11/20/2021

ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियां व कार्य

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ब्रिटिश प्रधानमंत्री

आज इस लेख मे हम ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियां व कार्यो के बारें जानेगें ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान होता है। सैद्धान्तिक तौर पर सम्राट कार्यपालिका का स्वामी होता है लेकिन व्यवहार में प्रधानमंत्री ही कार्यपालिका का वास्तविक स्वामी होता है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियां अमेरिकी राष्ट्रपति से भी अधिक मानी जाती है, क्योंकि वह किसी भी कानून को बदल सकता है, लगा सकता है, हटा सकता है।
ब्रिटेन का प्रधानमंत्री शासन सूत्र का सूक्ष्म केंद्र हैं। लास्की का कहना है कि," ब्रिटिश प्रधानमंत्री सामने पद वालों में प्रथम से अधिक किन्तु तानाशाह से कुछ कम हैं।" प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल रूपी मेहराब का मुख्य पत्थर हैं। विलियम हारकोर्ट के शब्दों में," प्रधानमंत्री नक्षत्रों के बीच चन्द्रमा हैं।" जेनिंग्ज का कहना है कि," प्रधानमंत्री को संपूर्ण संविधान की आधारशिला कहना अधिक उपयुक्त होगा।" रेम्जेम्यूर कहता हैं कि," मंत्रिमंडल राज्य रूपी जहाज का यंत्र है और प्रधानमंत्री उस यंत्र का चालक हैं।" 
प्रधानमंत्री ब्रिटेन के शासन का सर्वसर्वा है। राजा राज्य करता हैं परन्तु प्रधानमंत्री शासन करता हैं। मंत्रिपरिषद तथा मंत्रिमंडल बनाने मे वह स्वतंत्र है। राजा उसमे कोई हस्तक्षेप नही कर सकता। 
लास्की के शब्दों में "प्रधानमंत्री वह केंद्र है जिस पर मंत्रिमंडल का जीवन व उसका अंत निर्भर हैं।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री का निर्वाचन 

ब्रिटिश प्रधानमंत्री की नियुक्ति ब्रिटेन का राजा करता है। सुस्थापित परम्परानुसार लोक चुनावों में जिस दल को लोक सदन में स्पष्ट बहुमत प्राप्त होता है उसका नेता प्रधानमंत्री बनता है। लेकिन कई बार जब किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तब राजा अपने स्व-विवेक का प्रयोग करता है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री शासन व्यवस्था का सुधार स्तम्भ है। शासन का सम्पूर्ण संचालन उसके हाथों में ही होता है। संसद में निश्चित बहुमत के रहते ब्रिटिश प्रधानमंत्री वह सब कार्य कर सकता है जिसको जर्मनी का सम्राट और अमरीका का राष्ट्रपति भी नही कर सकता।
ब्रेटेन

ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियां व कार्य (british pradhanmantri ki shaktiyan)

