शादी मे 'ब' से बर्तन कियाये पर लेता है यहाँ पर 'ब' निक्षेपी तथा 'अ' निक्षेपगृहीता होंगे।

निक्षेप अनुबंध के लक्षण/विशेषताएं (nikshep ke lakshana)

निक्षेप अनुबंध के लक्षण अथवा विशेषताएं इस प्रकार है--

1. माल के अधिकार का हस्तांतरण 

निक्षेप अनुबंध के अंतर्गत माल के अधिकार का हस्तांतरण वस्तु के स्वामी द्वारा किया जाना अनिवार्य है, जिसे निक्षेपदाता कहते है। हस्तांतरण वास्तविक अथवा रचनात्मक सुपुर्दगी द्वारा हो सकता है माल की केवल देखभाल या रखवाली करने को निक्षेप नही कहा जा सकता है।

2. हस्तांतरण का उद्देश्य अस्थायी होना चाहिए 

माल का हस्तांतरण या सुपुर्दगी दूसरे पक्षकार को अस्थायी उद्देश्य के लिये होना चाहिए। स्थायी हस्तांतरण होता है तो उसे विक्रय अनुबंध की श्रेणी मे सम्मिलित किया जाता है।

3. दो पक्षकार 

निक्षेप अनुबंध मे एक निक्षेपी एवं दूसरा निक्षेपगृहीता होता है। इस प्रकार दो पक्षकार होना चाहिए।

4. माल का वापिस पाना 

विशिष्ट उद्देश्य की पूर्ति के बाद माल पुनः निक्षेपी के पास जमा कराना जरूरी होता है। इस प्रकार निक्षेपगृहीता एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति तक ही माल को अपने पास रखता है।

5. माल का निक्षेप 

निक्षेप अनुबंध मे केवल चल संपत्ति की ही सुपुर्दगी देना चाहिए अचल संपत्ति का हस्तांतरण निक्षेप अनुबंध के अंतर्गत नही होता है। 

6. माल के स्वरूप मे परिवर्तन संभव 

माल के स्वरूप मे निक्षेप अनुबंध के अंतर्गत परिवर्तन संभव है। उदाहरण के लिए 'अ' ने अपनी मोटरसाइकिल मरम्मत एवं छत बदलने के लिए 'ब' को दी जो कि गेरेज का मालिक है। सुपुर्दगी के बाद जब गाड़ी को ठीक कर छत बदलकर वापिस किया जावेगा तो सुपुर्दगी के समय की गाड़ी की दशा मे परिवर्तन होगा। पहले की तुलना मे गाड़ी का स्वरूप अच्छा होगा। इस प्रकार माल के स्वरूप मे परिवर्तन होगा।

7. स्वामित्व का हस्तांतरण नही 

निक्षेप अनुबंध मे केवल माल का हस्तांतरण होता है स्वामित्व का हस्तांतरण नही होता है। माल का स्वामित्व हमेशा निक्षेपी का ही बना रहेगा।

8. अनुबंध 

निक्षेप सदैव किसी अनुबंध पर आधारित होता है, परन्तु विशेष परिस्थितियों मे इसमे छूट रहती है। 

निक्षेप केवल चल संपत्तियों के लिये किये जाते है, इस आशय के लिये मुद्रा को चल संपत्ति नही माना जाता है।

निक्षेप के प्रकार या स्वरूप (nikshep ke prakar)

निक्षेप के प्रकार निम्न है--

1. सुरक्षित रखने के लिए निक्षेप 

निक्षेप किसी वस्तु को निक्षेपगृहीता को केवल इस उद्देश्य से सुपुर्द करता है कि वह उसे सुरक्षित रखे। निक्षेपी उन वस्तुओं को पुनः प्राप्त करके अपने उपयोग मे लाने का अधिकार रखता है। उदाहरण के लिए X अपना सामान अपने मित्र के पास, यात्रा पर जाने से पहले रख देता है। यह सामान केवल सुरक्षा के लिए छोड़ा गया है और यात्रा से वापस लौटने पर X  माल को पुनः करने और उपभोग करने का अधिकार रखता है।

