11/29/2021

नेपाल के संविधान की विशेषताएं

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नेपाल

आधुनिक नेपाल की स्थापना 1768 में गोरखा सम्राट पृथ्वी नारायण शाह ने की थी। उन्होनें 1768 में काठमाण्डू घाटी के तीन मल्ल राजाओं को पारिजत कर शाह राजवंश तथा आधुनिक नेपाल की नींव रखी।

नेपाल का संविधान

ठंडी जलवायु वाले देश नेपाल में कई सालों से शनै:शनै: राजनीतिक आक्रोश पनप रहा था। बरसों के राजनैतिक उथल-पुथल और हिंसक संघर्षों के बाद 20 सितम्बर को नेपाल का नया संविधान लागू हुआ। जिसने नेपाल के अंतरिम संविधान 2007 की जगह ली है। नेपाल का 2015 का प्रस्तावित संविधान अब तक का नेपाल का बड़ा संविधान है। नेपाल के वर्तमान संविधान मे 296 अनुच्छेद तथा 7 अनुसूचियाँ हैं, नेपाल के संविधान को 37 भागों में विभाजित किया गया है। इस संविधान के लागू होते ही दुनिया का एकमात्र " हिन्दू राष्ट्र " धर्मनिरपेक्ष गणराज्य मे तब्दील हो गया।

नेपाल के वर्तमान संविधान (2015) की प्रकृति 

वर्तमान में नेपाल में 2015 का संविधान लागू है। इसने नेपाल के अंतरिम संविधान 2007 का स्थान लिया हैं। इस संविधान का निर्माण नेपाल की दूसरी संविधान सभा ने किया, जिसका चुनाव 19 नवंबर 2013 को कराया गया था। कारण कि 2008 में गठित संविधान सभा चार वर्ष से भी अधिक समय होने के बावजूद भी देश के लिए नया संविधान बनाने मे असफल रही थी, अतः मई 2012 में उसे भंग कर दिया गया था। 
नेपाल का वर्तमान संविधान (2015) वहाँ का अब तक का सबसे बड़ा संविधान हैं, जिसमें 296 अनुच्छेद तथा सात अनुसूचियाँ हैं। संविधान को विषयानुसार कुल 37 भागों में विभाजित किया गया हैं। यह संविधान नेपाल का एक मौलिक कानून हैं, जैसा कि नेपाल के संविधान की प्रस्तावना में बताया गया हैं। इसका अर्थ है है कि नेपाल मे संविधान सर्वोच्च है तथा व्यवस्थापिका द्वारा बनाए गए समस्त कानून और कार्यपालिका द्वारा जारी किये गए सभी आदेश इस संविधान के अनुसार ही होगें। यह संविधान नेपाल का एक पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य का स्वरूप प्रदान करता हैं, जिसमें सत्ता का अन्तिम स्त्रोत जनता को माना गया हैं। इस प्रकार नेपाल में लोक सम्प्रभुता पर आधारित एक पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की गई हैं। नेपाल के इस नवीन संसदीय प्रणाली वाले संविधान में वहाँ त्रिस्तरीय संघात्मक व्यवस्था को अपनाया गया हैं-- केन्द्रीय स्तर पर केन्द्र सरकार, प्रान्त स्तर पर प्रान्तीय सरकारें तथा स्थानीय स्तर पर स्थानीय सरकारें। 
नेपाल का वर्तमान संविधान वहाँ के नागरिकों को भारत की तुलना में अधिक व्यापक स्तर पर मौलिक अधिकार प्रदान करता हैं, क्योंकि इसमें कतिपय सामाजिक तथा आर्थिक अधिकारों, जैसे-- रोज़गार का अधिकार, आवास का अधिकार, भोजन का अधिकार आदि का भी उल्लेख किया गया हैं, जो भारत के संविधान में भी नहीं हैं। साथ ही नेपाल के नागरिकों के लिए मानवाधिकारों की अलग व्यवस्था की गई हैं, जिसके अनुसार वहाँ राष्ट्रीय मानवाधिकार को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई हैं। 
इस तरह नेपाल पहले एक हिन्दू राज्या था, लेकिन अब वह एक पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बन चुका हैं। साथ ही वह भारत की तरह एक बुहजातीय, बहुधर्मी, बहुभाषी तथा बहुसंस्कृति की प्रकृति वाला देश घोषित किया गया हैं।

