1/16/2021

नैत्यक जांच क्या है? उद्देश्य, लाभ

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नैत्‍यक जांच क्या है? (naityak janch ka arth)

naityak janch arth paribhasha uddeshya labha;नैत्‍यक जांच से आशय इस सामान्‍य तथा मोटी जांच से है जो अंकेक्षण शुरू करते समय जरूरी होती है एवं जिसका उद्धेश्‍य लेखाकर्म की  क्रियाओं में संभावित लिपिक भूलों व गणितीय भूलों की खोज निकालना होता है। व्‍यापारिक संस्‍था का  आकार तथा संगठन कि‍सी भी आकार का क्‍यों न हो उसे हिसाब-किताब की  पुस्‍तकों  एवं लेखे तो रखने ही पड़ते है इन पुस्‍तकों एवं लेखों की जांच को नैत्‍यक जांच कहा जाता है।

अंकेक्षण के कर्मचारी अपना कार्य कई प्रणालियों के आधार पर करते है। कही पर विस्‍तृत जांच करते है और कही पर नैत्‍यक तो कही पर परीक्षण जांच की जाती है जब कर्मचारी प्रत्‍येक व्‍यवहार की गहराई से जांच करते है तो उसे विस्‍तृत जांच कहा जाता है। यदि व्‍यापार में आन्‍तरिक निरीक्षण की  प्रथा संतोषप्रद न हो अथवा महत्‍वपुर्ण पुस्‍तकों  जैसे, रोकड पुस्‍तक की जांच करनी हो तो यह जांच विस्‍तार से की जाती है। अन्‍य परिस्थितियों में नैत्‍यक जांच व परीक्षण जांच का सहारा लिया जाता है।

नैत्‍यक जांच की परिभाषा (naityak janch ki paribhasha)

आर.बी.बोस के शब्‍दों में,'' नैत्‍यक जांच का अर्थ पुस्‍तकों व लेखों की जांच से होता है जो आ‍कार, स्‍वभाव या कार्यो की प्रकृति के बावजूद हर व्‍यवसायिक संगठन में एक समान होते है। अंकेक्षण का यह भाग नित्‍य कर्म के रूप में किया जाता है।''

नैत्‍यक जांच के उद्धेश्‍य (naityak janch ke uddeshya)

नैत्‍यक जांच के उद्धेश्‍य  इस प्रकार है--

1. शुरूआत के लेखा पुस्‍तकों में लिखें गये लेखों की गणित संबंधी शुद्धता की जाचं करना ।

2. यह मालूम करना कि खातौनी सही कि गई हो व खातों का शेष भी सही  निकाला गया हो।

3. विशेष  चिन्‍हों का प्रयोग करके यह मालूम करना कि अंकेक्षण के बाद कही बदला तो नही गया है।

नैत्‍यक जांच से लाभ (naityak janch ke labha)

नैत्‍यक जांच के लाभ  इस प्रकार है--

1. छल-कपट व अशुद्ध‍ियों की जानकारी 

नैत्‍यक जांच से लेखा पुस्‍तकों में किये गए छल-कपट व अशुद्धियों की जानकरी आसानी से प्राप्‍त हो जाती है।

2. खातों की गहन जांच 

इसके भीतर अलग-अलग खातों की अलग-अलग जांच होती है जिससे गलतियों व कपटों छूटना मुमकिन नही होता है किसी भी प्रकार का खाता जाचं होने से नही बच पाता है जिसके कारण अंकेक्षण का कार्य आसान हो जाता है।

3. अंकेक्षण सहायको का प्रशिक्षण 

यह जांच की शरूवाती प्रक्रिया होती है प्रधान अंकेक्षण के साथ इन्‍हें नैत्‍यक जांच में भी प्रशिक्षण मिलता है।

4. अंक परिवर्तन का ज्ञान 

अंकेक्षण जांच करने ने पहले अंको  पर विशेष प्रकार का चिन्‍ह लगा देता है बाद में यदि अंको मे कर्मचारियों के द्वारा कोई बदलाब किया जाये। तो इसकी जानकारी जल्‍दी प्राप्‍त हो जाती है।

5. गणितीय शुद्धता की जानकारी 

नैत्‍यक जांच के भीतर लेखा पुस्‍तकों में प्रदर्शित समंको की गणना से संबंधी जांचे भी की जाती है। इसमें गणना से संबधी गलतियों की जानकारी रहती है जिन्‍हें सरलता से सुधार दिया जाता है।

6. अन्तिम खातों का सही प्रर्दशन 

नैत्‍यक जांच से अन्तिम खाते बनाने से पहले सभी खातों की जांच की गयी  होती है। जिससें अन्तिम खातों में प्रर्दशन संमक सत्‍य होते है। परिणामस्‍वरूप अन्तिम खातों से मिली सुचनाएं सही व विश्‍वसनीय होती है।

7. सरलता 

नैत्‍यक जांच एक बहुत ही आसान विधि है इसके भीतर हर लेन-देन का प्रमाणकों से मिलान कर जांच प्रक्र‍िया सम्‍पादित की जाती है।

शायद यह जानकारी आपके लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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