2. प्रयोग के लिए निक्षेप 

यदि निक्षेप अपनी वस्तु निक्षेप-गृहीता को उसके प्रयोग के लिए, इस शर्त पर देता है कि निश्चित अवधि व्यतीत हो जाने पर अथवा निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के बाद वह पुनः निक्षेपी को लौटा दी जायेगी तो वह प्रयोग के लिए निक्षेप कहलाता है। उदाहरण के लिए, X अपना रिडितों Y को उसके द्वारा एक सप्ताह तक प्रयोग के लिए सुपुर्द करता है। यह 'प्रयोग के लिए निक्षेप' है।

3. किराये पर निक्षेप 

निक्षेप अपनी कई वस्तुएं किराये के प्रतिफल मे प्रयोग के लिए दे देता है। उदाहरण के लिए, X कुछ फर्नीचर Y को किरानये पर देता है, यह किराये पर निक्षेप है। इसी प्रकार किराए पर साइकिल लेना किराए पर निक्षेप है।

4. मरम्मत के लिए निक्षेप 

यदि कोई वस्तु मरम्मत के दूसरे व्यक्ति को हस्तांतरित की जाती है तो यह मरम्मत के लिये निक्षेप होगा।

5. गिरवी द्वारा निक्षेप 

ऋण देने की अवस्था मे कभी-कभी ऋणदाता ऋणी की कुछ वस्तु या वस्तुएं अपने पास प्रतिभूति के रूप मे रख लेता है, यह गिरवी द्वारा निक्षेप है।

6. परिवहन संबंधी निक्षेप 

यदि कुछ वस्तुयें वाहक को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के लिए दी जाती है तो यह परिवहन संबंधी निक्षेप कहलाता है।

7. शुल्कसहित निक्षेप 

जब निक्षेप के लिये कोई पारिश्रमिक लिया जाता है तो इसे शुल्कसहित निक्षेप कहते है।

8. नि:शुल्क निक्षेप 

जब निक्षेप के लिए कोई पारिश्रमिक नही दिया जाता तो वह निःशुल्क निक्षेप कहलाता है। 

निक्षेपी (निक्षेपदाता) के अधिकार 

निक्षेप अनुबंध के अंतर्गत निक्षेपी को निम्न अधिकार प्राप्त होते है--

1. क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार 

अनुबंध अधिनियम की धारा 152 के अनुसार निक्षेपगृहीता ने निक्षेपित माल की उचित देख-रेख नही की हो तो ऐसी दशा मे माल की जो क्षति हुई हो उसे निक्षेपदाता को पाने का अधिकार है। 

2. माल को वापिस पाने का अधिकार 

धारा 153 के अनुसार निक्षेपगृहीता निक्षेप की शर्तो के अनुसार कार्य नही करता है तो निक्षेपदाता वापिस माल को अपने यहाँ लाने का अधिकारी है।

3. अनाधिकृत उपयोग पर क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार 

धारा 154 के अनुसार यदि निक्षेपगृहीता अनाधिकृत रूप से निक्षेपित वस्तु का उपयोग करता है और जिनके कारण वस्तु को कोई क्षति हो जाती है तो ऐसी क्षतिपूर्ति को पाने का अधिकार निक्षेपदाता को है।

4. माल को निजी माल मे मिलाने पर क्षतिपूर्ति की मांग का अधिकार (धारा 155, 156, व 157) 

यदि निक्षेपगृहीता ने निक्षेपित माल को निक्षेपदाता की सहमति से अपने माल मे मिला लिया है तो दोनों के अपने-अपने अंश पर अधिकार है। किन्तु यदि माल बिना निक्षेपी की सहमति के मिला लिया गया है तो अलग-अलग करने की दशा मे कुछ व्यय हुआ हो तो ऐसे व्ययों को पाने का अधिकार एवं अलग-अलग नही किए जाने की दशा मे जो क्षति निक्षेपी को हुई है उसे पाने का अधिकार निक्षेपदाता को है। 

5. समय से पूर्व माल को मांग लेने का अधिकार

धारा 159 के अनुसार नि:शुल्क निक्षेप की दशा मे समय से पूर्व माल को वापिस मांग लेने का अधिकार निक्षेपदाता को है।

6. उद्देश्य पूरा होने पर माल को वापिस लेने का अधिकार 

धारा 160 के अनुसार निक्षेप का उद्देश्य पूरा हो जाने या समय समाप्त हो जाने के बाद निक्षेपदाता को माल वापिस अपने पास लेने का अधिकार है। 

