10/23/2020

नेपोलियन के उदय के कारण, नेपोलियन के सुधार कार्य

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नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म/ नेपोलियन कौन था 

napoleon kon tha in hindi;15 अगस्त सन् 1769 मे कोर्सिल द्वीप मे मे विश्व के महान सम्राट नेपोलियन बोनापार्ट का जन्म हुआ था। नेपोलियन के माता-पिता इटालियन मूल के थे। उसके पिता का नाम कार्लों बोनापार्ट था। कुलीन श्रेणी का परिवार होते हुए भी उसके पास जमीन-जायदाद का अभाव था। नेपोलियन के पिता वकील थे। परिवार मे आठ सन्ताने थी और आय के साधन सीमित थे। इस कारण कार्लों बोनापार्ट ने अपने दो बड़े लड़कों को फ्रांस मे शिक्षा दिलाने का निश्चय किया। बड़े लड़के जोसफ को पुरोहिताई की शिक्षा दी गई और नेपोलियन को ब्रीएन के सैनिक स्कूल मे भर्ती करा दिया गया।

नेपोलियन का उदय और उसकी शक्ति मे वृद्धि बहुत तेजी से हुई। साथ ही उसकी महत्वाकांक्षा मे भी वृद्धि हुई जिससे उसने प्रत्येक अवसर का लाभ उठाकर उन्नति की।

नेपोलियन के उदय (उत्थान) के कारण (napoleon ke uday ke karan)

1. सैनिक सफलता 

नेपोलियन की सैनिक योग्यता बड़ी विलक्षण और अद्भुत थी। उसे अपनी गरीबी का एहसास था। उसके साथी विद्यार्थी अक्सर उसका मजाक उड़ाया करते थे। यही फ्रेंच छात्रों के साथ पढ़ते हुए उसे अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र करने की इच्छा हुई। सैनिक शिक्षा समाप्त होने पर उसे 1785 ई. मे सेना मे द्वितीय लेफ्टीनेण्ट बना दिया गया। बाद मे क्रांति का विरोध कर उसने राजतंत्रवादिवादियों का विश्वास पाया इसके बाद टूलो से फ्रांसीसी जहाजी बड़े को सुरक्षित निकालने के कारण उसे ब्रिग्रेडियर बनाया गया। फिर नेशनल केन्वन्शन की भीड़ के आक्रमण से रक्षा करने के कारण उसे सेना का सेनापति बनाया गया। 

2. डायरेक्ट्री शासन मे उत्कर्ष 

नेपोलियन ने लोकप्रियता प्राप्त करके और डायरेक्टरों के चरित्र, भ्रष्टाचार और अनिश्चित दशा तथा फूट को भलीभांति समझर स्वयं फ्रांस का शासक बनने की योजना बनाई। इसके अन्तर्गत उसने इटली और आस्ट्रेलिया को जीतकर लोकप्रियता पाई तथा भावी योजना के लिये भारी मात्रा मे धन भी पाया। इससे नेपोलियन को लोकप्रियता, शक्ति और धन मिल गया। 

3. फ्रांस के गौरव मे वृद्धि 

नेपोलियन ने अपनी महत्वपूर्ण विजयों से फ्रांस को अंतर्राष्ट्रीय गौरव प्रदान किया। संपूर्ण यूरोप नेपोलियन की विजयो से आतंकित हो गया और विदेशी राज्यो पर फ्रांस की धाक स्थापित हो गई। इन विजयों ने उसे इतना अधिक गौरवशाली बना दिया, जितना वह लुई 14वें के समय मे भी न हो पाया था। 

4. फ्रांस की शोचनीय दशा 

फ्रांस की राज्य क्रांति के बाद राष्ट्रीय सभा देश मे शांति स्थापित करने मे असफल रही थी। व्यवस्थापिका तथा राष्ट्रीय सम्मेलन के आतंक ने फ्रांस की दशा को अत्यंत शोचनीय बना दिया था। डायरेक्टरी का शासन तो सबसे अधिक भ्रष्ट और निकम्मा था। अतः फ्रांस मे ऐसे शक्तिशाली शासन की आवश्यकता थी, जो देश की दशा को सुधारकर एक सशक्त एवं सुव्यवस्थित शासन प्रणाली की स्थापना कर सके। इस कार्य को पूरा करने की क्षमता नेपोलियन मे पूर्ण रूप से विद्यमान थी। अतः उसका उत्थान होना एक स्वाभाविक बात थी।