नेपाल के संविधान की विशेषताएं (nepal ke samvidhan ki visheshta)

नेपाल के 2015 के संविधान की निम्नलिखित विशेषताएं हैं--
1. जनता का संविधान
नेपाल की संप्रभुता नेपाल की जनता में निहित है। नेपाल के संविधान में कहा गया है कि " हम, नेपाल वासी नेपाल की स्वतंत्रता, सार्वभौमिकता, भौगोलिक निष्ठा, राष्ट्रीय एकता, स्वतंत्रता और गरिमा को बनाए रखने उन्हें सार्वभौमिक शक्ति और स्वायत्तता और स्वशासन का अधिकार देते है।
2. पंथ निरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य
नेपाल का वर्तमान संविधान एक पंथनिरपेक्ष संविधान है अर्थात नेपाल का कोई राज धर्म नही है। नेपाल की सारी सत्ताओं का अन्तिम स्त्रोत नेपाल की जनता है अर्थात नेपाल में लोक सम्प्रभुता के सिध्दांत को लागू किया गया है।
3. मध्यम आकार
नेपाल का संविधान मध्यम आकार का है वह ना तो ज्यादा बड़ा है और ना सी ज्यादा छोटा है।
4. नेपाल का संविधान एक मौलिक कानून
नेपाल के संविधान की प्रस्तावना के अनुसार नेपाल मे संविधान मौलिक कानून है अर्थात नेपाल का संविधान ही सर्वोच्च है तथा व्यवस्थापिका द्वारा बनायें गयें सभी कानून तथा कार्यपालिका द्वारा जारी किये गए सभी आदेश इस संविधान के अनुसार होंगे।
5. एकल नागरिकता
नेपाल के संविधान में भारत के संविधान की तरह ही एकल नागरिकता की व्यवस्था की गई है। संविधान मे कहा गया है " कोई भी नेपाली नागरिकता प्राप्त करने के अधिकार से वंचित नही होगा। नेपाली महिलाओं को विदेशी पुरूष से शादी करने पर अपने बच्चों को नेपाली नागरिकता देने का भी अधिकार प्रदान किया गया है।
6. मौलिक अधिकारों का वर्णन 
नेपाल के संविधान मे नागरिकों को मौलिक अधिकार भी दिये गये है। जिसके अंतर्गत आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों सहित मौलिक अधिकार की एक लम्बी सूची तैयार की गयी है। महिलाओं, दलितों, स्वदेशी लोगों और अल्पसंख्याकों के अधिकार भी शामिल है।
7. संसदीय प्रणाली
नेपाल के नये संविधान के अनुसार नेपाल में भारत की तरह संसदीय प्रणाली की स्थापना की गयी है, जिसमें राष्ट्रपति नाममात्र का शासक होगा तथा वास्तविक कार्यपालिका शक्तियाँ प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद मे निहित होगी। मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से व्यवस्थापिका के निम्म सदन प्रतिनिधि सभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी। इसके साथ ही मंत्रिपरिषद् के सदस्य व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री के प्रति उत्तरदायी होगे।
8. विकेन्द्रीकरण
नेपाल में शक्ति को तीन भागों में विकेन्द्रीकृत किया गया है। केंन्द्र मे संघीय सरकार, प्रांतों मे प्रांतीय सरकार और जिला और ग्राम स्तर पर भी शासन व्यवस्था है। संविधान में प्रत्येक स्तर पर शक्तियों का प्रयोग किया जाएगा।
9. नीति निदेशक सिध्दांत
नेपाल के संविधान मे नीति निदेशक सिध्दांतों का वर्णन भी किया गया है। ये निदेशक तत्व राज्य की नीतियों के लिए मार्गदर्शक सिध्दान्त की भाँति है, जिन्हें न्यायालय द्वारा लागू नही किया जा सकता। इसका तात्पर्य यह है कि यदि कोई सरकार इन निर्दशों का पालन नही करती तो न्यायालय उसे ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
10. संविधान में संशोधन