7. लाभ पाने का अधिकार 

धारा 163 के अनुसार निक्षेपित माल मे कोई वृद्धि हो गई हो अथवा उससे कोई लाभ प्राप्त हुआ हो तो ऐसे लाभ या वृद्धि पाने का अधिकार निक्षेपदाता को है।

निक्षेपी के कर्तव्य या दायित्व 

1. माल के दोषों को प्रकट करना 

निक्षेपी का कर्तव्य है कि निक्षेप किये गये माल मे जो भी दोष हो उनकी जानकारी निक्षेपगृहीता को दे अन्यथा माल के किसी दोष के कारण निक्षेपगृहीता को होने वाली हानि के लिये वह उत्तरदायी होगा।

उदाहरणार्थ, राम ने अपना 'टामी' नाम का कुत्ता श्याम को कुछ दिनो के लिआ दिया। कुत्तें मे यह आदत थी कि वह घर मे आने वाले हर आदमी को काटता था, यदि उसको "टामी" न कहा जावे। राम ने यह बात श्याम को नही बतलाई, जिससे श्याम की पत्नी को कुत्ते ने काट खाया। राम क्षतिपूर्ति के लिए उत्तरदायी होगा।

2. माल की सुपुर्दगी देना 

निक्षेपी को चाहिए कि जिस वस्तु का निक्षेप किया जाता है उसकी सुपुर्दगी निक्षेपगृहीता को दे।

3. आवश्यक व्ययों का भुगतान करना 

यदि निक्षेपगृहीता द्वारा, निक्षेपित वस्तु के संबंध मे कोई आवश्य व्यय किये गये है तो निक्षेपी का कर्तव्य है कि वह उनका भुगतान करे। 

उदाहरणार्थ, कान्ति ने अपनी गाय कुछ दिनों के लिए शांति को दी। शांति द्वारा गाय को घास खिलाने के लिए जो व्यय किया जावेगा उसे देने के लिए कान्ति बाध्य है।

4. निक्षेपगृहीता को क्षतिपूर्ति 

यदि निक्षेपगृहीता के पास रखी गई संपत्ति के संबंध मे कोई दूसरा व्यक्ति अपना अधिकार बताता है तथा वाद प्रस्तुत करता है तो इस संबंध मे निक्षेपगृहीता द्वारा किए गए व्ययों का भुगतान करने के लिए निक्षेपी बाध्य होगा।

5. असाधारण व्ययों का भुगतान करना 

यदि निक्षेपगृहीता ने माल को सुरक्षित रखने के लिए कोई असाधारण व्यय किये है तो उनके भुगतान के लिए भी निक्षेपी दायी होगा।

6. निक्षेपगृहीता को पारिश्रमिक देना 

किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए यदि माल रखा जाता है तथा उसके लिए निक्षेपगृहीता स्वयं मेहनत करता है तो मेहनत के बदले मे पारिश्रमिक देने के लिए निक्षेपी दायी होगा।

निक्षेपगृहीता के अधिकार

भारतीय अनुबंध अधिनियम मे निक्षेपदाता के कर्तव्य के लिए जो धाराएं है वही निक्षेपगृहीता के अधिकार के लिए है। अतः निक्षेपदाता के जो कर्तव्य है, वहीं निक्षेपगृहीता के अधिकार है, जो इस प्रकार है--

1. क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार 

निक्षेपगृहीता को माल के दोषों को निक्षेपदाता द्वारा प्रकट नही करने के कारण जो हानि हुई है, उसकी क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार है।

2. आवश्यक व्ययों को पाने का अधिकार 

यदि निक्षेपित माल के लिए निक्षेपगृहीता को कोई पारिश्रमिक नही मिलता है और ऐसी दशा मे वह कोई वस्तु रखता है या ले जाता है या उस पर कोई काम करता है तो इसके लिए किए गए आवश्यक व्ययों को निक्षेपदाता से पाने का अधिकार है। 

3. समय से पूर्व अनुबंध खण्डन पर क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार 

