11/01/2020

संयुक्त परिवार का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं

By:   Last Updated: in: ,

संयुक्त परिवार का अर्थ/संयुक्त परिवार किसे कहते है?

sanyukt parivar arth paribhasha visheshtaye;संयुक्त परिवार तुलनात्मक रूप से बृहत् परिवार है। यह दो या दो से अधिक प्राथमिक परिवारों से बना एक समूह है जिसके सदस्यों का अपना एक सामान्य निवास होता है तथा जो धर्म, कर्म, अर्थ, शासन प्रबन्ध तथा भोजन आदि की दृष्टि से बहुत कुछ संयुक्त होते है। 

संयुक्त परिवार का तात्पर्य joint family से है। 

संयुक्त परिवार की परिभाषा (sanyukt parivar ki paribhasha)

इराबती कर्वे के अनुसार " एक संयुक्त परिवार ऐसे व्यक्तियों का एक समूह है जो सामान्यः एक ही घर मे रहते है, जो एक ही रसोई मे बना भोजन करते है, जो सम्पत्ति के सम्मिलित स्वामी होते है तथा जो सामान्यतः पूजा मे भाग लेते है और जो किसी न किसी प्रकार से एक दूसरे के रक्त सम्बन्धी होते है।

आई. पी. देसाई के अनुसार " हम उस गृह (घर) को संयुक्त परिवार कहते है, जिसमे एकाकी परिवार से अधिक पीढ़ियों के सदस्य रहते है और जिसके सदस्य एक दूसरे से संपत्ति, आय और पारस्परिक अधिकारों तथा कर्त्तव्यों द्वारा सम्बद्ध हो।" 

संयुक्त परिवार की विशेषताएं (sanyukt parivar ki visheshta)

संयुक्त परिवार की विशेषताएं या लक्षण इस प्रकार है--

1. दो या दो से अधिक प्राथमिक परिवारो का संग्रह 

संयुक्त परिवार एक बृहत परिवार है जिसमे कई सदस्य होते है। यह कम से कम दो या दो से अधिक प्राथमिक परिवारो का संग्रह है। 

संयुक्त परिवार मे साधारणतया पिता, उसके लड़के-लड़कियाँ, चाची तथा उनके लड़के-लड़कियां सम्मिलित होते है अथवा माता-पिता, उनका विवाहित लड़का या लड़के और उनके बच्चे होते है। इसी कारण कहा जाता है कि संयुक्त परिवार मे तीन या अधिक पीढ़ी के लोग पाये जाते है।

2. सामान्य निवास 

संयुक्त परिवार के सदस्यों का एक सामान्य निवास होता है। संयुक्त परिवार के सदस्य सामान्य तौर पर एक ही छत के नीचे रहते है। सदस्यों की संख्या अधिक होने पर पैतृक निवास के पास ही अलग निवास लिया जाता है।

3.  संयुक्त संपत्ति

संयुक्त परिवार की संपत्ति संयुक्त होती है। वह बहुत कुछ समाजवादी आदर्श को स्थापित करता है। सब सदस्य मिल-जुलकर रहते है, मिल-जुल कर कमाते है और परिवार की संपत्ति मे वृद्धि करते है।

4. संयुक्त भोजन 

संयुक्त परिवार मे सभी सदस्यों का भोजन साधारणतः एक चूल्हे पर बनता है। किन्ही विशेष परिस्थितियों को छोड़कर सबको, उनकी कमाई का ध्यान दिये बिना एक सा भोजन प्राप्त होता है।

5. धार्मिक व अन्य सांस्कृतिक सामाजिक कार्यों का संयुक्त सम्पादन 

संयुक्त परिवार मे धार्मिक व अन्य सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्य संयुक्त आधार पर सम्पादित किये जाते है। सभी सदस्य मिलजुलकर अपने साधन के अनुरूप योजना बनाते है तथा संयुक्त प्रयत्नों के आधार पर योजना को क्रियान्वित करते है। इन सभी कार्यों मे परिवार के मुखिया का निर्देश व सुझाव महत्वपूर्ण होता है।

