8/22/2020

वित्तीय प्रबंधन का अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएं

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वित्तीय प्रबंधन का अर्थ (vittiy prabandh kya hai)

vittiy prabandh Meaning in hindi; वित्त व्यवसाय का जीवन का रक्त होता है। वित्तीय प्रबंध व्यावसायिक प्रबंध का ही एक भाग है। वित्तीय प्रबंध किसी उपक्रम के वित्त तथा वित्त से सम्बंधित पहलुओं पर निर्णय करने और नीति निर्धारण करने से सम्बंधित क्रियाओं का समूह होता है।
इसमे पुँजी, रोकड़ प्रवाह, मूल्य एवं लाभ नीतियाँ, निष्पत्ति नियोजन एवं मूल्यांकन तथा बजटरी नियंत्रण नीतियाँ एवं प्रणालियों प्रमुख रूप से वित्तीय प्रबंध के क्षेत्र मे आती है, परन्तु ये अन्य विभागों के सहयोग एवं सहमति के बगैर प्रभावपूर्ण ढंग से कार्यान्वियन नही किये जा सकते वित्तीय प्रबंध उपक्रम के व्यापक हितों का प्रतिनिधित्व करता है तथा वह इनके लिए संस्था का रखवाला कर्ता होता है।
छोटी व्‍यावसायिक इकाईयों के लिए वित्त की व्‍यवस्‍था करना कोई कठिन समस्‍या नही होती है परन्‍तु बड़ी व्‍यावसायिक इकाईयों के लिए वित्त व्‍यवस्‍था काफी कठिनाईपूर्ण है। यहॉं पर वित्त का स्‍वरूप अवैयक्तिगत होता है तथा इसकी मात्रा भी अधिक होती है जिसके फलस्‍वरूप इसकी व्‍यवस्‍था में अनेक कठिनाइयॉं आती है। अत: वर्तमान समय में वित्त उत्‍पादन का एक महत्‍वपूर्ण अंग है, इसलिए इसकी उचित व्‍यवस्‍था हेतु विभिन्‍न उपक्रमों मे एक अलग से विभाग खोला जाता है जिस‍े वित्त विभाग कहते है। 
अध्‍ययन की दृष्टि से हम इसे दो भागों में विभाजित कर सकते है --
1. सार्वजनिक वित्त 
सार्वजनिक वित्त से आशय सरकारी वित्त से है, इसके अन्‍तर्गत विभिन्‍न सार्वजनिक संस्‍थाओं की वित्तीय आवश्‍यकताओं का अध्‍ययन किया जाता है। सार्वजनिक वित्त के अन्‍तर्गत आय, व्‍यय एवं ऋण सम्‍बन्‍धी विभिन्‍न सिद्धान्‍तों एंव व्‍यवहारेां का अध्‍ययन किया जाता है। 
2. निजी वित्त
निजी वित्त के अन्‍तर्गत विभिन्‍न व्‍यक्तियों एंव निजी संस्‍थाओं की आय का व्‍यय का अध्‍ययन किया जाता है । निजी वित्त को मुख्‍य रूप से तीन भागों में बॉंटा जा सकता है--
(अ) वैयक्तिक वित्त 
(ब)व्‍यवसायिक वित्त
(स)गैर लाभ कमाने वाली संस्‍थाओं का वित्त। 
व्‍यावसायिक वित्त का प्रमुख उद्देश्‍य लाभ कमाने वाले उद्योगो की वित्तीय व्‍यवस्था करने से है। 

वित्तीय प्रबंधन की परिभाषा (vittiy prabandh ki paribhasha)

वैस्टन एवं ब्राइघम  " वित्तीय प्रबंध एक व्यवसाय की वह संचालनात्मक प्रक्रिया है जो व्यक्तिगत उद्देश्यों और उपक्रम के उद्देश्यो के समन्वय स्थापित करती है।
हाॅवर्ड एवं उपटन " वित्तीय प्रबंध नियोजन तथा नियंत्रण को वित्त कार्य पर लागू करना है।
जे. एफ. ब्रेडले " वित्तीय प्रबंध व्यावसाय का वह क्षेत्र है जिसका सम्बन्ध पूँजी के विवेकपूर्ण उपयोग एवं पूँजी साधनों के सतर्क चयन से है, ताकि व्यय करने वाली इकाई (फर्म) अपने उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर बढ़ सके।

उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि " वित्तीय प्रबंधन व्यावसायिक प्रबंधन का एक वह क्षेत्र है जिसके अन्तर्गत व्यवसाय की वित्तीय क्रियाओं एवं वित्त कार्य का कुशल संचालन किया जाता है। इसके लिए नियोजन, आंवटन एवं नियंत्रण के कार्य किये जाते है।

वित्तीय प्रबंधन की विशेषताएं या लक्षण (vittiy prabandh ki visheshta)

