7/28/2019

सामाजिक विघटन अर्थ, परिभाषा, स्वरूप

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नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी https://www.kailasheducation.com मे, आज के इस लेख में हम सामाजिक विघटन के बारें में चर्चा करेंगे।

सामाजिक विघटन का अर्थ (samajik vighatan ka arth)

सामाजिक विघटन का अर्थ सामाजिक विघटन के नाम से स्पष्ट हो जाता है। सामाजिक विघटन का अर्थ है सामाजिक संगठन के विपरीत दशा है। हम जानते है की हमारे सामाज का निर्माण विभिन्न व्यक्तियों, संस्थाओं, समूह, समितियों, प्रतिमानों आदि से मिलकर होता है और इन सबका समाज मे एक पद या स्थिति होती है। जब यह सभी अपने पदों और स्तिथि के अनुसार अपने-अपने कार्यों को सही ढंग से नही करते तो समाज का विघटन होने लगता है।
जब किसी समाज में सामाजिक इकाइयों के बीच प्रकार्योत्मक संबंध टूट जाते हैं और समूह के स्वीकृत कार्यों को करने में बाधा पड़ने लगती है अथवा सामाजिक नियंत्रण प्रभावी ढंग से कार्य नहीं कर पाता तब इसे सामाजिक विघटन की स्थिति कहते है।
सामाजिक विघटन के अर्थ को और भी सरल शब्दों में समझने के लिये मान लिजिए की आपका शरीर समाज है जिसके विभिन्न अंग है जैसे, हाथ, पैर, नाक, कान, आँख, मुंह आदि। अगर आपके शरीर का कोई अंग अपना काम न करें या वह खराब हो जाए तो आपके शरीर को कष्ट होने लगेगा या वह धीरे-धीरे नष्ट होने लगेगा। जैसा की मैने पूर्व मे कहा है कि हमारे समाज का निर्माण भी एक शरीर की तरह अनेक इकाइयों से मिलकर होता है और जब यह इकाइयां अपना कार्य सही ढंग से नही करती तो समाज का विघटन होने लगता है।   वास्तविकता में समाज में संगठन का न रहना ही सामाजिक विघटन है।
सामाजिक विघटन के बारें में थाॅमस तथा जननकी ने लिखा है, " सामाजिक विघटन कोई एक अलौकिक घटना नहीं है जो किन्हीं कालों या किन्हीं समाजों तक सीमित हो, इसमें से कुछ हमेशा और प्रत्येक स्थान पर सामाजिक नियम भंग करने की व्यक्तिगत घटनायें होती हैं जो सामाजिक संस्थाओं पर विघटित करने वाला प्रभाव डालती है और यदि उनका प्रतिकरण न किया जाय तो बढ़ सकती है और और सामाजिक संस्थाओं का पूर्ण नाश कर सकती है।

सामाजिक विघटन की परिभाषा (samajik vighatan ki paribhasha)

लैंडिस के अनुसार, "सामाजिक नियंत्रण के समाप्त हो जाने से सामाजिक विघटन पैदा हो जाता है, जिससे समाज में अव्यवस्था और गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है।इलियट और मैरिल के अनुसार, "सामाजिक विघटन में एक समूह के सदस्यों के आपसी सम्बन्ध टूट से लगते है या समाप्त हो जाते है। 
इलियट और मैरिल " जब सामाजिक अंतःक्रियाओं की व्यवस्थित पद्धति और किसी समूह की स्वीकृति कार्य प्रणाली टूट जाती है तो सामाजिक विघटन होने लगता है। 
लेपियर के अनुसार " सामाजिक विघटन विशिष्ट रूप से सामाजिक संरचना के संगठनात्मक पहलू मे आए असंतुलन की ओर संकेत है।
थामस और जैनेनिकी के अनुसार " मनुष्यों द्वारा सामाजिक नियमों को तोड़ना और समाज विरोधी कार्य करना ही सामाजिक विघटन हैं।
पी. एच. लैण्डस के अनुसार " सामाजिक नियंत्रण की व्यवस्था का भंग होना और उनमें विचलन की स्थिति उत्पन्न करना ही सामाजिक विघटन हैं।
ऑगबर्न और निमकाॅक के अनुसार "जब संस्कृति के विभिन्न अंगो के बीच संबंधो की एकता भंग हो जाती है तो सामाजिक विघटन होता हैं।

