1/23/2021

मुख्य कार्यपालिका की शक्तियां, आवश्यकता व महत्व

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मुख्य कार्यपालिका की शक्तियां (mukhya karyapalika ki shaktiyan)

किसी भी देश मे मुख्य कार्यपालिका को निम्म शक्तियां प्राप्त होती है--

(अ) विधायिका संबंधी शक्तियाँ

मुख्य कार्यपालिका कुछ विधायिका संबंधी कार्य भी संपन्न करती है, जैसे-- संसद का सत्र बुलाना, सत्र के प्रथम दिन उदघाटन भाषण देना, विधेयक के मामले मे संसद का नेतृत्व अर्थात् सरकारी विधेयक प्रस्तुत करना और उनका निर्माण, उनकी स्वीकृति कराना व फिर लागू करना। जब संसद का अधिवेशन नही हो रहा हो तो मुख्य कार्यपालिका अध्यादेश जारी करता है। बजट बनाना, उसको प्रस्तुत करना व पारित कराना विधायिका का ही कार्य है।

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(ब) न्यायपालिका संबंधी शक्तियाँ

मुख्य कार्यपालिका न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है। वह सजा पाये हुए अपराधियों की सजा कम कर सकता है। मुख्य कार्यपालिका के अधीन अधिकारियों को प्रशासकीय अधिनिर्णयन के अधिकार भी मिले होते है।

(स) कार्यपालिका संबंधी शक्तियाँ 

जिन देशों मे संविधान है उनमे राज्य की सारी कार्य पालिका संबंधी शक्तियाँ तथा कार्य मुख्य कार्यपालिका को सौंपे जाते है। इस रूप मे वह राज्य का मुख्य प्रशासक है। कार्यपालिका अंग के क्षेत्र मे जितने भी कार्य होते है वे मुख्य कार्यपालिका के ही होते है। जिन देशों में संसदात्मक शासन है वहां नाममात्र की कार्यपालिका के नाम मे तथा हस्ताक्षर से इन शक्तियों का प्रयोग वास्तविक मुख्य कार्यपालिका करती है।

मुख्य कार्यपालिका की आवश्यकता व महत्व 

लोक प्रशासन मे, प्रशासन के प्रधान के रूप मे वह प्रशासकीय मशीनरी का निर्देशन, पर्यवेक्षण तथा नियंत्रण करता है। प्रशासन को वह नेतृत्व देता है। प्रश्न यह है कि ऐसी क्या अनिवार्यएं होती है जो उसे शक्तिशाली पुन्ज बनाने मे भागीदार है--

1. उत्तरदायित्व की मांग 

प्रशासन मे भ्रष्टाचार, ढेरों अनियमितताएं आदि दोषों की संभावनाएं बनी रहती है। इन दोषों के प्रभाव एवं प्रसार को कम करने के लिए यह आवश्यक है कि किसी एक व्यक्ति या कार्यालय को इस सबका उत्तरदायित्व सौंपा जाये।

2. जन कल्याण 

जन कल्याण लोक प्रशासन की पहली शर्त है। विशेषकर एक प्रजातंत्रीय राज्य मे तो इस बात की महती आवश्यकता होती है कि शासन अपने आपको जनकल्याण से जोड़े रहे। जनता की भी यह आकांक्षा रहती है कि उसके द्वारा चुने गये जन प्रतिनिधि उनके कल्याण मे संलग्न रहें। जनता जनार्दन की विभिन्न माँगों मे समन्वय भली प्रकार से तब ही किया जा सकता है जब कार्यपालिका शाखा मे एकता रहे व उसे व्यापक अधिकार मिलें।

3. राष्ट्रीय सुरक्षा 

अपनी आंतरिक एवं बाहरी संप्रभुता को अक्षुण्ण बनाए रखकर राष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा किसी भी सरकार का प्रधान कर्तव्य होता है। प्रशासनिक एकता एवं दृढ़ता के बिना किसी देश की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत नही बनाई जा सकती। प्रशासनिक शक्ति के केन्द्रीयकरण द्वारा ही देश की सुरक्षा संभव है।

4.  समन्वय हेतु 

प्रशासकीय विभागों मे एकता बनाए रखने के लिए मुख्य कार्यपालिका का होना आवश्यक है। विशेषकरण की वजह से विभागों मे पारस्परिक मतभेदों का निबटारा जितनी कुशलता से मुख्य कार्यपालिका कर सकती है, उतनी कुशलता से और कोई अधिकारी नही कर सकता।

5. विधायिका को जानकारियां 

मुख्य कार्यपालिका द्वारा ही विधायिका को, जिनमें जन प्रतिनिधि होते है, प्रशासन के संबंध मे समस्त सूचनाएं प्रदान की जाती है।

6. बचत एवं कार्यकुशलता 

प्रशासकीय सत्ता का मुख्य कार्यपालिका मे केन्द्रीयकरण कर दिए जाने पर अपव्यय एवं दुव्र्यय रोकने मे बहुत मदद मिलती है। इससे कार्यकुशलता भी बढ़ती है।

7. मुख्य कार्यपालिका के कार्यालय की स्थापना की स्थापना के लिए उत्तरदायी एक और कारण यह है कि प्रशासन मे जो पृथकतावादी प्रवृत्तियां बढ़ रही है उनको रोका जाये। यह कार्य मुख्य कार्यपालिका द्वारा ही संभव है।

वास्तव मे मुख्य कार्यपालिका प्रशासन तंत्र का केन्द्र बिन्दु होता है। समस्त प्रशासन तंत्र उसके चारों ओर घूमता है। वह प्रशासन का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। यह एक महत्वपूर्ण पद है। वह मुख्य नीति निर्माता है, वही नीति को व्यावहारिक रूप प्रदान करता है। प्रत्येक राष्ट्र का प्रशासकीय ढांचा पिरामिडाकार होता है जिसमे आधार की व्यापकता ऊपर की ओर जैसे-जैसे बढ़ती है वैसे-वैसे इतनी संकुचित होती जाती है कि शिखर बनता है उस पर मात्र एक बिन्दु होता है। यह बिन्दु ही मुख्य कार्यपालिका है। यह केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नही होते अपितु राज्य (प्रान्तीय) और स्थानीय शासन मे भी होते है। दुनिया के प्रायः हर देश मे कार्यपालिका संबंधी प्रमुख शक्तियां (प्रायः सभी) मुख्य कार्यपालिका को प्रदान की जाती है अन्य अधीनस्थ पदाधिकारियों को तो यह केवल प्रदत्त होती है यह प्रदत्तीकरण इसलिए किया जाता है--

(अ) ताकि प्रशासन मे एकरूपता बनी रहे।

(ब) वह मुख्य समन्वयकर्ता होता है।

(स) इससे प्रशासनिक कार्य मे सुगमता और मितव्ययिता रहती है।

(द) यह प्रतीकात्मक अध्याय होता है।

शायद यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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