11/17/2021

वैज्ञानिक पद्धति अर्थ, परिभाषा, चरण, विशेषताएं

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वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ (vaigyanik paddhati kya hai)

Vaigyanik paddhati arth paribhasha charan visheshta;विज्ञान घटनाओं का अध्ययन है, विज्ञान का सम्बन्ध पद्धति से होता है न कि अध्ययन विषय से। वैज्ञानिक पद्धति का अनुसरण करके ही यथार्थ ज्ञान प्राप्त हो सकता है। एक विद्वान के अनुसार 'सत्य तक पहुँचाने के लिए कोई संक्षिप्त मार्ग नही हैं इसके लिए हमें वैज्ञानिक पद्धति के महाद्धार से ही गुजरना पड़ेगा।
साधारण बोलचाल की भाषा मे कहा जा सकता है कि वैज्ञानिक पद्धति किसी विषय वस्तु के अध्ययन मे प्रयुक्त होने वाली वह पद्धति है जिसे एक वैज्ञानिक (शोधकर्ता) प्रयुक्त करता है। दूसरे शब्दों मे यह वह अध्ययन पद्धति है जिसके द्वारा किसी विषय अथवा वस्तु का निष्पक्ष और व्यवस्थित ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
वैज्ञानिक पद्धति का अर्थ जानने के बाद अब हम वैज्ञानिक पद्धति की परिभाषा, चरण और विशेषताएं जानेगें।

वैज्ञानिक पद्धति की परिभाषा (vaigyanik paddhati ki paribhasha) 

जाॅर्ज लुण्डबर्ग के शब्दों में, "समाज विज्ञानियों मे यह विश्वास दृढ़ हो गया है कि उनके सामने जो समस्याएं हैं उनका समाधान सामाजिक घटनाओं के निष्पक्ष और व्यवस्थित अवलोकन, सत्यापन, वर्गीकरण तथा विश्लेषण द्वारा ही सम्भव है। मोटे तौर पर अध्ययन के इसी उपाग्रम को वैज्ञानिक पद्धति का नाम दिया जाता हैं।"
इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका के अनुसार," वैज्ञानिक पद्धति एक सामूहिक पद है जो उन प्रक्रियाओं के विषय मे उल्लेख करता है जिनकी सहायता से विज्ञान बनते है। विस्तृत अर्थ मे अनुसंधान की कोई भी वह पद्धति जिसके वैज्ञानिक अथवा अन्य निष्पक्ष एवं व्यवस्थित ज्ञान प्राप्त किया जाता है, वैज्ञानिक पद्धति कहलाती है।"
कार्ल पिअर्सन के अनुसार," वह व्यक्ति जो कि किन्ही तथ्यों का वर्गीकरण करता है, उनमे पारस्परिक संबंधो को देखता है और उनके अनुक्रम को बताता है, वह वैज्ञानिक पद्धति को अपनाता है-- तथ्य अपने आप मे किसी विज्ञान की रचना नही करते है बल्कि यह तो उनके अध्ययन की विधि है।"
ई. डब्ल्यू. रिस्टवर्ट के अनुसार," वैज्ञानिक पद्धति ज्ञान अर्जित करने के लिये तथ्यों के प्रति समर्पित और निष्कर्षों के प्रति जागरूक एक व्यवस्थित प्रयास है।"
ईयान राॅबर्टसन के अनुसार," विज्ञान से तात्पर्य तर्कसंगत व व्यवस्थित विधियों से है जिनसे कि प्रकृति के विषय मे ज्ञान प्राप्त किया जाता है।"
आर. एन. थाउलेस के अनुसार," वैज्ञानिक पद्धति सामान्य नियमों की खोज के लिए प्रविधियों की एक व्यवस्था है (जो कि सामान्य चरित्र को रखते हुए भी विविध विज्ञानों के लिये अलग-अलग हो सकती है)।"
ए. वुल्फ के अनुसार," व्यापक अर्थ मे कोई भी अनुसंधान विधि जिसके द्वारा विज्ञान की रचना और विस्तार होता है, वैज्ञानिक पद्धति कहलाती है।"
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि किसी भी विषय को विज्ञान के रूप मे स्थापित करने का महत्वपूर्ण आधार वैज्ञानिक पद्धति ही है। आगस्त काॅम्त ने भी सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करने के लिये वैज्ञानिक पद्धति के प्रयोग पर जोर दिया था।

वैज्ञानिक पद्धति के प्रमुख चरण (vaigyanik paddhati ke charan)