1. आवश्यकता का अनुमान
वित्तीय प्रबंधन के द्वारा व्यवसाय की वित्त सम्बन्धी आवश्यकताओं का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
2. वित्तीय स्त्रोतों का निर्धारिण
वित्तीय प्रबंध ऐसा प्रबंध है जिसके अन्तर्गत व्यवसायी आसानी से पूँजी प्राप्ति के श्रेष्ठ स्त्रोतों को ज्ञात कर सकता है।
3. वित्तीय कार्यों का केन्द्रीयकरण
वित्तीय प्रबंध मे वित्त सम्बन्धी समस्त कार्तों का एक समूह बन गया है, जिसमे वित्त सम्बन्धी समस्याओं, विचारो, नियोजन, नियंत्रण, निर्णय व्यवस्थाएँ, उत्पादन, विपणन एवं कर्मचारी प्रबंध वित्तीय कार्य एक ही प्रबंध मे किया जाता है अर्थात् वित्तीय प्रबंध, वित्तीय कार्यों को केन्द्रीकृत कर चुका है।
4. पूँजी संरचना का निर्माण
व्यवसाय की पूंजी संरचना, अल्पकालीन, दीर्घकालीन, स्थायी एवं कार्यशील पूँजी आदि से निर्मित होती है और इसे सगंठित करने का कार्य वित्तीय प्रबंध का होता है, इसीलिए हम कहते है कि वित्तीय प्रबंध पूंजी संरचना का निर्माण करता है।
5. व्यावसायिक समन्वय
व्यवसाय के विभिन्न विभागों के साथ सहयोग एवं समन्वय करके व्यवसाय के सभी वित्तीय मामलों को निपटाने वाला ऐसा एक ही विभाग है जो वित्तीय प्रबंध है।
6. निरन्‍तर चलने वाली प्रक्रिया
 वित्तीय प्रबन्‍ध की परम्‍परागत विचारधारा के अनुसार वित्तीय प्रबन्‍ध की प्रक्रिया सत्त रूप से नही चलती थी, बल्कि कुछ विशेष घटनाओं के समय ही कार्यशील थी। परन्‍तु आधुनिक विचारधारा के अनुसार वित्तीय प्रबन्‍ध की प्रक्रिया निरन्‍तर चलने वाली होती है। 
7. प्रबन्‍ध का अभिन्‍न अंग 
आधुनिक व्‍यवसाय प्रबन्‍ध में वित्तीय प्रबन्‍धक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। व्‍यावसाय के सभी क्रिया-कलापों के साथ वित्त का प्रश्‍न जुडा रहता है , अत: सभी व्‍यवसायिक निर्णयों में वित्तीय प्रबन्‍धक की भूमिका अहम् होती है।
8. विस्‍तृत क्षेत्र 
वित्तीय प्रबन्‍ध का कार्य व्‍यवसाय की अल्‍पकालीन एंव दीर्घकालीन वित्तीय आवश्‍यकताओं के लिए साधनों की प्राप्ति उनका आंवटन तथा अनुकूलतम उपयोग करना है। अत: वित्तीय प्रबन्‍ध का क्षेत्र विस्‍तृत है । 
9. कार्य निष्पादन का मापक
वित्तीय प्रबंध के अन्तर्गत वित्तीय निर्णय भी शामिल होते है, यही वित्तीय निर्णय व्यावसाय की सफलता/असफलता, व्यावसाय की लाभदायकता/जोखिम स्थिति आदि को प्रभावित करता है। वित्तीय निर्णयों को व्यवसाय मे लागू करने के पश्चात व्यवसाय के परिणाम ही यह सिद्ध करते है कि व्यवसाय का वित्तीय प्रबंध किस तरह से कार्य कर रहा है। वित्तीय प्रबंध द्वारा ही व्यवसाय के कार्य निष्पादन को मापा जा सकता है।
10. अर्जित आय का प्रबंध
वित्तीय प्रबंध यह भी दिशा निर्देश देता है कि व्यवसाय के कार्यों द्वारा कैसे लाभ प्राप्त किया जा सकता है, साथ ही प्राप्त (अर्जित) आय/लाभ को व्यवसाय मे किस प्रकार प्रयोग तथा प्रबंध किया जाए तथा कैसे अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
11. उच्च प्रबंधकों हेतु सहायक 
वित्तीय प्रबंध ही एक ऐसा प्रबंध है, जो व्यवसाय की सफलता का कारक होता है, यही व्यवसाय को स्थायित्व एवं सर्वोत्तम निर्णय लेने मे सहायक होता है।
12. केन्‍द्रीय स्‍वभाव
प्रबन्‍ध के सभी क्षेत्रों में वित्तीय प्रबन्‍ध का स्‍वभाव केन्‍द्रीयकृत है। आधुनिक व्‍यवसायिक उपक्रमों में उत्‍पादन, विपणन एंव कार्मिक प्रबन्‍ध में कार्यो का जहॉं अत्‍यधिक  विकेन्‍द्रीयकरण सम्‍भव होता है, वहीं वित्त कार्य का विकेन्‍द्रीकरण के द्वारा ही अधिक प्रभावशाली ढंग से प्राप्‍त किया जा सकता  है। 
संदर्भ; मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, लेखक डाॅ. सुरेश चन्द्र जैन
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