11/19/2021

ब्रिटिश संविधान की विशेषताएं, महत्व

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विश्व के आदर्श प्रजातंत्रों में ब्रिटिश एक आदर्श प्रजातंत्र हैं। ब्रिटिश संविधान भी सारे विश्व में अपनी मिसाल आ रखता हैं। उसे संसार के सभी संविधानों की जननी माना जाता हैं। मुनरों का कहना है कि," ब्रिटिश संविधान संविधानों का जनक है और ब्रिटिश संसद संसदों की जननी है। अन्य देशों की विधान सभाओं को चाहे जो भी संज्ञा दी जाये परन्तु उनका उद्गम स्थान एक ही है।" 

ब्रिटिश संविधान का अर्थ  

ब्रिटिश संविधान दुनिया का एक मात्र ऐसा संविधान है, जिसका निर्माण न तो किसी योजनानुसार हुआ है और न ही इसे कभी लेखबध्द किया गया है। ब्रिटिश संविधान एक लम्बे समय के ऐतिहासिक विकास का परिणाम है। ब्रिटिश संविधान वास्तव में एक विकासशील संविधान है। समय तथा परिस्थितियों ने इस  मे बहुत सी नई परम्पराएं डाल दी है।

ब्रिटिश संविधान की परिभाषा

मुनरो के अनुसार," यह बुध्दिमत्ता व संयोग के मिलन से उत्पन्न बालक है जिसका मार्गदर्शन कभी आकस्मिक घटनाओं और कभी उच्च कोटी की योजनाओं ने किया है। यह एक नदी की भाँती है जिसका तलपृष्ठ मानों किसी के पैर से इधर-उधर से निकलता है और कभी-कभी पत्तों के झुरमुट मे भी खो जाता है।"
जार्ज बर्नार्ड के अनुसार," ब्रिटेन मे संविधान नही क्योंकि यह कहीं भी लिखा हुआ नही है और न ही इसमें कोई संशोधन किया जा सकता है क्योंकि यह संविधान कही भी लेखध्द ही नही है।"
ब्रिटिश संविधान का अर्थ और परिभाषों को जाने के बाद हम यह कह सकते है कि ब्रिटिश संविधान ब्रिटेन की प्रथाओं और परम्पराओं का एक सम्मलित रूप है जो लिखित नही है।
तो चलिए अब ब्रिटिश संविधान के इस संक्षिप्त परिचय के बाद अब हम ब्रिटिश संविधान की विशेषताओं के बारें मे जानते है।

ब्रिटिश संविधान की विशेषताएं (british samvidhan ki visheshta)