सामाजिक विघटन के स्वरूप 

1. वैयक्तिक विघटन
जब समाज मे व्यक्ति समाज स्वीकृत व्यवहार के मानकों से हटकर कार्य करने लगता है एवं परिवर्तित परिस्थितियों मे अनुकूलन नही कर पाता एवं वैयक्तिक विघटन की प्रक्रिया जन्म लेती है। वैयक्तिक विघटन समाज मे कई रूपों मे अभिव्यक्ति होता है। जैसे मद्यपान, मादक द्रव्य व्यसन, अपराध, वैश्यावृत्ति, आत्महत्या आदि।
2. पारिवारिक विघटन
परिवार के सदस्यों मे एकमत न रहना परिवार मे सामंजस्य की प्रक्रिया को कम कर देता है। परिवार के सदस्यों के बीच प्रभावपूर्ण नियंत्रण की कमी भी पारिवारिक विघटन का कारण बनती है, क्योंकि नियंत्रण के अभाव मे अनुशासनहीनता पनपती है। पारिवारिक विघटन की स्थिति पति-पत्नी के बीच संबंध विच्छेद, बच्चों मे अनुशासनहीनता एवं पारिवारिक कलह के रूप मे देखने मिलती है। आर्थिक संकट, मतभेद, असाध्य और आकस्मिक कारण पारिवारिक विघटन के लिए जिम्मेदार होते है।
3. सामुदायिक विघटन
जब समुदाय के अंतर्गत इस तरह की समस्याएं विकसित होने लगे कि उन समस्याओं की वजह से सामुदायिक जीवन चुनौतीपूर्ण हो जाए तब सामुदायिक विघटन की प्रक्रिया जन्म लेती है। सामुदायिक विघटन की स्थिति तब आती है जब समुदाय के अन्दर अनेक संस्थाएं अपने कायदे कानूनों के आधार पर कार्य न कर रही हों। रूढ़ियों और संस्थाओं मे संघर्ष चल रहा हो। संस्थाये अपने कार्य अन्य संस्थाओं को हस्तांतरित कर रही हों, लोग रिश्वत ले रहे हो, नफाखोरी बढ़ रही हो, बेरोजगारी बढ़ रही हो, गरीबी फैल रही हो, अत्याचार बढ़ रहा हो, पुराने कायदे-कानूनों मे व नवीन कायदे-कानूनों मे सामंजस्य न हो रहा हो।
4. अन्तराष्ट्रीय विघटन
आज का युग अन्तर्राष्ट्रीय का युग है। संचार व यातायात के साधनों ने विश्व को बहुत छोटा कर दिया है। विश्व के एक कोने मे हुई घटना का प्रभाव विश्व के सभी देशों मे पड़ता है। अन्तर्राष्ट्रिय व्यापार के लिए कुछ रीति-रिवाज व कानून प्रचलित है। जब इन रीति-रिवाजों व कानूनों की श्रंखला भंग होती है तभी यह कहा जाता है कि अन्तर्राष्ट्रीय विघटन प्रारंभ हो गया है।
दोस्तों आशा करता हूं सामाजिक विघटन का अर्थ और परिभाषा आपको शीघ्र ही समझ आ गई होगी। अगर इस लेख से सम्बन्धित आपका किसी भी प्रकार का कोई विचार है तो नीचे comment कर जरूर बताएं मैं आपके comment का इंतजार कर रहा हूं।
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