अनुच्छेद 274 के तहत नेपाल के संविधान मे संशोधन का प्रावधान है। संशोधन प्रस्ताव किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है। प्रस्तुत विधेयक दोनों सदनों में प्रस्तुति करने के लिए 30 दिनों के भीतर सामान्य जनता के अवलोकन के लिए प्रकाशित किए जातें है। प्रान्तों से संबंधित विधेयकों संबंधित प्रांतीय विधानसभा के पास सहमति के लिए भेजा जाता है। उन्हें 30 दिनों अंदर विधेयक संघीय विधायिका को वापस भेजना होता है। प्रांतीय विधानसभा विधेयक पर सहमति या असहमति व्यक्त कर सकती है। यदि प्रांतीय विधानसभा समय सीमा के भीतर संघीय विधायिका को सूचित करती है कि बहुमत द्वारा बिल को अस्वीकार कर दिया गया है, तो बिल खारिज कर दिया जाएगा। यदि समय के भीतर बहुमत प्रांतीय विधानसभाएं बिल की अस्वीकृति के संघीय संसद को सूचित करती है, तो ऐसा बिल शून्य हो जाएगा। अनुमोदित विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति को पंद्रह दिनो के भीतर अपनी स्वीकृति देना होगी। जब राष्ट्रपति की स्वीकृत मिल जाती है तो संविधान संशोधन की प्रक्रिया पूर्ण हो जायी है।
11. लिखित संविधान
नेपाल का संविधान लिखित संविधानों की श्रेणी मे आता है। इसमें 308 अनुच्छेद, 9 परिशिष्ट एक प्रस्तावना हैं। नेपाल का संविधान न केवल संघीय सरकार का संविधान हैं बल्कि इसमें प्राप्तों एवं नगरपालिकाओं के शासन विधानों से संबंधित प्रावधान भी हैं। 
12. देश का मूलभूत कानून 
संविधान के अनुच्छेद 1 अनुसार यह संविधान नेपाल का मूलभूत कानून हैं। यदि अन्य कोई कानून नेपाल के संविधान के विरूध्द हैं तो वे अवैध है। अनुच्छेद 133 के अनुसार विरोधाभाशी स्थिति में सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या मान्य हैं। 
13. संवैधानिक आयोग 
संविधान में स्वतंत्र संवैधानिक आयोगों का प्रावधान किया गया हैं जिनमें प्रमुख हैं-- महिला आयोग, दलित आयोग, जनजातीय आयोग, मधेशी आयोग, थारू आयोग एवं मुस्लिम आयोग। ये आयोग राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के साथ-साथ काम करेंगे। इन आयोगों का प्रमुख कार्य ऐसी नीतियों के निर्माण तथा कानून प्रावधानों में संशोधन के सुझाव देना हैं ताकि संबंधित समुदायों के साथ भेदभाव न हो सके। सभी आयोगों को प्रतिवर्ष संसद के समक्ष अपने कामकाज की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य हैं।

निष्कर्ष 

नेपाल के संविधान की उक्त विशेषताओं से स्पष्ट है कि नेपाल मे एक पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना का प्रयास किया गया हैं, जिसमें सत्ता का अन्तिम स्त्रोत जनता को माना गया हैं। संविधान में नागरिकों के सामान्य मौलिक अधिकारों के साथ ही विशिष्ट वर्गों के अधिकारों का भी उल्लेख किया गया हैं। यह संविधान सामाजिक न्याय तथा सामाजिक व आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना में सहायक हैं। संसदीय प्रणाली के अन्तर्गत राजनीतिक शक्तियों का तीन स्तरों पर विभाजन कर एक उत्तरदायी तथा समेकित शासन व्यवस्था की स्थापना का प्रयास किया गया हैं। कुल मिलाकर नेपाल का नया संविधान नेपाल की जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को क्रियान्वित करने का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं।
यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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