ब्रिटिश संविधान की निम्नलिखित विशेषताएं हैं--
1. राजतंत्र, कुलीनतंत्र, तथा प्रजातंत्र का मिश्रण
जी हाॅ दोस्तो ब्रेटेन का संविधान इन तीनों का मिश्रित संविधान है। ब्रिटेन मे एक राजा भी होता है जिसे क्राॅउन के नाम से जाना जाता है लेकिन वह भारत के राष्ट्रपति के समान नाममात्र का कार्यपालक होता है। लार्ड सभा कुलीनतंत्र और लोकसभा प्रजातंत्र का प्रतिनिधित्व करती है।
2. प्रचीन संविधान
ब्रिटिश संविधान की एक विशेषता यह है कि यह विश्व के सबसे प्रचीन संविधानों मे से एक है। ब्रिटेन में ही सर्वप्रथम संवैधानिक शासन आरंभ हुआ था।
3. विकसित संविधान
ब्रिटिश संविधान विकास का परिणाम है। इसे निर्मित करने के लिए सोवियत संघ(रूस) अमेरिकि, फ्रांस, भारत आदि देशो की तरह संविधान सभा का गठन नही किया गया था। न ही इस संविधान कि कोई घोषणा की गई थी यह तो अंग्रेजी समाज के साथ ही विकसित हुआ है।
4. लचीलापन
ब्रिटिश संविधान अपने लचीलेपन से विश्व विख्याक्त है। ब्रिटिश के संविधान मे आसानी है संशोधन किया जा सकता है इस में संशोधन करने की प्रकिया सामान्य कानूनो की तरह ही है।
5. संसद की सर्वोच्चता
ब्रिटेश संसद सर्वोच्च है उसे ब्रिटेन मे कानून बनाने की असीम शक्ति है। कानून की दृष्टि से ब्रिटेन की संसद को टक्कर देन वाली विश्व में कोई भी संसद नही है। एक विध्दावन के शब्दों मे",  ब्रिटिश संसद स्त्री को पुरूष और पुरूष को स्त्री बनाने के अतरिक्त सब कुछ कर सकती है। ब्रिटिश संसद को संविधान मे संशोधन करने की भी असीमित शक्ति प्राप्त है।
6. विधि का शासन
ब्रिटेन मे विधि का शासन है वहा कानून से ऊपर कोई नही सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता है ब्रिटेन के हर नागरिक पर एक सा कानून लागू है।
7. अभिसमयों का महत्व
दुनिया के लगभग सभी संविधानों मे कुछ न कुछ रीति-रिवाज परम्पराएं, परिपाटियाँ व अभिसमयों का अंश होता है लेकिन ब्रिटिश संविधान मे इनकी मुख्य भूमिका है। अभिसमयों के कारण ही ब्रिटिश संविधान का स्वारूप अलिखित है। फ्रीमैन के अनुसार= हमारे पास राजनीतिक नैतिकता की पूरी व्यवस्था है। जो परिनियमों या सामान्य विधियों के किसी पृष्ठ पर नही पाई जाएगी परन्तु व्यवहार मे मे घोषणा-पत्र या पिटीशन ऑफ राइट्स मे शामिल किसी भी सिध्दांत से कम पवित्र नही है।
8. पितृगत सिध्दांत
ब्रिटिश संविधान प्रजातंत्र के साथ-साथ राजतंत्र पैतृक सिध्दान्त पर आधारित है। यह पैतृक व आनुवांशिक सिध्दांत का समर्थक है। अतः लार्ड सभा अधिकांश सदस्य आनुवांशिक पीयर है। इसका मुख्य कारण है-अंग्रेजों की रूढ़िवादिता और अपनी प्रचानी संस्थाओं  व मान्यताओं के प्रति अगाध श्रध्दा व निष्ठा। यह एक ही संविधान के तहत अनुदार व प्रगतिशील दृष्टिकोण का सम्मिलन अद्भुत है।
9. प्रधानमंत्री
ब्रिटेन मे शासन का मुख्य कार्यपालक व वास्तविक स्वामी प्रधानमंत्री ही होता है।
10. अलिखित संविधान
ब्रिटिश संविधान अलिखित संविधान है यह संविधान अमेरिका, फ्रांस, चीन, भारत आदि देशो की तरह लेखद्व नही है।
11. क्राउन
ब्रिटेन में एक संस्थागत राजा विद्यमान है। जो एक सत्ताधारी सरकार का प्रतिक है।
12. निष्पक्ष अध्यक्ष 
ब्रिटेन में निर्दलीय तथा निष्पक्ष स्पीकर की परम्परा है। यह हाउस  ऑफ कामन्स का अध्यक्ष चुने जाने पर अपने दल से विच्छेद कर लेता है।
13. मंत्रीमंडलात्मक शासन
ब्रिटेन मे मंत्रीमण्डलात्क शासन है यहा मंत्रीमंडल शासन की धुरी है। 
14. एकात्मक शासन व्यवस्था 
ब्रिटेन में एकात्मक व्यवस्था को अपनाया गया हैं। सभी शक्तियाँ केन्द्र में निहित हैं। केन्द्रीय सरकार ही संपूर्ण देश का शासन संचालित करती हैं। यद्यपि प्रशासन की सुविधा से संपूर्ण देश विभिन्न इकाइयों में बँटा हुआ है तथा इन इकाइयों को कुछ शक्तियाँ भी प्रदान की गई हैं, फिर भी ये शक्तियाँ उन्हें संविधान द्वारा प्रदत्त न करके केन्द्र प्रदान की गई हैं। केन्द्र इन्हें अपनी इच्छानुसार वापस ले सकता हैं। 
15. धर्मनिरपेक्ष नहीं 
ब्रिटेन का संविधान धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं यद्यपि सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त हैं। वहाँ के राजा या रानी के लिये प्रोटेस्‍टेण्‍ट धर्म का अनुयायी होना आवश्यक हैं। जबकि मंत्रीमंडल एवं संसद का सदस्य किसी भी धर्म का पालन करने वाला नागरिक हो सकता हैं।

ब्रिटिश संविधान का महत्व  

संविधानों की दुनिया में ब्रिटिश संविधान का अत्यधिक महत्व हैं क्योंकि ब्रिटेन का संविधान दुनिया के समस्त संविधानों की जननी हैं। मुनरों ने लिखा हैं, ब्रिटिश संविधान संविधानों का जनक हैं और ब्रिटिश संसद संसदों की जननी। अन्य देशों की विधान सभाओं की चाहे कोई भी संज्ञा हो, पर उनका उद्गम स्त्रोत एक ही हैं।" एशिया, अफ्रीका आदि दूरस्थ प्रदेशों में फैले ब्रिटेन के उपनिवेशों के संबंधों का प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष प्रभाव ब्रिटिश संवैधानिक व्यवस्था पर तथा ब्रिटिश संवैधानिक व्यवस्था का प्रभाव उन उपनिवेशों की व्यवस्था पर सदा पड़ता रहा हैं। इसके अतिरिक्त जहाँ-जहाँ ब्रिटेन का साम्राज्य रहा है और बाद में यदि वहाँ के लोगों को स्वतंत्रता मिली तो वहाँ प्रायः ब्रिटिश पद्धित पर आधारित संसदीय शासन-प्रणाली का विकास ही हुआ हैं। यही कारण है कि ब्रिटिश संविधान को 'मातृ संविधान' (Mother constitution) कहा जाता हैं। 
इंग्लैंड वस्तुतः संसदीय लोकतंत्र का मातृ देश रहा हैं। द्विसदनीय संसद प्रणाली, कानून का शासन तथा लचीले संविधान के सिद्धांत जैसे राजनीतिक विचारों का प्रयोग सबसे पहले तथा सफलता के साथ यहीं किया गया हैं। यही कारण है कि अंग्रेजी संविधान के अध्ययन को विश्व के विविध देशों की राजनीतिक प्रणालियों के अध्ययन की कुंजी कहा जाता हैं। हम भारतीय नागरिकों के लिए तो ब्रिटिश संविधान का अध्ययन अत्यंत आवश्यक एवं लाभकारी हैं। हमारा संविधान तो मुख्य तौर से ब्रिटिश संविधान के अनुरूप ही बना हुआ हैं। ब्रिटिश संविधान के मर्म को समझे बिना भारतीय संविधान के स्वरूप का अध्ययन दुष्कर प्रतीत होता हैं।
यह जानकारी आपके के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी

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