8/18/2020

उद्यमिता का महत्व एवं भूमिका

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उद्यमिता का महत्व एवं भूमिका (udyamita ka mahatva)

बगैर उद्यमिता के विकास के कोई भी देश अपना नियोजित तथा तीव्र आर्थिक विकास नही कर सकता है। उद्यमिता के विकास द्वारा ही कई आर्थिक, सामाजिक समस्याओं, जैसे-गरीबी, बेरोजगारी, धन की विषमता, कम उत्पादकता, निम्न जीवन-स्तर आदि से छूटकारा पाया जा सकता है। वास्तव मे उद्यमिता ही आर्थिक समृद्धि का प्रमुख आधार है।उद्यमिता के महत्व अथवा उसकी भूमिका को हम निम्न तरह से स्पष्ट कर सकते है--
1. व्यवसाय का मूलाधार
उद्यमिता व्यवसाय के मूलभूत कार्यों मे मार्गदर्शन सहयोग व समन्वय की स्थापना मे सहायक होती है। यह व्यावसायिक समस्याओं के निदान मे भी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करती है। इस प्रकार उद्यमिता व्यवसाय का मूलाधार है।
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2. नवीन उत्पादन एवं तकनीकी विकास
उद्यमिता के नये पहलुओं व आयामों के अन्तर्गत उद्यमियों द्वारा नयी उत्पादन तकनीकों व प्रभावियों का अपनाया जाना सम्भव है। इसमे उत्पादन की मात्रत्मक एवं गुणात्मक श्रेष्ठता का स्तर बढता है जो उपक्रम के लिए लाभदायी हो सकता है।
3. संसाधनों का एकत्रीकरण
उद्यमिता द्वारा प्रस्त नीतिगत व संचालन के आधारों व उपायों द्वारा उद्यमियों का संसाधनों को एकत्रित करना सम्भव हो जाता है। उद्यमिता की कुशलता संसाधनों की प्राप्ति व उनका सामाजिक हितों मे उपयोग प्रक्रिया को प्रकट करती है।
4. आर्थिक विकास 
उद्यमिता से लोगों मे साहसिक प्रवृत्तियों का जन्म होता है तथा लोगों मे सृजनशीलता के प्रति विश्वास बढ़ता है। इससे व्यक्ति व्यावसायिक सुअवसरों की खोज करके उनका विदोहन करने के लिए नये-नये उधोगों  की स्थापना करता है। इस तरह देश मे औधोगिक क्रियाओं को प्रोत्साहन मिलता है एवं आर्थिक विकास की गति तीव्र हो जाती है।
5. रोजगार की समस्या के समाधान मे सहायक
 उद्यमिता के विकास से देश मे नये-नये उधोगों खुलते है, मौजूद इकाइयों का विकास तथा विस्तार होता है, जिससे अधिक लोगों को रोजगार मिलने लगता है। आज उद्यमिता के द्वारा ही देश मे कई क्षेत्रों मे नये-नये उधोगों की स्थापना हो रही है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ रहे है।
6. भाग्य निर्माण के अवसर
उद्यमिता का उधमी के लिए महत्व यह है कि उद्यमिता द्वारा व्यक्ति किसी भी कारोबर मे अनिश्चितताओं का समान करने, जोखिम वहन करने व अनेकानेक आकस्मितताओं का सामना करने को तत्पर होते है। जो व्यक्ति इन स्थितियों को जितना अधिक सामना कर सफलता प्राप्त करता है उसे लाभार्जन क्षमता मे वृद्धि के अवसर उतने ही अधिक प्राप्त होते है। अतः उद्यमिता व्यक्तियों मे भाग्य निर्माण के अवसरों को बढ़ावा देती है।
7. कार्य स्वतंत्रता
उद्यमिता व्यक्तियों को वैयक्तिक एवं कार्य स्वतंत्रता प्रदान करती है। वे व्यक्ति जो उद्यमिता को आधार बनाते है तथा अपना व्यवसाय व रोजगार स्वतंत्रत रूप मे चलाना चाहेंगे, उन्हें अपनी अलग पहचान, अस्तित्व व कार्य स्वतंत्रता की प्राप्ति इसी से सम्भव हो सकती है।
8. महत्वाकांक्षाओं की पूर्णता 
उद्यमिता उधमियों को उनकी महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने मे महत्वपूर्ण योगदान देती है। उधमी अपनी व्यक्तिगत व संस्थागत संसाधनों व सुअवसरों के माध्यम से अपनी छिपी या अधूरी महत्वाकांक्षाओं को पूरा कर सकते है।
9. राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति मे योगदान
उद्यमिता के विकास द्वारा सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन तथा राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति मे मदद मिलती है। देश की विकास योजनाओं को पूरा करने, आयात-निर्यात मे संतुलन स्थापित करने एवं नियोजित विकास को प्रोत्साहित करने मे उद्यमी सरकार को सहयोग देते है।
10. नवीन वस्तुओं का उत्पादन
उद्यमिता के माध्यम से उन नवीन तकनीकों को अपनाया जाता है जो उत्पादन विकास व उत्पादशोध को बढ़ावा दे सके। इस कारण नवीन वस्तुओं का उत्पादन किया जाना सम्भव हो जाता है। जो उपक्रम की तकनीकी क्षमता लाभदायक एवं बाजार विस्तार मे नये अवसरों का सृजन करती है।
11. स्वावलम्बन को बढ़ावा 
उद्यमिता की कौशलता अपनाने से समाज के अनेक व्यक्ति विशेषतः लघु व्यवसायी व उधमी स्वावलम्बन की ओर अग्रसर हो जाते है। वे व्यवसाय व कारोबार के सभी काम स्वयं ही करना पसंद करते है और अपनी आवश्यकताओं के लिये दूसरों पर निर्भर नही रहते।
12. उद्यमी प्रवृत्तियों का विकास
साहस के कारण लोगो मे स्वतंत्र जीवन जीने एवं आत्मनिर्भर बनने की कला का विकास होता है। लोग आलस्य तथा अकर्म को छोड़कर सुखी और सम्पन्न जीवन जीने की ललक से भर उठते है। उद्यमिता से लोगों मे रचनात्मक प्रवृत्तियों का जन्म होता है। इससे सम्पूर्ण जीवन मे सक्रियता का संचार होता है एवं एक सुखी तथा सम्पन्न समाज की स्थापना की जा सकती है।

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