5. फ्रांस की अराजकता ने नेपोलियन को सत्ता दिलाई 

डायरेक्टरों के भ्रष्टाचार, अदूरदर्शिता तथा उनकी प्रशासन क्षमता के अभाव मे नेपोलियन को डायरेक्टरी शासन को समाप्त करने का अवसर प्रदान किया। मिस्त्र से लौटकर शासन के प्रमुख सेनापतियों, संसद के प्रधानों, गुप्तचर तथा पुलिस प्रधान को अपने पक्ष मे कर और डायरेक्टरों को जनता मे बदनाम कर नेपोलियन ने सत्ता पर अधिकार कर लिया।

6. कुशल कूटनीतिज्ञ 

नेपोलियन एक कुशल कूटनीतिज्ञ था। अपनी इस योग्यता का प्रमाण उसने इटली की प्रथम विजय से दिया। उसने अपने कार्यों से यह सिद्ध कर दिया कि वह राजाओं के साथ कूटनीतिक व्यवहार कर सकता है। उसने वेनिस का विभाजन कर अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया। उसे कूटनीतिक दक्षता के लिए चार्ल्स मैगनी के समकक्ष माना जा सकता है।

7. अपूर्व अवसर 

नेपोलियन को अपना उत्थान करने के दो अवसर मिले थे। तूलो बंदरगाह पर अधिकार (1793 ई.) और राष्ट्रीय सम्मेलन की सूरक्षा (1795 ई.) करके उसने अमर ख्याति प्राप्त कर ली। उसकी योग्यताओं ने फ्रांस की जनता का ह्रदय जीत लिया था।

8. महत्वाकांक्षा 

नेपोलियन बड़ा महत्वाकांक्षी व्यक्ति था। उसकी असीमित महत्वाकांक्षाएं थे जिनके चलते वह शीघ्र ही सफलता के शिखर पर पहुंच गया।

नेपोलियन के सुधार 

जिस समय नेपोलियन के नेतृत्व मे कौंसल शासन प्रारंभ हुआ, उस समय फ्रांस को अपने शत्रुओं से युद्ध करते हुए दस वर्ष बीत गये थे। उस काल मे किसी प्रकार की सुव्यवस्थित शासन प्रणाली का निर्माण नही हो पाया था। क्रांति ने पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था को नष्ट भ्रष्ट कर दिया था और किसी नयी प्रणाली की स्थापना उस उथल-पुथल के काल मे असम्भव थी। हर क्षेत्र मे अव्यवस्था छायी हुई थी, नेपोलियन ने सबसे पहले उस ओर ध्यान दिया। नेपोलियन के सुधार कार्य इस प्रकार है--

1. स्थानीय शासन व्यवस्था 

नेपोलियन की धारणा थी कि फ्रांस की जनता समानता की इच्छुक है स्वतंत्रता की नही। अतः अपने शासनकाल मे उसने केन्दीयकरण को अपनाया। उसने प्रांतों व जिलो से निर्वाचित सदस्यों को हटा दिया और उनके स्थान पर प्रीफेक्ट नियुक्त किये।  प्रांत का अधिकारी प्रीफेक्ट कहलाता था। जबकि जिले का उप प्रीफेक्ट। उसको उसने वे सब अधिकार दे दिए जो संविधान सभा द्वारा वहां निर्वाचन समितियों को प्राप्त थे। छोटे कम्यून अधिकारी मेयर होता था और उसकी नियुक्ति प्रीफेक्ट करता था। जिन कस्बों की जनसंख्या पाँच हजार से अधिक होती थी, उनका मेयर स्वयं नेपोलियन नियुक्त करता था। पेरिस नगर का प्रबंध प्रीफेक्ट ऑफ पुलिस के अधीन था। 

कुछ इतिहासकारों ने नेपोलियन की इस व्यवस्था को अत्याचारपूर्ण एवं कठोर बताया है लेकिन यह तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि शांति तथा व्यवस्था बनाये रखने की दृष्टि से ये सुधार समयानुकूल तथा उचित थे।

2. सार्वजनिक व जनहितकारी कार्य 

नेपोलियन ने जनहित के लिए निम्न कार्य किये--

1. उसने पेरिस को अत्यंत सुन्दर नगर बनवा दिया। इसकी सड़कों को चौड़ा किया गया व जगह-जगह उद्योग खूले गये। उसने परेसि को सुन्दर बाजारों, पुलों तथा मेहराबों से सुसज्जित किया। लुब्रे के राजभवन को पूरा करके कला के नमूनों से सजाया गया। 