यदि समय या उद्देश्य पूरा होने से पहले ही निक्षेपदाता माल को वापिस मांग लेता है और ऐसे व्यवहार के कारण निक्षेपगृहीता को लाभ के स्थान पर नुकसान उठाना पड़े तो निक्षेपगृहीता को ऐसे लाभ-हानि के अंतर को निक्षेपी से प्राप्त करने का अधिकार है।

4. माल पर गलत स्वत्व होने पर क्षतिपूर्ति का अधिकार 

माल पर निक्षेपी का दूषित स्वत्व होने के कारण निक्षेपगृहीता को कोई क्षति उठाना पड़े तो उसे ऐसी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार है।

5. सह-स्वामी की दशा मे किसी एक को लौटाने का अधिकार 

विपरीत अनुबंध की दशा मे यदि निक्षेपदाता एक से अधिक हो तो उनमे से किसी एक को माल वासप लौटाने का अधिकार निक्षेपगृहीता को है।

6. बिना स्वत्व के मालिक के प्रति कोई दायित्व नही 

यदि निक्षेपित माल पर निक्षेपी का अधिकार या स्वत्व अच्छा नही है और निक्षेपगृहीता निक्षेपदाता के आदेशानुसार माल उसे लौटा देता है तो ऐसी दशा मे माल की सुपुर्दगी के लिए उसके मालिक के प्रति निक्षेपगृहीता उत्तरदायी नही है।

निक्षेपगृहीता के उत्तरदायित्व या कर्तव्य 

निक्षेपगृहीता के निम्न कर्तव्य है--

1. माल की देखभाल करना

धारा 151 के अनुसार निक्षेपगृहीता को निक्षेपित माल की उचित देखभाल करना चाहिए। यदि इसके उपरान्त भी वस्तु की क्षति हो जाती है तो ऐसी क्षति के लिए वह उत्तरदायी नही होगा। यदि उचित देखभाल के अभाव मे कोई क्षति हुई है तो इसके लिए निक्षेपगृहीता उत्तरदायी होगा।

2. शर्तों के विरूद्ध कार्य नही करना 

निक्षेपगृहीता को निक्षेप अनुबंध की शर्तो के अनुसार कार्य करना चाहिए। यदि वह शर्तो के विरूद्ध कार्य करता है तो माल को निक्षेपी वापस ले सकता है तथा अनुबंध को समाप्त कर सकता है। इसके लिये निक्षेपगृहीता उत्तरदायी होगा।

3. माल का अनाधिकृत उपयोग नही करना 

निक्षेपगृहीता का यह भी कर्तव्य है कि वह निक्षेपित माल का अनाधिकृत उपयोग नही करे। यदि वह ऐसा उपयोग करता है तो निक्षेपी को क्षतिपूर्ति करने के लिए उत्तरदायी होगा।

4. निजी माल मे नही मिलाना 

निक्षेपगृहीता को निक्षेपित माल को अपने माल मे नही मिलाना चाहिए। यदि वह माल को निक्षेपी की सहमति से मिलता है तो दोनों का माल मे अंश के अनुपात मे हिस्सा रहेगा। यदि निक्षेपी की सहमति के बिना माल मिलाया गया है तो माल को अलग करने मे कोई व्यय होता है तो ऐसे व्यय के भुगतान का उत्तरदायित्व निक्षेपगृहीता का होगा। यदि मिलाने से क्षति हो तो उसकी क्षतिपूर्ति करने का दायित्व होगा।

5. माल को वापस करना 

निक्षेपित माल को समय पूरा होने पर या उद्देश्य पूरा हो जाने पर निक्षेपदाता के पास लौटना चाहिए या उसके आदेशानुसार अन्य किसी पक्षकार को दे देना चाहिए। निक्षेपित माल को बिना मांगे वापिस करने का उत्तरदायित्व निक्षेपगृहीता का है। 

6. माल को नही लौटाने की दशा मे क्षतिपूर्ति करना

यदि समय या उद्देश्य पूरा होने पर माल को निक्षेपगृहीता नही लौटाता है तो उसके बाद माल की जो क्षति होती है तो ऐसी क्षति के लिए क्षतिपूर्ति करने का उत्तरदायित्व निक्षेपगृहीता का होगा।

यह भी पढ़ें; गिरवी और निक्षेप मे अंतर

शायद यह आपके लिए काफी उपयोगी जानकारी सिद्ध होगी

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