वैज्ञानिक पद्धति के चरण इस प्रकार हैं-- 
1. विषय का चुनाव
सामाजिक अनुसंधान का पहला कदम या पहला चरण विषय के चुनाव से प्रारंभ होता है। सामाजिक अनुसंधान मे जब भी कोई अनुसन्धानकर्ता किसी भी विषय का चुनाव (चयन) करे, तो उसे इन प्रश्नों पर आवश्यक रूप से विचार करना चाहिए---
1. अनुसंधान कार्य की दृष्टि से विषय का चुनाव व्यावहारिक है अथवा नही? अर्थात् क्या चुने विषय पर अनुसंधान कार्य किया जा जा सकता है या नही?
2. उपलब्ध विधियों और उपकरणों की सहायता से क्या उपर्युक्त विषय पर अध्ययन किया जा सकता है?
3. जिस क्षेत्र का चुनाव किया है, क्या उस क्षेत्र का सम्पूर्ण अध्ययन किया जाता है?
2. अध्ययन के साधनों तथा पद्धतियों का चयन
उप-कल्पना के निर्माण के पश्चात यह निश्चित किया जाता हैं कि अध्ययन के लिए किन साधनों तथा पद्धतियों का प्रयोग किया जाएगा। समस्या की प्रकृति पर ही वह निर्भर करता है कि आंकड़ो के संकलन के लिए कौनसी पद्धति अपनाई जाए। सामग्री की संकलन निम्नलिखित पद्धति मे किया जाता हैं-----
1. साक्षात्कार
2. अनुसूची
3. प्रश्नावली
4. निरीक्षण
5. द्वितीयक सामग्री
3. समंक स्त्रोतो का अनुमान
अनुसन्धानकर्ता को उन स्त्रोतों का पता लगाना जहाँ विषय से सम्बंधित सामग्री उपलब्ध हो। अनुसन्धानकर्ता को मात्र स्त्रोतों का ही पता नही लगाना चाहिए, बल्कि उसको उन स्त्रोतों की पहुँच के बारे मे भी जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। इस प्रकार तथ्यों के स्त्रोतों और उन तक पहुँच के बारे मे अनुसन्धानकर्ता को स्पष्ट रूप से जानकारी होनी चाहिए।
4. पूर्व-अध्ययन और पूर्व-परीक्षण
अनुसन्धानकर्ता को अनुसंधान कार्य मे आगे किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसके लिए उसे निम्न दो कार्यों को सम्पादित करना चाहिए---
1. प्रयोग योजना के तौर पर पूर्व अध्ययन करना
2. अपने अध्ययन का परीक्षण करना।
5. समय और व्यय का अनुमान
अनुसन्धानकर्ता को इस बात का अनुमान लगा लेना चाहिए कि जो अध्ययन किया जा रहा है, उसमे समय कितना लगेगा तथा धन की कितनी मात्रा खर्च होगी।
6. कार्यकर्ताओं का चुनाव और प्रशिक्षण
अनुसंधान कार्य मे अनेक व्यक्तियों की आवश्यकता पड़ सकती है। हमे ऐसे व्यक्तियों का चुनाव करना चाहिए, जो योग्य, अनुभवी और लगनशील हो। इन व्यक्तियों को अनुसंधान कार्यों के सम्बन्ध मे उचित प्रशिक्षण देना चाहिए।
7. तथ्यों का संकलन
अनुसंधान कार्य की यथार्थ शुरूआत तथ्यों के संकलन से प्रारंभ होती है। तथ्यों को संकलित करते समय तटस्थता का होना अनिवार्य है।
8. तथ्यों का वर्गीकरण
तथ्यों को संकलित करने के उपरांत अनुसंधान कार्य मे उपयोगी बनाने के लिए उन्हें निश्चित क्रमों और श्रेणियों मे विभाजित करना आवश्यक हो जाता है। तथ्यों के वर्गीकरण से सरलता का विकास होता है।
9. सामान्यीकरण
वर्गीकरण तथ्यों का विश्लेषण किया जाता हैं। इस विश्लेषण की सहायता से सामान्य नियमों का प्रतिपादन किया जाता है। इससे उपकल्पना की परीक्षा होती हैं। वह सामाजिक अनुसंधान का अन्तिम चरण है। सामान्यीकरण को ही प्रतिवेदन के रूप मे प्रस्तुत किया जाता है।

वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताएं (vaigyanik paddhati ki visheshta)