2. उसने पेरिस को फ्रांस की सीमाओं से जोड़ने के लिए अनेक सड़कों का निर्माण करवाया। यातायात व्यवस्था सुधारने के लिए 229 नयी सड़के बनवायी गयी, सारे देश मे अनेक पुल व बांध बनवाये गये।

3. पेरिस मे एक अजायब घर खोला गया, जिसमे विदेशो से लाई हुई बहुमूल्य वस्तुएं रखी गयी।

4. रोम, फिलान, ट्यूरिन व नेपल्स इत्यादि नगरों को पेरिस से मिलाने के लिए अनेक सड़के बनवायी गयी। 

5. बेकार भूमि को कृषि योग्य बनवाया गया व दल-दलों को साफ करवा कर कृषि योग्य बनाया गया। यह भूमि किसानों को सस्ती दरों पर दी गयी। 

6. सिंचाई के नवीन साधनों को जुटाया गया, जिससे कृषि की हालत पहले से अच्छी हो गयी। 

7. जल सेना की सुविधा के लिए बन्दरगाहों को चौड़ा किया गया।

3. आर्थिक सुधार 

नेपोलियन बोनापार्ट ने आर्थिक क्षेत्र मे अनेक महत्वपूर्ण सुधार किये। क्रांतिपूर्ण फ्रांस की कर व्यवस्था बहुत ही अव्यवस्थित तथा अन्यायपूर्ण थी। नेपोलियन ने कर व्यवस्था मे सुधार किये। कर नियमित रूप से सरकारी कर्मचारियों द्वारा वसूल किया जाने लगा। 1800 ई. मे नेपोलियन ने बैंक ऑफ फ्रांस की स्थापना की। तीन वर्ष के बाद इस बैंक को नोट जारी करने का भी अधिकार मिला। उसने फ्रांस के व्यापार वाणिज्य को उन्नत बनाया।

4. समानता का सिद्धांत 

नेपोलियन ने सामंत तथा चर्च के विशेषाधिकारों का अंत कर समानता के सिद्धांत को कायम रखा। उसने इस सिद्धांत को मानते हुए नौकरियों के द्वारा सभी नागरिकों के लिए खोल दिये। इस बिषय मे योग्यता को ही मापदंड रखा गया। यहां तक कि पुराने राजतन्त्रों के भक्तों, जेकोबिनो तथा जिन्दोडिस्ट दल के लोगों के साथ भी समानता का व्यवहार किया गया, और सभी से नयी व्यवस्था के प्रति भक्ति को कहा गया। सामंत वर्ग के लोग व पादरी जो क्रांति के समय देश छोड़कर भाग गये थे, उन्हें वापिस आने की आज्ञा दी गयी तथा उनकी शेष सम्पत्ति उन्हे वापिस की गयी। क्रांतिकाल मे पादरियों के विरूद्ध बने कानून भी शिथिल कर दिये गये।

5.  शिक्षा सम्बन्धी सुधार 

नेपोलियन के सत्ता मे आने से पूर्व शिक्षा धर्माधिकारियों के नियंत्रण मे थी। वह जानता था कि शिक्षा के क्षेत्र मे धर्माधिकारियों का प्रभाव सर्वंथा विनष्ट करना एक कठिन कार्य है। अतः प्राथमिक शिक्षा तो उसने चर्च के ही अधीन रहने दी। माध्यमिक शिक्षा के लिए उसने नवीन ढंग से लाईसे नामक स्कूल खोले। उनमे प्रशिक्षित अध्यापक नियुक्त किये जाने लगे। पाठ्यक्रम मे विज्ञान और गणित को अधिक महत्व दिया गया। छात्रों मे सैनिक अनुशासन प्रचलित किया गया। नेपोलियन ने उद्योग व व्यवसाय को भी पर्याप्त महत्व दिया। अतः शिक्षा का स्वरूप भी वैसा ही बनाया गया। व्यवसाय के लिए विशेष स्कूल खोले गये। उसने प्रयोगात्मक शिक्षा का प्रबंध किया। प्रशिक्षित अध्यापकों की उपलब्धियों के लिए उसने पेरिस मे एक नार्मल स्कूल खोला। बड़े नगरों मे उसने हाई स्कूल स्पापित किये।

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