6. मुखिया का नियंत्रण 

संयुक्त परिवार मे संपत्ति का हिसाब, देखरेख, संरक्षण तथा अन्य आर्थिक, सामाजिक व सांस्कृतिक कार्य आदि का उत्तरदायित्व प्रधानतया मुखिया के ऊपर होता है। सदस्य परिवार के नियम व परम्पराओं के अनुसार अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह कर रहे है या नही, इन सभी बातों की देखरेख मुखिया करता है। 

7. सामान्य भरण पोषण 

संयुक्त परिवार के सदस्यों के खान-पान और रहन-सहन का स्तर बहुत कुछ एक सा रहता है। वैयक्तिक रूचियों और प्रवृत्तियों को ध्यान मे रखा जाता है किन्तु वही तक जहाँ तक वे परिवार के सामान्य हितो को अन्यथा प्रभावित नही करती हो। परिवार के संचालन व स्थायित्व की दृष्टि से ऐसा आवश्यक भी होता है अन्यथा परिवार मे संगठन व व्यवस्था बनाये रखना कठिन हो जाता है।

8. पारस्परिक अधिकार एवं कर्तव्य 

संयुक्त परिवार के सभी सदस्य पारस्परिक अधिकार एवं कर्तव्यों से आबद्ध होते है। बीमारी, वृद्धावस्था, दुर्घटना आदि के समय सदस्यों की सेवा की जाती है तथा शिक्षा, जन्म, विवाह, मृत्यु आदि के अवसर पर आर्थिक सहायता की जाती है।

9. सहयोगी व्यवस्था 

संयुक्त परिवार पारस्परिक सहयोग कि व्यवस्था पर टिका है। यह एक सबके लिये और सब एक के लिये के सिद्धांत पर कार्य करता है।

10. बीमा इकाई

संयुक्त परिवार बीमा की एक इकाई के रूप मे महत्वपूर्ण कार्य करता है। वृद्ध व्यक्तियों की देखभाल, अनाथ बच्चों, विधवाओं की सुरक्षा, दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की देखभाल आदि कार्य संयुक्त परिवार समुचित रूप से संपन्न करता है।

11. बड़ा आकार 

जैसा की पूर्व मे कहा गया है कि संयुक्त परिवार दो या दो से अधिक प्राथमिक परिवारो का संग्रह है। संयुक्त परिवार मे दो या दो से अधिक पीढ़ियों के लोग साथ-साथ रहते है। इसके सदस्यों की संख्या कभी-कभी 50 से 60 या फिर इस से भी ज्यादा तक हो सकती है।

12. स्थायित्व 

अन्य परिवारों की तुलना मे संयुक्त परिवार अधिक स्थाई होता है। किन्ही सदस्यों के परिवार से अलग होने या किसी की मृत्यु होने पर भी परिवार बना रहता है, क्योंकि इसमे सदस्यों की संख्या अत्यधिक होती है।

यह भी पढ़ें; संयुक्त परिवार लाभ/गुण, दोष/हानियां

पढ़ना न भूलें; संयुक्त परिवार और एकल परिवार में अंतर

आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए;आश्रम व्यवस्था (ashram vyavastha)
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; वर्ण व्यवस्था क्या है?
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; कर्म अर्थ, प्रकार, तत्व, सिद्धांत
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए;पुरुषार्थ का अर्थ, प्रकार या तत्व
आपको यह जरूर पढ़ना चाहिए; संस्कार अर्थ, परिभाषा, महत्व, प्रकार

2 टिप्‍पणियां:
Write comment

आपके के सुझाव, सवाल, और शिकायत पर अमल करने के लिए हम आपके लिए हमेशा तत्पर है। कृपया नीचे comment कर हमें बिना किसी संकोच के अपने विचार बताए हम शीघ्र ही जबाव देंगे।