वैज्ञानिक पद्धति की विशेषताएं इस प्रकार है-- 
1. सामान्यता
वैज्ञानिक पद्धति विज्ञान की सभी शाखाओं मे सामान्य होती है। इस पद्धति के द्वारा विषय से सम्बंधित सामान्य तथ्यों को ढूंढा जाता है।
2. वस्तुनिष्ठता
इस पद्धति मे अध्ययन विषय को ठीक उसी रूप मे प्रस्तुत करते है अध्ययन करते समय पूर्व धारणाओं, विचारों पक्षपात आदि को दूर रखते है। इस प्रकार तटस्थ अध्ययन वैज्ञानिक पद्धति का प्रमुख लक्षण है।
3. भविष्यवाणी करने की क्षमता
वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा घटनाओं का कार्यकारण सम्बन्धों को जानते है। इससे घटना के बारे मे भविष्यवाणी करना सम्भव होता है। यह विज्ञान की महत्वपूर्ण विशेषता है।
4. सत्यापनशीलता
वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा निष्कर्षों की जांच किसी भी समय, किसी के भी द्वारा की जा सकती है। निष्कर्षों की पुनः परीक्षा केवल वैज्ञानिक पद्धति मे ही सम्भव होती है।
5. निश्चयात्मकता
वैज्ञानिक पद्धति मे संदेह उत्पन्न करने वाले तत्वों को कोई स्थान नही मिलता। इसमें सुनिश्चित प्रणालियों के द्वारा अध्ययन होता हैं। इनका अनुसरण कर कोई भी वैज्ञानिक निष्कर्ष प्राप्त कर सकता हैं।
6. सिद्धांतों की स्थापना
वैज्ञानिक पद्धति में वर्तमान घटनाओं तथा घटनाओं के कार्य-कारण संबंधों के आधार पर सिद्धांतों की स्थापना की जाती है। इन सिद्धांतों की पुर्नपरीक्षा भी की जाती है।
7. सार्वभौमिकता
वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा स्थापित सिद्धांत सार्वभौमिक होते हैं अर्थात् यह सिद्धांत किसी विशेष क्षेत्र पर ही लागू नहीं होती। बल्कि अन्य समाजों में भी उसी प्रकार की घटनाओं पर भी लागू होते हैं साथ ही यदि परिस्थितियों में परिवर्तन नहीं आया तो विभिन्न-विभिन्न समयों एवं समाजों मे खते उतरते है।
8. तार्किक पद्धति
वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा अध्ययनकर्ता अपने निष्कर्षों को तार्किक आधार पर प्रस्तुत करता है। तर्क का संबंध तथ्य और विवेक से होता है वैज्ञानिक पद्धति की क्रियाशीलता में तार्किक विश्लेषण महत्वपूर्ण होता है।
9. अवलोकन द्वारा तथ्यों का एकत्रीकरण
वैज्ञानिक पद्धति के अंतर्गत तथ्यों का संकलन अध्ययन करता प्रत्यक्ष अवलोकन अथवा निरीक्षण के द्वारा करता है। इसमें कल्पना अथवा दार्शनिक विचारों को कोई स्थान नहीं है।
10. सामान्य चरित्र
वैज्ञानिक पद्धति से निकाले गए निष्कर्ष सामान्य रूप से सभी स्थानों पर और पदार्थों पर समान रूप से लागू होती है। इसके लिए एक महत्वपूर्ण शर्त यह है कि जिन दिशाओं में अध्ययन किया गया था वे दिशाएं यथावत बनी रहे। उदाहरण स्वरूप भौतिक शास्त्र का यह एक सामान्य नियम है कि ऊपर फेंकी गई प्रत्येक वस्तु पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण धरती/पृथ्वी पर आकर गिरती है। अलग-अलग वस्तुओं के गिरने की गति अलग-अलग हो सकती है। परंतु गुरुत्वाकर्षण में अनिवार्य शर्त है जिसके कारण ऊपर फेंकी गई प्रत्येक वस्तु धरती पर आकर जरूर गिरती है। एक अन्य उदाहरण देखें हम जानते हैं कि भारत में विवाहित स्त्रियों की हत्या या आत्महत्या के लिए भारत में प्रचलित दहेज प्रथा उत्तरदायित्व कारक है। अतः हम कह सकते हैं कि जहां कहीं भारत के समान दहेज प्रथा का प्रचलन और उसकी मांग में वृद्धि होगी वहां की स्त्रियों की हत्या या उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति में भी वृद्धि होगी।
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