ब्रिटिश प्रधानमंत्री की शक्तियाँ एवं कार्य निम्नलिखित हैं-- 
1. काॅमन सभा का नेतृत्व
प्रधानमंत्री काॅमन सभा में बहुमत दल का नेता है व सरकार का प्रधान भी होता है। संसद में महत्वपूर्ण विधेयक उसी के आदेशानुसार प्रस्तुत किये जाते है । वह संसद के जीवनकाल में वृध्दि करा सकता है, उसी के सुझाव पर राजा संसद का विघटन करता है। इन शक्तियों की तुलना संसार के अन्य किसी भी संवैधानिक प्रधान से नही की जा सकती। वह संसद में सरकार का प्रमुख वक्ता होता है। किसी भी विषय पर उसके शब्द सरकार की ओर से अन्तिम समझे जाते है।
2. मन्त्रीमण्डल का निर्माण
प्रधानमंत्री मन्त्रीमण्डल का जन्म दाता होता है। सैद्धान्तिक दृष्टि से मन्त्रिमण्डलीय सदस्यों की नियुक्ति सम्राट द्वारा की जाती है। लेकिन व्यवहार मे मन्त्रिमण्डल के सदस्यों का चयन प्रधानमंत्री अपने स्व-विवेक से करता है। मन्त्रिमण्डल की बैठक उसी के द्वारा बुलाई जाती है। वही बैठकों में अध्यक्ष का पथ ग्रहण करता है। यदि किसी सदस्य को उसकी नीति मान्य नही है तो प्रधानमंत्री उसे त्याग देने के बाध्य कर सकता है। प्रधानमंत्री का त्याग-पत्र पूर्ण मन्त्रिपरिषद का त्याग-पत्र माना जाता है।
3. मंत्रिमंडल का अंत 
प्रधानमंत्री को मंत्रिमंडल का अन्त करने का भी अधिकार हैं। यदि प्रधानमंत्री किसी मंत्री के कार्य एवं व्यवहार से असन्तुष्ट है तो वह उसे हटा सकता हैं। राबर्ट पील के शब्दों में," सामान्यतः यदि प्रधानमंत्री तथा उसके एक मंत्री के बीच गहरा मतभेद हो जाए और यदि वह मतभेद बातचीत द्वारा तय न हो सके तो इसके परिणामस्वरूप मंत्री को हटना पड़ेगा, प्रधानमंत्री की नही।" 
यदि प्रधानमंत्री अपने पद से त्याग-पत्र दे दे तो संपूर्ण मंत्रिमंडल को ही त्याग-पत्र देना पड़ता हैं। प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल का पुनर्गठन भी कर सकता है तथा ऐसे समय में वह जिन लोगों को न चाहें मंत्रिमंडल में सम्मिलित नहीं करता हैं। 
प्रधानमंत्री को मंत्रिमंडल को समाप्त करने का अधिकार अवश्य हैं। लेकिन वह अपने आचरण में निरंकुश नही हो सकता। उसे अपने दलीय स्थिति को अवश्य ही दृष्टिगत रखना होता हैं। वह ऐसा आचरण भी कभी नहीं करता जिससे कि दल में उसकी प्रतिष्ठा दाँव पर लगे।
4. शासन का संचालन
वास्तविकता में ब्रिटिश प्रधानमंत्री ही समस्त शासन का संचालन करता है। वैधानिक दृष्टि से भले ही यह कार्य राजा हो लेकिन व्यवहार मे प्रधानमंत्री ही अपने शासन का संचालन करता है। वह शासन का सर्वोच्च नियंत्रणकर्ता व समन्वय कर्ता है।
5. अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों का संचालन
शासन की विदेश नीतियों की आधिकारिक घोषणा वही करता है। यद्यपि वैदेशिक सम्बन्धों के संचालन के लिए वेदेश मन्त्री की नियुक्ति की जाती है परन्तु प्रधानमंत्री की सहमति के बिना वह कोई महत्वपूर्ण कार्य नही कर सकता। किसी भी अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेरलन मे ब्रिटिश प्रधानमंत्री या तो स्वयं शामिल होता है या अपना कोई प्रतिनिधि भेज देता है।
6. राष्ट्र का नेता
प्रधानमंत्री समूचे राष्ट्र का प्रतीक होता है। आम चुनावों मे राजनीतिक दल अपनी नीतियों के आधार पर नही बल्कि अपना नेता के व्यक्तित्व के आधार पर चुनाव लड़ते है।
7. उपाधियों से सम्बन्धित शक्ति
यद्यपि उपाधियाँ प्रदान करना सम्राट का विशेषाधिकार है किन्तु उनका वितरण प्रधानमंत्री के परामर्श पर ही निर्भर करता है। विशेष रूप से लार्ड सभा की सदस्यता का प्रधानमंत्री राजनीतिक प्रयोग कर सकता है।
8. वित्त पर नियन्त्रण
देश के वित्त पर प्रधानमन्त्री का पूर्ण नियन्त्रण रहता है। संसद में जो बजट प्रस्तुत किया जाता है वह वित्त मन्त्री द्वारा उसी के आदेशानुसार रखा जाता है।
9. नियुक्तियाँ
सम्राट सभी उच्चस्तीय नियुक्तियाँ प्रधानमंत्री की सिफारिश से ही करता हैं। प्रधानमंत्री की सिफारिश पर लार्डसभा में नए लार्ड नियुक्त किए जाते हैं। सभी उपाधियाँ प्रधानमंत्री की सिफारिश पर ही सम्राट द्वारा दी जाती हैं।
10. संकटकालीन शक्तियाँ
ब्रिटिश संविधान में संकटकालीन स्थिति की स्पष्ट व्यवस्था नहीं हैं। प्रायः व्यवहार में संकट के समय ब्रिटिश प्रधानमंत्री के दायित्व और शक्तियों में वृद्धि हो जाती हैं। संकट के समय प्रधानमंत्री तानाशाह के रूप में कार्य करता हैं। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय लाॅयड जार्ज तथा चर्चिल ने अभूतपूर्व शक्तियों का प्रयोग किया।
11. सम्राट को परामर्श देना
प्रधानमंत्री वह कड़ी हैं जो संसद और सम्राट तथा मंत्रिमंडल और राजा को जोड़ती हैं। वह प्रधानमंत्री की हैसियत से संसद तथा मंत्रिमंडल के निर्णयों से राजा को अवगत कराता हैं। देश में चलने वाली विभिन्न राजनीतिक गतिविधियों के संबंध में वह समय-समय पर राजा को अवगत कराता हैं। वे सब कार्य, जो राजा द्वारा किए जाते हैं, मुख्य रूप से प्रधानमंत्री ही उनके संबंध में राजा को परामर्श देता हैं।

ब्रिटिश प्रधानमंत्री की स्थिति व महत्व 

ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद की स्थिति अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह देश की वास्तविक मुख्य कार्यपालिका एवं प्रशासन का प्रमुख तथा ब्रिटेन में लोकतंत्र का मुख्य प्रहरी हैं। इस पद का महत्व निम्नलिखित कारणों से होता हैं-- 
1. राजा और संसद के बीच महत्वपूर्ण कड़ी 
ब्रिटेन का प्रधानमंत्री राजा और संसद के बीच महत्वपूर्ण कड़ी होता हैं। यह संसद की ओर से राजा को महत्वपूर्ण सूचनायें देता है तथा प्रायः कई बार राजा अथवा रानी से मिलता रहता हैं। यह राजा या रानी को संसद का सत्र बुलाने और सत्रावसान करने की सलाह देता हैं। यह सिंहासन भाषण तैयार करवाता हैं। यह संसद को भंग भी करा सकता हैं। 
2. राजा और मंत्रिपरिषद् के बीच की कड़ी 
मंत्रिपरिषद् की नियुक्ति राजा प्रधानमंत्री के परामर्श से सी करता हैंह अतः प्रधानमंत्री राजा और मंत्रिपरिषद् के बीच महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य करता हैं। मंत्रिपरिषद के निर्णयों की सूचना राजा या रानी को प्रधानमंत्री ही देता हैं। कोई मंत्री प्रधानमंत्री की बिना अनुमति के तथा उसे विश्वास में लिये बिना राजा अथवा रानी से नहीं मिल सकता। 
3. देश का नेता
प्रधानमंत्री देश का नेता होता है। वह अपने प्रधानमंत्रित्व काल में देश का अन्तरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय मंचों पर प्रतिनिधित्व व नेतृत्व करता हैं। उसकी आवाज ही देश की आवाज मानी जाती हैं। 
4. दल का नेता 
प्रधानमंत्री अपने दल का प्रमुख नेता होता है। वह संसदीय दल का भी नेता होता हैं और इस पद के नाते वह संसद के दलीय सदस्यों पर अनुशासन बनाये रखता है तथा सचेतक के माध्यम से व्हिप जारी कर सकता हैं।
5. वह अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में देश का शिखर नेतृत्व करता हैं 
सभी अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में वह स्वयं जाता है या अपने प्रतिनिधि भेजता हैं, जो उसका प्रतिनिधित्व करते हैं। 
6. सत्तारूढ़ पक्ष और प्रतिपक्ष के बीच कड़ी 
प्रधानमंत्री सत्तारूढ़ दल का नेता होता हैं। वह प्रतिपक्ष के साथ भी शासन संचालन के संबंध में तालमेल बनाये रखता हैं। 
7. सामूहिक उत्तरदायित्व 
ब्रिटेन में सामूहिक उत्तरदायित्व हैं अतः सभी मंत्री प्रधानमंत्री के निर्देशन में मिलकर काम करते हैं। 
निष्कर्ष 
ब्रिटेन का प्रधानमंत्री वहाँ की राजनीति तथा शासन का केंद्र बिन्दु होता हैं। वह राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व कर प्रमुख भूमिका अदा करता हैं। उसको विविध कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका, वित्त, विदेश नीति तथा रक्षा संबंधी शक्तियाँ मिली होती हैं। क्योंकि एक ब्रिटेन एक महाशक्ति हैं, अतः वह विश्व का भी प्रसिद्ध नेता बन जाता हैं। ब्रिटेन राष्ट्र मंडल का प्रमुख देश है तथा इसी के भूतपूर्व साम्राज्‍यवादी कुल का वर्तमान नाम राष्ट्रमंडल हैं। इसलिए राष्ट्रमंडल में भी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण स्थिति तथा भूमिका होती हैं। अपने सहयोगी मंत्रियों से उसकी स्थिति बराबर वालों में प्रथम की ही नही बल्कि टीम के कप्तान की होती हैं। कोई भी मंत्री उसकी बिना इजाजत के मंत्री परिषद् में नहीं रह सकता। वह मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी करता हैं। वह अलग-अलग विभागों के कार्यों में उचित सामंजस्य तथा समन्वय बनाकर रखता है। वह संसद व देश का नेतृत्व करता है। वह सत्तारूढ़ अवधि में ब्रिटेन का सर्वोच्च पदाधिकारी होता हैं।
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